30 सेकंड में कॉलेजों तक पहुंचाया जा रहा गांजा | ग्राहक युवा और आभूषण वाले अधिकांश बुजुर्ग; पुलिस के सामने तो बदमाश दिख रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं

19 मिनट पहलेलेखक: अनुराग गुप्ता

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यूपी में रोजाना अलग-अलग तरह के माहौल से फुटबॉलरों की पकड़ में आने की खबर आती है। इसके बावजूद शिक्षक आसानी से सीमा पार करवा रहे हैं। अब टीचर्स ने बास्केटबॉल का नया आउटलेट बनाया है। गांजे को पासपोर्ट पार ले जाया जा रहा है। अंतिम बैंकिंग व्यवसाय कहाँ स्थित है?

असल में बास्केटबॉल खिलाड़ियों की ताकत छात्रों पर है। टीचर्स का नेटवर्क नेटवर्क के पास काफी फैला हुआ है। का नॉलेज पार्क हो या लखनऊ का टाइगरगंज। यहां पर रहने वाले छात्र गैर-आचार्य से आते हैं। टीचर्स ऑन कॉल्स सुपरमार्केट करते हैं। पुराने जमाने के लोगों को टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

बॉर्डर पार के बाद समुद्र तट में लिटिल-थोडा माल बढ़िया मुनाफ़ा का लालची पकड़ा दिया गया। पस-पास के पत्थरों से बनी एक अनोखी मूर्ति, जो छात्रों को शिक्षकों तक पहुंचाती है।

  • रिज़ॉर्ट के पास बाइक वाले गांजे की झलक करने के लिए डेली भास्कर बीबीडी यूनिवर्सिटी पहुंच। रिपोर्टर छात्र जहाज़ के पास करीब एक घंटा घूमा। बाबबाब वाले को ढूंढो। नाटक करने वालों के साथ-साथ पूरे सिस्टम को समझाएँ। आओ सब कुछ एक तरफ से शिष्य हैं…
ये है तिवारीगंज का अनोखा इलाका, जहां सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र रहते हैं।  इसी जगह पर सबसे ज्यादा बड़े पैमाने पर तंबाकू कार्यकर्ता हैं।

ये है तिवारीगंज का अनोखा इलाका, जहां सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र रहते हैं। इसी जगह पर सबसे ज्यादा बड़े पैमाने पर तंबाकू कार्यकर्ता हैं।

लखनऊ की बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी यानी बीबीडी। समय : रात के 8 बजे 45 मिनट। यूनिवर्सिटी के बाहर छात्रों की भीड़ थी। चारों ओर से पांडुलिपियों पर पढ़ने वाले छात्र-साकी-पी रह रहे थे। पूरा पेटिल जगमग था। यहां 300 से 500 मीटर के ऑफिस में सिटी लॉ कॉलेज और राम स्वरूप कॉलेज भी मौजूद हैं। बीबीडी कॉलेज से थोड़ा आगे बढ़े, तो पान की गुमटी पर कुछ लड़के मिले। सभी सिगरेट रेस्तरां में कैसा लगा रहे थे। हम उनके पास गए। पूछता है- यहाँ आश्रम कहाँ मिलेगा? एक लड़के ने दिया जवाब. यहाँ एक बैचलर वैयक्तिक विचारधारा थी। लेकिन वो अभी नहीं आ रहा है. हमने कहा- तो फिर कहां मिलेगा?

एक लड़के ने पूछा- किस कॉलेज के हो? हमने बताया- बीबीडी…लड़के ने कहा- एक नंबर डायल करो। हमने यहां रहस्यमयी खोज के लिए जगह पूछी। जवाब मिला- ऑन कॉल ऑफर होता है। कॉल करके बोल देना- पुड़िया चाहिए। तुलना करें दे। लड़के से पूछा- पैसा कितना, तो जवाब वो वही से ले।

लड़के ने उस पर जो नंबर दिया था। उसे अपना परिचय देकर कॉल करें। बोला- पुड़िया चाहिए… जवाब मिला- हां मिल जाएगा। कहाँ पर हो जगह बताओ दो। उन्होंने पूछा कितने रुपये का है? बोला- 300 रुपए पुड़िया। हमने उसे बीबीडी यूनिवर्सिटी से लिटिल-सा आगे बुलाया।

