सोमवार से बंद हो जाएंगी मुंबई की पहचान काली-पीली टैक्सी | छह दशक तक चली सेवा, संरक्षण में संरक्षित करने की मांग

मुंबई3 मिनट पहले

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पिछला करीब 6 दशक से मुंबई की पहचान कही जाने वाली ‘प्रीमियर पद्मिनी’ टैक्सी सोमवार से बंद हो जाएगी। आम लोगों में इस सड़क मार्ग को ‘काली-पीली’ के नाम से जाना जाता है, जिसका रंग भी शामिल है। नई मॉडल और ऐप-आधारित कैब सेवाओं के बाद ये काली-पीली टैक्सी अब मुंबई की सड़कों से हट गई है।

आरटीओ के एक अधिकारी ने कहा कि आखिरी ‘प्रीमियर पद्मिनी’ 29 अक्टूबर, 2003 को तारदेव ड्रायवल में एक काली-पीली सड़क के रूप में पंजीकृत की गई थी।

आखिरी 'प्रीमियर पद्मिनी' 29 अक्टूबर, 2003 को काली-पीली रोड़ के रूप में पंजीकृत की गई थी।  कैब 20 साल तक चल सकती है।

आखिरी ‘प्रीमियर पद्मिनी’ 29 अक्टूबर, 2003 को काली-पीली रोड़ के रूप में पंजीकृत की गई थी। कैब 20 साल तक चल सकती है।

विस्तार में, शहर में कैब ऑपरेशन समय सीमा 20 साल है, ऐसे में अब सोमवार से मुंबई में आधिकारिक तौर पर ‘प्रीमियर पद्मिनी’ ड्राइवर नहीं। मुंबई की नवीनतम पंजीकृत प्रीमियर पद्मिनी रोड (H-01-JE-2556) की मालिक प्रभादेवी ने कहा, ये मुंबई की शान है और हमारी जान है।

वहीं, कुछ लोगों ने मांग की है कि कम से कम एक ‘प्रीमियर पद्मिनी’ को सड़क पर या सचिवालय में संरक्षित किया जाए।

लोगों का रेलवे स्टेशन

पुरानी कारों के शौकीन डैनियल सिकेरा ने कहा है कि ये मजबूत टैक्सी 6 दशक से ज्यादा समय से शहर का हिस्सा बनी हुई है और पिछली कई पुरानी कारों से पुरानी कारों का हिस्सा बनी हुई है।

परेल निवासी और कला प्रेमी प्रदीप पालव ने कहा कि केवल मुंबई में दीवारों पर स्मारकों पर ‘प्रीमियर पद्मिनी’ टैक्सी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा, हालांकि, यह धीरे-धीरे लुप्त हो गए हैं, लेकिन ली लोगों की कहानियों में जगह बन गई है।

‘मुंबई रोडमेंस यूनियन’ के जनरल एल क्वाड्रोस को याद है कि ‘प्रीमियर पद्मिनी’ की यात्रा 1964 में ‘फिएट-1100 डिलाइट’ मॉडल के साथ शुरू हुई थी।

आदिवासी संघ ने थी थी चुनौती

कुछ साल पहले, शहर के सबसे बड़े टैक्सी चालक संघ में ‘मुंबई रोडमैन यूनियन’ ने सरकार से कम से कम एक काली-पीली टैक्सी को संरक्षित करने के लिए भर्ती की थी, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।

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