2022-23 में बीजेपी को चुनावी ट्रस्ट से मिलेंगे 259 करोड़ रुपये, कांग्रेस, आप, भाई, | 2022-23 में इलेक्टोरल ट्रस्ट से बीजेपी को 259 करोड़ मिले: ये सभी वोटों को 70% मिले; कांग्रेस, AAP, YRS को कुल 17.40 करोड़ मील

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नई दिल्ली5 मिनट पहले

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वित्त वर्ष 2022-23 में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 90 करोड़ रुपये मिले, जो सभी को 24.56% मिले।  - दैनिक भास्कर

वित्त वर्ष 2022-23 में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 90 करोड़ रुपये मिले, जो सभी को 24.56% मिले।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट, 2022-23 में बीजेपी को चुनावी ट्रस्ट से 259.08 करोड़ का चंदा मिला। यह सभी राजनीतिक शास्त्र को मिले मंदे का 70.69% है।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 90 करोड़ रुपये मिले, जो सभी को 24.56% मिले। इसके अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी को 17.40 करोड़ रुपये का चंदा मिला।

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से बीजेपी को 256.25 करोड़

एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022-23 में प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 256.25 करोड़ रुपये का दान दिया था। जबकि 2021-22 में बीजेपी को 336.50 करोड़ रुपये का चंदा मिला।

2022-23 में समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट एसोसिएशन ने बीजेपी को 1.50 करोड़ रुपये का दान दिया। एसोसिएशन से कांग्रेस को 50 लाख रुपए का चंदा मिला।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में 39 कॉरपोरेट और बिजनेस घराने ने इलेक्टोरल ट्रस्ट को 363 करोड़ का चंदा दिया। 34 कॉरपोरेट और बिजनेस घरानों ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को 360 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया। वहीं, एक कंपनी में समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट को 2 करोड़ रुपए का योगदान दिया।

दो इंजीनियरों ने पेरिबर्टन इलेक्टोरल ट्रस्ट को 75.50 लाख रुपये का योगदान दिया। जबकि दो इंजीनियरों ने ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये का योगदान दिया।

नेशनल प्रॉपर्टी की प्रॉपर्टी 1 साल में 1531 करोड़ रुपए
सितंबर 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट सामने आई थी। इसके मुताबिक, देश की 8 राष्ट्रीय लोकतांत्रिक घोषित संपत्ति में 1 साल में 1531 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। 2020-21 में इन पैतृक संपत्ति 7,297.62 करोड़ रुपये थी। 2021-22 के दौरान संपत्ति बाजार में 8,829.16 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई।

ये- बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई), सीपीआई (माओ), लोकतांत्रिक कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीईपी) हैं।

इलेक्टोरल ट्रस्ट स्कॉब्स क्या है?
सरकार 13 जनवरी 2013 को इलेक्टोरल ट्रस्ट स्टॉक लाई थी। कंपनी अधिनियम 1965 के खंड 25 के तहत जो भी मतदाता पंजीकृत हैं, वे इलेक्टोरल ट्रस्ट बन सकते हैं। इसके माध्यम से कोई भी कंपनी या स्पेसिफिक राष्ट्रीय या स्थानीय राजनीतिक निवेशकों को चंदा दे सकता है। इलेक्टोरल ट्रस्ट ईयर के जरिए जमा किए गए पैसे का 95% हिस्सा हर फाइनेंशियल में पॉलिटिकल डॉमिनेट को दान करना जरूरी है।

इसके साथ ही चुनावी वर्ष में इलेक्टोरल ट्रस्ट रिन्यू भी शामिल है। साल 2013 में जब यह संख्या शुरू हुई थी तो 3 इलेक्टोरल ट्रस्ट थे, लेकिन 2021-22 तक अब यह संख्या 18 हो गई है।

इलेक्टोरल बॉन्ड को भी समझें
अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो आप इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पार्टी को फंड दे सकते हैं। सरकार ने साल 2017 में इसका प्रस्ताव रखा था, जिसे 2018 में लागू किया गया।

इसके तहत कोई भी भारतीय स्टेट बैंक की विशिष्ट मानक से एक हजार, 10 हजार, एक लाख, 10 लाख और 1 करोड़ का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है। बांड के बाद सिर्फ 15 दिनों के अंदर राजनीतिक आश्रम को डोनेट करना होता है।

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इन्वेस्टमेंट बॉन्ड ने इलेक्टोरल ट्रस्ट को अच्छी तरह से समर्थन दिया है, पर वे अब भी राजनीतिक आश्रम को अच्छा फंड दे रहे हैं। 2013 में स्टार्टअप सरकार ने इलेक्टोरल ट्रस्ट्स की शुरुआत की, जिसकी कमाई 10 साल में ₹2,557.74 करोड़ रु. चंदा दिया। पढ़ें पूरी खबर…

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