नई दिल्ली17 मिनट पहले
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देश में एजुकेशन लोन लेने वाले छात्रों की संख्या पांच साल में पूरी हो गई है। साल 2018-19 में मेरठ में कुल 2,68,439 छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए कर्ज लिया था, 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 5,74,832 हो गई। सबसे बड़ा उत्पाद पी. बंगाल में हुई। वहां 2018-19 में सिर्फ 10,650 छात्रों ने एजुकेशन लोन लिया था, 2022-23 में ऐसे छात्रों की संख्या 38,649 हो गई।
गौर करने वाली बात यह है कि विदेश में पढ़ाई के लिए कर्ज लेने वाले 45% छात्र दक्षिण के सिर्फ 5 राज्यों से हैं। राज्यवार बात करें तो पिछले साल लोन लेने वाले छात्रों की सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र (78,694) में रही।
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने उच्च शिक्षा के लिए ऋण आवेदन पत्रों के आंकड़े वित्त मंत्रालय को दिए हैं। 2022-23 में कुल 20,450 करोड़ रु. एजुकेशन लोन बंटा था, जो 2021-22 से 20.54% ज्यादा है। बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में 29725 करोड़ रुपये के एजुकेशन लोन का लक्ष्य रखा है। इनसे अक्टूबर 2023 तक 18,083 करोड़ रु. जारी हो चुके हैं। गौर करने वाली बात यह भी है कि 83% एजुकेशन लोन सरकारी विज्ञापन जारी हुआ है।
कर्ज़ लेने वाले छात्र
राज्य | छात्र |
महाराष्ट्र | 78,694 |
केरल | 66,589 |
टेम्प्लेट | 60,550 |
कर्नाटक | 53,486 |
आंध्र प्रदेश | 46,715 |
तेलंग | 30,508 |
यूपी | 30,446 |
मध्य प्रदेश | 19,078 |
राजस्थान | 11,595 |
बिहार | 10,542 |
देश | 5,74,832 |
यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान में 71,991 आवेदन आएं
इंडियन बैंक एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदी भाषा राज्यों के छात्रों के लिए कर्ज लेकर पढ़ाई करना बहुत कम है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे चार सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदी भाषा के राज्यों से छात्र ऋण लेकर चले गए, उनके लगभग अकेले केरल से चले गए। उच्च शिक्षा के लिए 7.5 लाख रुपये तक के कर्ज़ पर न गारंटर की ज़रूरत है, न ही कुछ गिरवी रखना है। विदेश जाने वाले 40% छात्र लोन लेते हैं।