एक घंटा पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
- कॉपी लिंक

राजस्थान में घोड़ाधड़ योद्धा पड़ रहे हैं। एच.डी. के भी. यह भी. संविधान सभा में संस्था की स्थापना हो रही है। कुछ राजस्थानी वास्तुकला तो कुछ पर कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की छाप। हालाँकि कांग्रेस के विरुद्ध जगह-जगह एड के छापे प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सवाल अभी भी सामने आया है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की कार्रवाई उचित होनी चाहिए या नहीं?
कुछ पुराने अफ़सोर इसे सही नहीं मानते। इनका कहना है किसर सिद्धांत मौक़ों पर चाकू नहीं बोलते, वे अधिक लोग अपना नंबर बढ़ाने के लिए कर जाते हैं। ऊपरी छत्तीसगढ़ में लड़ाई अब चरम पर है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अरेंजमेंट ने पीएचडी और आईटी को डॉग-बिल्ली कहा। इस पर विवाद चल रहा है।

राजस्थान के सीएम अशोक अशोक ने कहा था कि मैंने मस्जिद से समय मांगा था, लेकिन एक बार दिया, बाद में मुकर चले गए।
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस नेताओं की संयम भाषा नहीं है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि सोनिया गांधी के बारे में जब- तब, कुछ तो बोलने वाली बीजेपी हमें संयम का पाठ न ही पढ़ा तो अच्छा है।
मध्य प्रदेश में ज़रूर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच मनमुताबिक खबरें आ रही हैं। ये खबरें अगर सच हैं तो पार्टी के लिए दुखियाद साबित हो सकती हैं। यूक्रेन, टिकट बँटवारे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद सिंह और आदिवासियों में तनातनी चल रही है। कपड़े वाले कपड़े पहनने वाले ने पिछले बयान में कहा था कि इस तनातनी के बीच आग में घी का काम किया गया है। दोनों नेता अपने-अपने चहेते हैं। वे भी इस रिकॉर्ड में अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
पार्टी कांग्रेस के स्तर पर इस मनमुताव का तुरंत असर नहीं हुआ तो यह मामला गंभीर हो सकता है। दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अफ्रीका में चुनावी प्रचार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

मध्य प्रदेश में टिकट बँटवारे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद सिंह और नागालैंड में तनातनी चल रही है।
राजस्थान में सक्रिय फ़िलहाल कम है क्योंकि वहाँ मतदान में अभी वक्त है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़े नेताओं की सभा-रैली भी शुरू हो गई है और रूठे हुए लोगों को एकजुटता या एकजुटता दिखाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है।
चुनाव आयोग अपनी टीम में अपनी भूमिका अब तक निभा रहा है। फ़ोर्ब्स के ख़र्चों और उनकी कब्रों, सिरों के भाषण जैसे कारनामों पर पानी की नज़र दौड़ती जा रही है। प्लास्टिक दल, दोनों ओर से चुनाव आयोग का डर तो कायम है।
नियम-कायदों के बीच की गलियों में हालांकि राजनीतिक दल और उनके नेता माहाद होते हैं, लेकिन फिर भी आयोग इन साड़ी गैलरी को भी बंद करने में लगा है।