सुप्रीम कोर्ट मनीष सिसौदिया की जमानत याचिका | कोर्ट का कहना है कि सीबीआई ईडी आप नेता को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रख सकती | ईडी-सीबीआई से कहा- उन्हें अनिश्चित काल तक न्याय में नहीं रखा जा सकता

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नई दिल्ली12 मिनट पहले

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अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई की।  - दैनिक भास्कर

अदालत ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को ईडी-सीबीआई से पूछताछ की कि दिल्ली में शराब नीति के मामले में मनीषी पर आरोप कब तय होगा। आप उन्हें अनिश्चित काल के लिए न्याय में नहीं रख सकते। जेस्टिस संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की पीठ पर सईद की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने जांच की, बिशप की तरफ से पेश किए गए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी रेस्टुरेंट से पूछा- एक बार किसी मामले में पैनल फ्रेमवर्क हो जाने के बाद, तर्क पर बहस तुरंत शुरू हो गई। गैंगस्टर कोर्ट में मसूद के खिलाफ़ बहस कब शुरू होगी।

कोर्ट ने कहा- बहस कब शुरू होगी, हमें मंगलवार तक बात
एएसजी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीआरपीसी की धारा 207 (आरोपी को दस्तावेज की आपूर्ति) के खिलाफ मसूद के केस के चरण में है। उसके बाद आरोप पर बहस शुरू हो जाएगी। इसपर जस्टिस खन्ना ने पूछा, “आरोप पर बहस अभी तक क्यों शुरू नहीं हुई और वे कब शुरू होंगी? हमें 17 अक्टूबर (मंगलवार) तक बताएं।” की सब्सिडी पर सुनवाई आज फिर होगी।

आम आदमी पार्टी को बनाया जा सकता है इंफ्रास्ट्रक्चर- ED-CBI
पाठ्यपुस्तक का पक्ष रख रहे एएसजी रेउड्री ने अदालत में यह भी कहा कि इस मामले में आम आदमी पार्टी को भी डीएमयू बनाने पर विचार कर रही हैं। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ईडी से पूछा था कि जब शराब नीति का सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को मिला है, तो मनीष सिसौदिया को नहीं। ऐसे में एजेंसी ने प्रोजेक्ट को बुनियादी ढांचा क्यों नहीं बनाया है?

एएसजी दादू ने सरकारी गवाहों से बने दिल्ली के मस्जिद दिनेश अरोड़ा के बारे में बयान दिया और दावा किया कि उन्होंने बच्चों के बारे में यह भी बताया कि जो मसूद ने ली थी। एएसजी ने कहा, ”उसे (अरोड़ा) ने अपने बयान में कहा है कि उन्होंने सबसे पहले सोसाद के बारे में नहीं बताया था क्योंकि उन्हें डर था कि उन्हें नुकसान होगा।”

बेंच ने यह भी पूछा कि ससौदी के खिलाफ आपराधिक दंड अधिनियम की धारा 17 ए के तहत मुकदमा दायर किया गया है, जिस पर आपत्ति जताई गई है। यह धारा पुलिस अधिकारी किसी लोक सेवक के अपराध की जांच के लिए मिशन लेने की अनिवार्यता बताता है।

ईडी ने चार अनपेक्षित पदों पर केस दर्ज किया
करीब 10 महीने तक जांच-पड़ताल करने के बाद 1 जून को ईडी ने अपनी जांच पूरी की। एजेंसी ने इस मामले में चार अनपेक्षित पदों की जांच की। ईडी ने कोर्ट को बताया कि उनके करीबी सोमनाथ के खिलाफ सबूत हैं। ईडी के मुताबिक, मसूद ने 14 फोन और 43 सिम कार्ड के बदले में साक्ष्य प्रमाण पत्र दिया था, जिसमें पांच सिम का नाम भी शामिल था।

सोयाबीन के केस में क्या हुआ

  • दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू करने की घोषणा की, लेकिन सितंबर 2022 के अंत में समर्थकों के पोर्टफोलियो को रद्द कर दिया।
  • मनीष सोसाद को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। टैब से वह ड्यूक में हैं। ​ईडी ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 28 फरवरी को मसूद ने दिल्ली कैबिनेट से छुट्टी दे दी थी।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई केसरी में सईद को जमानत देने से मना कर दिया था और कहा था कि वह एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
  • 3 जुलाई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में कर्मचारियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, इसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं।

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228 दिन से जेल में हैं; पिछली तारीख पर अदालत ने ईडी से पूछा था- उनके साक्ष्य के खिलाफ?

शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष मसूद की जमानत याचिका पर 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, इस केस की सुनवाई करने वाले जज जस्टिस संजीव का किसी और केस की सुनवाई बिजी थे। इससे पहले 5 अक्टूबर को कोर्ट ने जांच एजेंसी ईडी से पूछा था कि आखिर कहां हैं साजिद के सबूत? पढ़ें पूरी खबर…

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