सीबीआई ने अहमदाबाद स्थित मयंक तिवारी के परिसरों की तलाशी ली है, जो कथित तौर पर खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का एक उच्च पदस्थ अधिकारी बता रहा था और एक नेत्र अस्पताल श्रृंखला पर 16 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया भूलने के लिए दबाव डालने की कोशिश कर रहा था। इंदौर स्थित एक अस्पताल, अधिकारियों ने कहा। | पीएमओ के अधिकारी अस्पताल के एक ग्रुप को धमकाते हुए पहुंचे, डॉक्टर ने दर्ज कराया केस

  • हिंदी समाचार
  • राष्ट्रीय
  • सीबीआई ने अहमदाबाद स्थित मयंक तिवारी के परिसर की तलाशी ली है, जो कथित तौर पर खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का एक उच्च पदस्थ अधिकारी बता रहा था और एक नेत्र अस्पताल श्रृंखला पर इंदौर के एक व्यक्ति के 16 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया को भूलने के लिए दबाव डालने की कोशिश कर रहा था। आधारित अस्पताल, अधिकारियों ने कहा।

हाँ10 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
करीब चार महीने पहले वडोदरा में एक मामले में ठग मयंक तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।  - दैनिक भास्कर

करीब चार महीने पहले वडोदरा में एक मामले में ठग मयंक तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।

गुजरात के राक्षस महाठग किरण पटेल कांड के बाद एक और फर्जी अधिकारी का मामला सामने आया है। किरण पटेल की तरह होने वाली अभिनेत्री मयंक तिवारी भी खुद को एक्टर एड डिकैलर की बात से नाराज करती हैं। करीब चार महीने पहले वडोदरा पुलिस ने एक मामले में इसे गिरफ्तार किया था।

अब एक हॉस्पिटल ग्रुप को धमकाने के साथ काम पर रखा गया है। आज सोलंकी की टीम ने अपने गुजरात स्थित कई स्मारकों पर भी कब्जा कर लिया है। पेसाओ की ओर से भेजे गए पत्र में बताया गया है कि मयंक तिवारी ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में ग्रीमेंट एड अलेक्जेंड्री में शामिल होने की बात कही थी।

डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल श्रृंखला है जो छह दशक से भारत और दक्षिण अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल है।

डॉ.अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल श्रृंखला है जो छह दशक से भारत और दक्षिण अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल है।

क्या हुआ है मामला, जिसमें ने कहा था स्मारक?
डॉ. में दर्ज हुई दुकान, प्रधानमंत्री कार्यालय में खुद को एड डिपेंडर की हुई मौत, मयक तिवारी आईज हॉस्पिटल की चेन वाले एर्ग ग्रुप के सीईओ डॉ. अग्रवाल को धमाका हो रहा था। जानें कुछ महीने पहले डॉ. एरल और डेकोर में विनायक स्मारकालय दुकान वाले एडोर के दो पादरी (डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा) ने जनवरी 2020 में एक यू आइडियोन यू साइन किया था।

सिद्धांतयू की शर्तो के अनुसार, विनायक उत्सवालय की पूरी टीम डॉ. अग्रवाल हास्पिटल में स्थानापन्न स्थान था। लेकिन, एग्रीमेंट के बाद भी दोनों डॉक्टरों ने डॉ. अग्रवाल के अस्पताल में काम नहीं किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल ने दोनों डॉक्टरों के अधीन व्यवस्था बनाकर 16.43 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि डॉ. में हस्ताक्षर करने के बाद दोनों पक्षों ने पैसे ले लिए और हस्ताक्षर कर दिए। अग्रवाल के उत्सव अस्पताल में आने वाले शिष्यों को अन्य उत्सवों के नजदीक मनाना शुरू कर दिया गया।

डॉ. अग्रवाल ने लगाया आरोप डॉ. सिंह और डॉ. वर्मा ने कुछ दूसरे आशिकों के साथ मिलकर एक दूसरा अस्पताल खोला था। इसके बाद डॉ. अग्रवाल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जुलाई 2022 में डॉ. अग्रवाल के पक्ष में कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया। टी

लेकिन, इसी बीच इसी बीच ठग मयंक तिवारी की एंट्री हो गई। तिवारी ने नवजात दोनों डॉक्टरों की ओर से डॉ. अग्रवाल को खतरनाक देना शुरू कर दिया गया कि वे दिग्गजों के शेयरों में डूब गए। इस दौरान डॉ. अग्रवाल के सामने खुद कोवेताओ का एक अधिकारी था।

अग्रवाल ग्रुप नेओ की याचिका
खतरनाक मुलाकात के बाद अग्रवाल ग्रुप ने मयंक तिवारी के खिलाफ याचिका कर दी और जांच की, जिसमें मयंक तिवारी के फर्जी अधिकारी होने की बात सामने आई है और अब मयंक अख्तर के शिकंजे में है। बता दें, डॉ. अग्रवाल हेल्थ केयर लिमिटेड बड़ा हास्पिटल चेन है, जो छह दशक से भारत और दक्षिण अफ्रीका में 100 से अधिक आई हॉस्पिटल स्थित है।

खुद कोओ वेबसाइट के प्रमुख सलाहकार सुझाव वाला ठग मयंक तिवारी।

खुद कोओ वेबसाइट के प्रमुख सलाहकार सुझाव वाला ठग मयंक तिवारी।

अब जानिए, 4 महीने पहले किस केस में हुआ था रेस्टोरेंट में अरेस्ट?
ठग मयंक तिवारी ने खुद के कोओ के सलाहकार सलाहकार के तौर पर वडोदरा के एक नामी प्राइवेट स्कूल में दो बच्चों का दाखिला कराया था। मयंक ने अपने दो बच्चों के स्कूल में एक पारिवारिक मित्र के नाम पर स्कूल के लिए शेयरधारकों की तैनाती की थी।

आपके स्कूल में उनके दो बच्चों का आशिक मौजूद है। ईस्टर्न ने स्कूल के ट्रस्टियों को लालच दिया कि वो इस स्कूल को शिक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में करवाकर कई तरह के प्रोजेक्ट दिलवा सकते हैं। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चों को स्टूडेंट दे दिया था।

स्कूल प्रबंधन की पूछताछ में हुआ खुलासा
बच्चों के हितधारकों के कुछ महीनों के बाद स्कूल ने निवेशकों के बारे में सूचना प्रौद्योगिकी शुरू की। स्कूल के ट्रस्टी ने कई लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि मयंक कोई पीएमओ का अधिकारी नहीं है। इसके बाद स्कूल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद यह धोखाधड़ी पकड़ी गई। इस मामले में मकर संक्रांति पर ज़मानत बाहर है।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *