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- CAA कानून में क्या है, इसके क्रियान्वयन का विरोध क्यों?
16 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
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![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/05/bhaskar-opiii_1704424985.jpg)
स्थान। नागरिक संशोधन अधिनियम। नागरिकता संशोधन कानून। कई बार जाने के बाद एक बार फिर आवाज उठ रही है इसे लागू करने की। कहा जा रहा है कि जनवरी महीने में ही इसे लागू किया जाएगा। लेकिन इससे क्या होगा? अब तक बार-बार इसे टाला क्यों जा रहा है?
इस कानून में बांग्लादेश, अफगानिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए उन गैर मुस्लिमों को भारत की शिक्षा देने का प्रावधान है जो वर्षों से यहां रह रहे हैं। ग़ैर मुसलमानों अर्थात आदिवासियों को। असल में, ये लोग संयुक्त राष्ट्र में अल्पसंख्यक हैं। जाने किस संकट या संकट में उन्हें संयुक्त राष्ट्र को छोड़ना पड़ा। यहां के नागरिक न होते हुए भी दिक्क्तों, मुसीबतों को गले लगाते हुए यहां जीवन पद छोड़ रहे हैं। ऐसे में यहां यानी भारत में सम्मान दिए जाने की गारंटी से यह कानून लाया जा रहा है।
![नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 पारित हुआ था। 6 महीने के अंदर कानून के नियम इसे लागू करना था, लेकिन इसके लिए 8 बार प्रोपेगेंडा का भुगतान किया जाना है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/05/untitled-4_1704425864.jpg)
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 पारित हुआ था। 6 महीने के अंदर कानून के नियम इसे लागू करना था, लेकिन इसके लिए 8 बार प्रोपेगेंडा का भुगतान किया जाना है।
अब सवाल यह है कि यह कानून इतना ही पुनित और पुण्यकर्म के रूप में सामने आने वाला है तो अब तक इसे टाला क्यों जा रहा है? इसका विरोध क्यों किया जा रहा है? या विरोध कर कौन रहा है? वास्तविक, मूल के राज्य इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनका तर्क यह है कि बाहर के लोगों को उनके राज्य में नागरिकता दी जाएगी और उनकी परंपराएं, संस्कृति और रीति-रिवाजों पर बड़ा फर्क पड़ेगा। वे सब टूट जायेंगे।
जहां तक उनका कहना है कि मुसलमानों पर यह कानून क्यों लागू किया गया है? यह गैरकानूनी के कानून का मजाक की तरह है। सरकार का कहना है कि जिन देशों के ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा जा रहा है, वहां मुस्लिम अल्प सांख्यक नहीं, बल्कि बहुसंख्यक हैं। इसलिए उन्हें इस देश में यानी भारत में नागरिकता देने का कोई मतलब नहीं है। वे अपने देश में हैं, वे वहां सुख से रहते हैं। भारत सरकार निजीकरण की मदद करना चाहती है, इसलिए
इन देशों के वे गैर मुस्लिम नागरिक जो वर्षों पहले यहां आए थे, उन्हें सम्मान दिया जा रहा है। इसमें ग़लत क्या है? लेकिन अब भर्ती के इस विरोध में ज्यादा दम नहीं रह गया है। यही कारण है कि जल्द ही इस कानून को लागू करने की कोशिश की जा रही है। इसी महीने हो सकता है.
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