2 दिनों में चार सफल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें | इसे भारत-रूस ने मिलकर बनाया, नाटो देश भी सिखाये गये हैं

नई दिल्ली16 मिनट पहले

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भारतीय वायु सेना ने बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की जांच से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए।  - दैनिक भास्कर

भारतीय वायु सेना ने बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की जांच से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए।

इंडियन एयरफोर्स सहित डिफेंस फोर्सेज ने पिछले दो दिनों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों के चार परीक्षण किए। इन विस्तारित रेंज की मिसाइलों ने अपनी मिसाइलों पर हमला कर दिया। रक्षा अधिकारियों ने 11 अक्टूबर को इसकी जानकारी दी है।

इंडियन एयर फोर्स ने सोशल मीडिया पर बुधवार शाम 4 बजे मिसाइलों की जांच से जुड़े वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए। माइक्रोसॉफ्ट में लिखा- हाल ही में पूर्वी समुद्री तट द्वीप समूह के पास ब्रह्मोस मिसाइल की सतह से मार करने वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया गया।

खोज में मिसाइलों की झलक…

अब जमीन पर मार करने वाली मिसाइल की रेंज 450 किलोमीटर से ज्यादा कर दी गई है।

अब जमीन पर मार करने वाली मिसाइल की रेंज 450 किलोमीटर से ज्यादा कर दी गई है।

इस मिसाइल की लंबाई 28 फीट है।  3000 किलो वजन वाली इस मिसाइल में 200 किलो के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं।

इस मिसाइल की लंबाई 28 फीट है। 3000 किलो वजन वाली इस मिसाइल में 200 किलो के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं।

इंडियन एयरफोर्स सहित इंडियन डिफेंस फोर्सेज ने 10-11 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के 4 सफल परीक्षण किए।

इंडियन एयरफोर्स सहित इंडियन डिफेंस फोर्सेज ने 10-11 अक्टूबर को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के 4 सफल परीक्षण किए।

इंडियन एयरफोर्स ने 29 दिसंबर 2022 को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस एयर द्वारा लॉन्च किए गए मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह 400 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकता है। परीक्षण के बाद एयरफोर्स ने बयान जारी कर कहा- इस मिसाइल का सुखोई एसयू-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से परीक्षण किया गया है। रक्षा विभाग ने बताया कि परीक्षण के दौरान मिसाइल ने जहाज को मार डाला। यह मिसाइल का एयर-लॉन्च संस्करण जहाज-रोधी संस्करण है।

नाटो देश इसे टुकड़ों में बाँटते हैं
भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को देश का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इसमें एक सशस्त्र बल में इकलौती सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल है। ये मिसाइल इतनी खास है कि चीन के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम में भी कोई खराबी नहीं आ सकती।

पश्चिमी देशों के साथ कई नाटो देश भी इस मिसाइल को अपनी मछलियाँ दिखाते हैं। ब्रह्मोस एरोस्पेस के सीईओ और एमडी अतुल दिनकर ने यह दावा किया था।

ब्रह्मोस नाम कैसे अंकित है?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटी इंटरप्राइज एनपीओएम के बीच साझा सूची विकसित की गई है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी का स्टील्थ रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, हवाई जहाज या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।

रक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के नाम पर रखा गया है। हालाँकि, कुछ वैज्ञानिको ने यह भी दावा किया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज़ मिसाइल दुनिया में सबसे तेज़ है।

ब्रह्मोस पर एक नजर

  • ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, जहाज, हवाई जहाज या जमीन से भी कहीं भी हटाया जा सकता है।
  • ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल तकनीक पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तृतीयक संगठन, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स द्वारा जब्त कर लिया गया है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल के कई संस्करण मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लोन्च, शिप-लोन्च, सबमरीन-लोन्च एयर-लोन्च का संस्करण जारी किया गया है।
  • जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किमी की रेंज में मैक 2 की स्पीड से (2500किमी/घंटा) की स्पीड से अपनी जमीन को मजबूत किया जा सकता है।
  • पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल के पानी को अंदर से 40-50 मीटर की गहराई तक छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।

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