सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ | सुप्रीम कोर्ट सांकेतिक भाषा दुभाषिया नियुक्ति | मूक-बधिर वकीलों के तर्की कोर्ट को समझाएगा; SC में मूक-बधिर वकील लड़कियाँ हैं केस

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नई दिल्ली25 मिनट पहले

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22 सितम्बर को पहली बार एक मूक-बधिर वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में केस की लड़ाई लड़ी थी।  - दैनिक भास्कर

22 सितम्बर को पहली बार एक मूक-बधिर वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में केस की लड़ाई लड़ी थी।

सुप्रीम कोर्ट में साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटर को नियुक्त किया गया है। इस मूक-बधिर वकील भी सर्वोच्च न्यायालय में केस लड़ो। इंटरप्रिटर उनके साइन लैंग्वेज को समझकर उनके तर्कों को कोर्ट को समझाएगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी घोषणा की।

इससे पहले 22 सितंबर को पहली बार एक मूक-बधिर वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में केस की लड़ाई लड़ी थी। उस दौरान उनके इंटरप्रिटर सौरभ रॉय चौधरी ने सारा के बारे में बात समझकर कोर्ट को बताई थी

सारा का केशलन (PwD) की अथॉरिटी से कारोबार हुआ था। इसी सुनवाई में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वे कॉन्स्टिट्यूशन बेंच की सुनवाई के लिए एक इंटरप्रिटर चाहते हैं।

कोर्ट ने कहा था सारा के इंटरप्रिटर की शान
22 सितंबर को सारा केस की सुनवाई सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच वाली बेंच ने की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सारा के इंटरप्रेटर सौरभ को अपना वीडियो ऑन की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन जिस रैपिड से वे सारा के रिव्यू को समझकर कोर्ट को बता रहे थे, जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हो रहा था कि सारा ने अपनी बात इंटरव्यू में कही रही हैं।

ऐसे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता समेत लाइब्रेरी से जुड़े सभी लोगों को देखने की उत्सुकता हुई। इसके बाद कोर्ट ने सौरभ को भी वीडियो ऑन करने की इजाजत दे दी। सुनने के बाद सभी ने सौरभ के काम की सराहना की।

तस्वीर- मूकबधिर वकील सारा सनी की है, सुप्रीम कोर्ट में केस की लड़ाई थी।

तस्वीर- मूकबधिर वकील सारा सनी की है, सुप्रीम कोर्ट में केस की लड़ाई थी।

सारा ने कहा था-इंटरनेशनल के लिए नए संगीतकारों का जन्म हुआ
वकील सारा ने सौरभ और सीजेआई की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि सीजेआई के खुले विचारों वाले उनके विचारों से उनके लिए नए मुद्दे पैदा हुए हैं। मामले की सुनवाई के लिए मैं वहां नहीं था। इसलिए मेरी सीनियर सेक्रेटा ने केस की श्रोता श्रृंखला बनाने की व्यवस्था की। वे साबित करना चाहते हैं कि गैर-कानूनी लोग भी किसी से पीछे नहीं हैं।

CJI ने निवेशकों की सहमति के लिए एक समिति बनाई थी
पिछले साल सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में कॉम्प्रिहेन्सिव असिबिलिटी चेकिंग के लिए कमेटी बनाई थी। उनके इस कदम का उद्देश्य न्याय प्रणाली को आसान बनाना और विशेष लोगों का उद्घाटन करना था।

सीजेआई इस साल की शुरुआत में अपनी दो अविवाहित बेटियों को लेकर कोर्ट में पहुंचे थे। उन्होंने बेटी को दिखाया कि कोर्ट में कामकाज कैसे होता है। उन्होंने अपनी बेटी को यह भी बताया कि वो एसोसिएट जज प्लास्ट प्लेस हैं और वकील स्टोक्स बहस करते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने दोनों का अपना चेंबर भी दिखाया था।

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