2029 में एक राष्ट्र एक चुनाव प्रणाली संभव | राज्यों की सहमति जरूरी नहीं; लॉ कमीशन इसी माह कानूनी मंत्रालय को रिपोर्ट दे सकता है

नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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लोक आयोग के अनुसार, एक चुनाव के लिए संविधान का चुनाव, विधानसभा और उद्देश्य के गठन और स्वतंत्रता से जुड़े तीन लेखों में बदलाव किए जाएंगे।  - दैनिक भास्कर

लोक आयोग के अनुसार, एक चुनाव के लिए संविधान का चुनाव, विधानसभा और उद्देश्य के गठन और स्वतंत्रता से जुड़े तीन लेखों में बदलाव किए जाएंगे।

एक देश-एक चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। आयोग के पूर्व राष्ट्रपति सचिवालय की राष्ट्रपति पद की नियुक्ति के संबंध में उच्च स्तरीय समिति से चर्चा कर इसे केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2029 के बाद एक देश-एक चुनाव संभव है।

लॉ कमीशन 2026 में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस रास्ते पर विकास की सलाह की तैयारी में है। इस विधानसभा और नामांकन की संख्या का सही पता चल जाएगा। साथ ही एक साथ चुनाव के लिए जरूरी संसाधन जजमेंट के लिए जरूरी हैं।

लॉ कमीशन का मानना ​​है कि संविधान की धारा 368(2) के तहत राज्यों को छूट की आवश्यकता नहीं है। आयोग इस बारे में रिपोर्ट तैयार कर रहा है, अब पूर्व राष्ट्रपति तीर्थयात्रियों की राष्ट्रपति पद के लिए नियुक्त समिति से परामर्शदाता।

इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। बदमाशों का कहना है कि अक्टूबर माह के अंत तक यह कानून मंत्रालय के पास पहुंच जाएगा।

2 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति की लोधी रोड वाली नेशन वन में इलेक्शन कमेटी का गठन हुआ था

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4 से 6 महीने तक चल सकती है प्रक्रिया
इस रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव के लिए संविधान और संसद के नियमों में बस कुछ बदलाव किए जाएंगे। हालाँकि, इस प्रक्रिया में लगभग 4 से 6 महीने तक का समय लग सकता है। इससे अधिक से अधिक विधानसभाएं एक साथ चुनाव के एजेंडे में हैं।

इन दस्तावेज़ों में होगी संशोधन की आवश्यकता
लोक आयोग के अनुसार, एक चुनाव के लिए संविधान के चुनाव, विधानसभा और उद्देश्य के गठन और स्वतंत्रता से जुड़े अनुच्छेद 83, 85, अनुच्छेद 172 और 174 में बदलाव होंगे।

अनुच्छेद 356 को एक बार के लिए पुनः प्राप्त करना होगा। इसके तहत एक चुनाव के तहत विधानसभाओं को भंग करने का अधिकार दिया जा सकता है।

स्थानीय स्थानीय निकाय चुनाव राज्यों पर छूट की व्यवस्था
लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में नोम और विधानसभा चुनाव ही साथ-साथ की मांग की है। इसके अलावा, समुदाय समिति के सदस्यों में स्थानीय निकाय चुनाव को भी शामिल किया गया है। प्राधिकरण के अनुसार, आयोग का मानना ​​है कि स्थानीय स्थानीय निकाय चुनाव का मामला है और इसे आदिवासियों को छोड़ दिया जाना चाहिए।

दिल्ली के जोधपुर प्रोमोटर्स में 23 कोसी कमेटी की पहली बैठक हुई थी।

दिल्ली के जोधपुर प्रोमोटर्स में 23 कोसी कमेटी की पहली बैठक हुई थी।

एक देश एक चुनाव आयोग भी तैयार
निर्वाचन आयोग कह रहा है कि उसने अपने नजदीकी संसाधनों के लिए विधानसभा चुनाव का भुगतान किया है। पांच साल में मोस्ट और वेयर स्टोर की सुविधा होगी। चुनाव के दौरान 3 से 6 महीने तक अलग-अलग डॉक्यूमेंट्री के अनुसार सुरक्षा कर्मियों के मार्गदर्शन में भी कोई परेशानी नहीं होगी।

देश में 1967 तक एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था थी
एक देश की साख है, एक चुनाव का मकसद चुनाव के साथ विधानसभा का चुनाव करना है। वर्ष 1967 तक यही व्यवस्था थी। दल-परिवर्तन, बोल्टन की खुली और सरकार के अलग-अलग हिस्सों से व्यवस्था बाधित हो गई।

1959 की शुरुआत में, जब केंद्र ने केरल सरकार को हटाने के लिए इसका आवंटन 356 लागू किया। अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना के जिलों में चुनाव साथ-साथ होते हैं।

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मई 2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार आई तो कुछ समय बाद ही एक देश और एक चुनाव को लेकर विवाद शुरू हो गया। दिसंबर 2015 में लॉ कमीशन ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक रिपोर्ट पेश की थी। बताया गया था कि अगर किसी देश में एक साथ एक ही वोट और विधानसभा के लिए चुनाव होते हैं, तो इससे करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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