30 ऑपरेट करके निकल गया…
हम अपनी गाड़ी में इंतज़ार कर रहे थे। पीछे से एक शख्स आया. उदाहरण के पास खड़ा हो गया। हमने शीशा डाउन किया, तो उसने एक पिज्जा पुड़िया दरवाजे से सटाकर अंदर डाल दी।

बोला- जल्दी पैसा लाओ और निकलो यहां से। हम रेट तय करने के साथ बातचीत करने लगे। इसे बोला- कुछ कम कर लो, रोज लेना है। जवाब मिला- माल एक नंबर है. रेट फिक्स है। आज ले जा रहे हो. अब हमेशा मेरे पास ही आओगे। पैसा लेकर तुरंत वहां से निकल गया। ये डॉक्यूमेंट्री 30 नोटबुक में हो गई।

हमारे फोन पर बात हुई।  30 नोटबुक के अंदर एक आदमी आया।  शीशा नीचे होते ही पुड़िया गाड़ी में डाल दी।

हमारे फोन पर बात हुई। 30 नोटबुक के अंदर एक आदमी आया। शीशा नीचे होते ही पुड़िया गाड़ी में डाल दी।

ऑटो वाला चैनल के छात्रों के लिए शतरंज है
इस पूरे नेक्सेस को समझने के लिए बीबीडी यूनिवर्सिटी से राम स्वरूप कॉलेज की तरफ जाना है। दोनों के बीच में तिवारीगंज चौराहे है। विज्ञापन पर किनारे की तरफ शराब का ठेका है। जहां शाम होती है शराबियों की महफिल सजती है। जिसमें 50% कॉलेज के छात्र होते हैं। ये सब पुलिस की नियुक्ति में होता है।

तिवारीगंज अभिलेख से 50 मीटर दूर एक लड़का खड़ा था। उनसे पूछा- कहाँ कहाँ सिगरेट मिल जाएगी? उसने पहले तो जवाब नहीं दिया, फिर ऊपर से नीचे देखने लगा। बोला- क्या करें? उन्हें बताया गया कि दो साल पहले बीबीडी में बातें हुई थीं। अभी नौकरी करने लगें। सबसे पहले यहां एक बेरोजगार व्यक्ति हमें तंबाकू उत्पाद विक्रेता था। अभी वो मिल नहीं रहा है, बहुत तेज़ तलब लगी है। उन्होंने कहा- बीबीडी के सामने एक ऑटो वाला लीगल है, उसके पास चले जाओ।

हम अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गए। तभी उसने फिर आवाज दी और निर्विरोध को बोला। उसके पास गया, तो एक नंबर डायल करने को कहा। उसे उपकरण, तो स्विच ऑफ आया। फिर पूछता है- किस चीज़ से आये हो। हमने बताया कार है। बोला मेरे पीछे-पीछे आओ। तिवारीगंज की दुकान के बगल से शराब की दुकान के अंदर ले जाने लगा। ये जगह थी, जहां कुछ मिनट पहले ही पुलिस की पेट्रोलिंग जीप खड़ी थी और नीजी के सामने लोग जाम लगा रहे थे।

रास्ते से आने-जाने वाले देते हैं, दवा वाले बाबा के पास
वह लड़का तिवारीगंज के अभिलेख से करीब 600 मीटर अंदर ले गया। अंदर यात्री गाड़ी एक घर में रुकवाया। वहां एक अन्य लड़के को गाड़ी में बिठाया गया। फिर वहाँ से कुछ दूर एक गली में ले जाया गया। जो आगे से पूरी तरह बंद था। गाड़ी कहीं रुकवा दी।

हमें बाहर खड़ा करके दोनों लड़के पैसे लेकर अंदर चले गए। अंदर जाने के लिए एक छोटा-सा दरवाज़ा था। कुछ देर में दोनों बाहर आये। शायद हम पर भरोसा हो गया था। बोलो अंदर आओ। हम अंदर चले गए। वहाँ पर एक चिपका हुआ व्यक्ति था। इनका परिचय फर्नीचर और बोले अंकल माल चेक करवा दो। उन्होंने चिलम आउट और छोड़ दिया। अंतिम न आने की वजह से हमने विदा लेना टाल दिया। जिसने हमें वहां रखा था उसी लड़के से कहा था पी लो।

