कड़ा42 मिनट पहले
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लाहौल-स्पीति जिले के गोहरमा के प्रधान का कहना है कि गांव के पास ही एक नाला है जिसमें हर साल बाढ़ आती है। जमीन धंसने और घर में डकैती की वजह से यह नाला भी हो सकता है।
उत्तराखंड के जोशीमठ में कुटीर में डकैती की घटना के बाद कुछ ऐसा ही मामला हिमाचल प्रदेश में भी सामने आया है। लाहौल-स्पीति जिले के लिंडूर गांव में जमीन धंसने के बाद करीब 16 से 9 घरों में तलाक लिखा है।
गांव में रहने वाले 70 लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। उन्हें डर है कि उनके घर कभी भी गिर सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके खेत की जमीन भी खोदी गई है। इन लोगों ने सरकार से सर्वे की मांग की है।
हरमा गांव के प्रधान मैड्रिड ने कहा कि जून-जुलाई महीने में गांव के कुछ हिस्सों का अध्ययन किया गया और वे बड़े और फैले हुए थे, जिससे घर वालों को खतरा हो गया। गांव के 16 घरों में से 9 घरों में पटाखे छोड़े गए हैं और 4 घरों में आराम से घोषित कर दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि हर साल झामला नदी में बाढ़ आती है, जो कि गांव के पास है। घर में रिकॉर्डिंग के लिए ये नाली जिम्मेदार हो सकती है, लेकिन रिकॉर्ड्स के पीछे की वजह से जियो लॉजिकल सर्वे से ही पता चल सकता है। विद्यार्थी से इसकी मांग की गई है।

उत्तराखंड का जोशीमठ अपने प्राकृतिक प्राकृतिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से ये अभिलेख प्रसिद्ध हो गए हैं।
जोशीमठ में दारकैली है धरती
उत्तराखंड के जोशीमठ में अक्टूबर 2021 से जमीन धंसने और घर में धमाके की घटनाएं हो रही हैं। जनवरी 2023 में यहां के हालात और मंदिर हो गए। घर में बर्तन और मोटे और गहरे हो गए। जगह-जगह पानी उगलने से 868 घरों में पानी आ गया था। डिजास्टर फर्म ने अपने चार वार्डों के 181 घरों को असुरक्षित घोषित कर दिया था।
सरकार और आईआईटी मंडी से मदद मिली
लाहौल-स्पीति जिले के डिप्टी कमीश्नर राहुल कुमार ने बताया कि जिन लोगों के घर में मकान हैं, उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी गई है। लेकिन अभी तक कोई सुरक्षित जगह पर शिफ्ट नहीं हुआ है। विद्यार्थियों से प्रभावित लोगों की मदद के लिए कहा गया है।
कुमार ने बताया कि हमने सरकार से जहमला नदी की समस्या को दूर करने के लिए नहर निर्माण का आग्रह किया है। जिला प्रशासन ने आईआईटी मंडी को इस मुद्दे में रिसर्च करने, इसका कारण और उपाय सुझाने के लिए पत्र लिखा है।

प्रशासन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन लोग डरे हुए हैं।
जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह सामने आई
जोशीमठ में जमीन धंसने के अवशेषों को देखने के लिए देश के बड़े 8 वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया था। यह रिपोर्ट बेकार 700 से अधिक की है। इस रिपोर्ट में सामने आईं 8 बड़ी बातें…
- रिपोर्ट में 7 मैग्नीट्यूड से अधिक भूकंप की आशंका भी पृथ्वी ने दी।
- यह यूनिवर्सल मैन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) में आता है। इसलिए भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है।
- सीवेज सिस्टम से सीधे पानी नहीं जा रहा है, जिसके कारण भूसाव हो रहा है और जमीन में 30 मीटर तक पानी जा रहा है।
- प्राकृतिक जल प्रबंधन ने भी अपना रास्ता बदल लिया है।
- अलकनंदा नदी पर एनटीपीसी की 520 विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को क्लीन चिट दी गई है।
- जोशीमठ की जमीन के अंदर पानी के कारण प्लास्टर के खिसकने की समस्या है।
- जोशीमठ में 20 से 50 मीटर की गहराई तक भूधसाव हो रहा है।
- जोशीमठ में ढाल और बोल्डर एक ही दिशा में झुक रहे हैं, जिस पूरे क्षेत्र में छह अध्ययन से अधिक खिसका हुआ है।
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