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- उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को मंदिरों में ध्वजस्तंभ तक गैर हिंदुओं को प्रतिबंधित करने वाले बोर्ड लगाने का निर्देश दिया
मदुरै40 मिनट पहले
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![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/31/news-image-2024-01-31t010348247_1706643287.jpg)
मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि मंदिर में ऐसे बोर्ड लगाए जाएं, जिसमें लिखा हो कि गैर मंदिरों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
कोर्ट ने कहा- मंदिर में कोई भी स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं है कि कोई भी वहां घूमने आए और वहां मौजूद लोगों को अपने धर्म का पालन करने और उसका पालन करने का मूल अधिकार मिले।
उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के न्यायाधीश एस श्रीमति ने डी सेंथिलकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। सेंथिलकुमार पलानी हिल टेम्पल डिवोटिज़ रेस्टोरेंट के छात्र हैं।
सरकार को निर्देश दिया- मंदिर गेट पर पुष्प बोर्ड पैनल
सेंथिलकुमार की मांग थी कि, अरुलमिगु पलानी धनदायुथापानी स्वामी मंदिर और अन्य मठों में सिर्फ भगवान को जाने की अनुमति दी जाए। वह यह भी चाहती थी कि इस संबंध में सभी इंट्री गेट्स पर बोर्डबोर्ड लगाए जाएं।
याचिका को स्वीकार करते हुए, अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे तीर्थस्थल के प्रवेश द्वार, ध्वजस्तंभ के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर ‘गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है’ वाले बोर्ड पर जाएं।
कोर्ट ने कहा- मंदिर कोई जगह नहीं
कोर्ट ने कहा- सरकार की उपाधियों में गैर-हिंदुओं का कोई प्रमाण नहीं है जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उसे वचन लेना होगा कि वह मंदिर के देवता में विश्वास रखता है और हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और मान्यताओं का पालन करता है।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की कि, मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटन स्थल नहीं है। खैर वह ऐतिहासिक हो। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिर के संविधान का विवरण 15 के अंतर्गत न आये। इसलिए किसी भी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक को गलत नहीं कहा जा सकता।
अब जानिए ये डिस्काउंट क्यों उठाया…
अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में मांसाहारी भोजन
उच्च न्यायालय ने पिजालो में गैर-हिन्दू बच्चों के आध्यात्म की यादों का भी ज़िक्र किया। कोर्ट ने कहा- हाल ही में अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में अन्य धर्मों से जुड़े विवादों के एक समूह ने मंदिर परिसर को ज्वालामुखीय स्थल के रूप में माना था और मंदिर परिसर के अंदर मांसाहारी भोजन कराया था।
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में कुरान लेकर देश के लोग
इसी तरह, 11 जनवरी को एक अखबार ने खबर दी थी कि मुस्लिम धर्म से जुड़े कुछ लोग मदुरै के अरुलमिघु मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में गर्भगृह के पास कुरान लेकर चले गए थे और वहां नमाज पढ़ने का प्रयास कर रहे थे।
जस्टिस श्रीमती बोलीं- पौराणिक कथाओं की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है
न्यायमूर्ति श्रीमती ने कहा, ये घटनाएँ पूरी तरह से संविधान के तहत सिद्धांतों में दिए गए मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप हैं। आस्था को भी अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से अनुयायी बनाना और अपने धर्म का प्रचार करना मूल अधिकार है।
इसलिए, रीति-रिवाजों के रीति-रिवाजों, मंदिरों के अपने मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना और किसी भी तरह की कहानियों के अनुसार मंदिरों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।
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