बातचीत होने लगी. पूछे जाने पर- यहां कॉलेज के छात्र आते हैं? जवाब- बहुत लड़के आते हैं. हमने कहा- माल कहां है? कहाँ से है? बोले- माल एक नंबर है, बाकी जहां से आते हैं ये तो जानकारी नहीं है। लेकिन यूपी से लेकर अन्य राज्यों तक आता है, फिर यहां छोटे-छोटे बच्चों को पकड़ा जाता है। इसके बाद हम 200 रुपये लेकर पुड़िया ली और वहां से निकले।

ये उस गांजे की तस्वीर है, जो रिपोर्टर को शिक्षकों से मिली।

ये उस गांजे की तस्वीर है, जो रिपोर्टर को शिक्षकों से मिली।

वुल्फ और टीचर्स का मुख्यालय तिवारीगंज
हम वहां से लौट रहे थे। उसी तिवारीगंज पर गाड़ी रोकी। शराबियों और पुलिस के बीच जुगलबंदी के लिए वहां शराब पीने वालों से बातचीत शुरू हुई। वहीं पर हमारी बातचीत एक मामले में बहचल चल रहे दो मंदिर से हुई। दोनों गली में किनारे खड़े होकर शराब पी रहे थे। हमने अपनी बात कही- यहां कंपेनियन मिल जाएगा? लड़के ने जवाब दिया- यहां का तो पता नहीं, लेकिन हम टेढ़ी डिजाइन लेकर आए हैं। साथ में पी लो।

हमने उन्हें पुलिस के हवाले से कहा और साथ में पीने से मना कर दिया। वो व्यक्ति नशे में धुत था। उन्होंने कहा- पुलिस कुछ नहीं करेगी. पुलिस आती है, खड़ी रहती है। फिर कुछ देर में चला गया है। हम तो बच्चे काट रहे हैं। तब कुछ नहीं कर रही. हमने कहा-बच्ची?…किस मामले में?

फैज़ुल्लागंज के किले पर उस पर हमला किया गया था…। असल में युवा लखनऊ के फैजुल्लागंज वार्ड नंबर- 4 के भाजपा नेता रामूदास कनौजिया पर हमले की बात हो रही थी। करीब 10 दिन पहले रॉकी ने गनर पाने के लिए खुद पर हमलों की साजिश रची थी। लड़के ने अपना नाम मोनू यादव बताया। लड़के पर हमले में शामिल होने का दावा किया जा रहा था। बोला कि अखबार में तीन दिन से हमारी खबर छप रही है। 4 लोग गिरफ्तार हैं, हम लोग बकरी काट रहे हैं। पुलिस से सेटिंग कर रहे हैं, हो जाए तो सरेंडर कर दें।

अखबार की खबर के साथ सारे वीडियो और
बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी फोटो और वीडियो में दावा किया कि मैं भी घटना में मौजूद थी। अखबार में छपी फोटो। जिस वीडियो की वजह से वो पकड़ गए। सब दिखाई देने वाली चीज़। हमने कहा- किस मंत्री जी ने खुद पर हमला किया था? जवाब- हम हमला क्यों करेंगे, सिपाही जी अपने खास हैं। अखबार वाले रोज छाप रहे हैं, कार्रवाई करने वालों पर हमला कर रहे हैं, लेकिन पुलिस को बचा रहे हैं। फिर हंसते हुए बोला पुलिस सुरक्षा को बचा रही है, मजबूती जी हमको बचाएंगे। इस पूरी बातचीत के दौरान पुलिस ने वहां से तीन बार गुजरी, लेकिन किसी ने सड़क पर शराब पीने का विरोध नहीं किया।

नाम सामने आये कार्रवाई की जाएगा
लड़के के दावे के बारे में हमने एम स्क्रीनव इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति का नाम प्रकाश में नहीं आया है। इसके दावे की जांच होगी। अगर नाम प्रकाश में आता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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फेसबुक पर पूजा अग्रवाल नाम की लड़की की रिक्वेस्ट आई। मैं नहीं जानता था, लेकिन रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। कुछ देर में हाय का मैसेज आया। मैंने रिप्लाई किया। उसने नंबर मांगा। मैंने दे दिया। लड़की ने व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल की। मैंने पुनः प्राप्त किया। सामने दिख रही लड़की नई हो गई। हमने फ़ोन काटा। कुछ देर बाद फिर से फ़ोन आया। प्रीमियमनाम नहीं उठाया गया। कुछ देर बाद ही हमें एक एडिटेड वीडियो मिला और ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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