हल्द्वानी हिंसा…दामाद और बहू को खोने वाली मुमताज का दर्द. | हिंसा..दामाद-नवासे को बूढ़ी वाली मुमताज का दर्द: मेरे घर से दूध निकालने वाले थे..बेटा उन्हें देखने को मिला; पुलिस ने मृतकों को भी नहीं लौटाया – मोरादाबाद समाचार

बक्शी (उत्तराखंड)37 मिनट पहलेलेखक: रमेश शर्मा

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हिंसा में जेलों को फिर से बरामदे वाले अभी भी रेशम के ढालों में कैद कर लिया गया है। मृत किन आकृतियों में हुई ये सच अभी भी बाकी है। दैनिक भास्कर ने अपने सहयोगियों और नवासे को बर्बाद करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मुमताज अपमान से किसी भी तरह से संपर्क साधने में हिंसा की।

मुमताज ने कहा- मेरे दोस्त तो अपने नवासे के लिए दूध निकालो घर

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