नई दिल्ली3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/13/supreme-court1581538123_1705132417.jpg)
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और स्टालिन दीपांकर समर्थकों की याचिका ने शुक्रवार (12 जनवरी) को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं पेश कीं।
पीठ ने एक्ट के सहयोगियों की नियुक्ति की जांच को मजबूत करने की पेशकश की, लेकिन चुनाव आयुक्तों की पेशकश वाले नए कानून पर रोक लगाने से मना कर दिया गया।
पृष्ट ने सीईसी और ईसी की याचिका वाले नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नये कानून का सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन
कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर की नामांकन दाखिल में आरोप लगाया गया है कि धारा 7 और 8 स्वतंत्र और शिक्षक चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि यह चुनाव आयोग के सदस्यों के लिए स्वतंत्र तंत्र (स्वतंत्र तंत्र) प्रदान नहीं करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को पलटने के लिए बनाया गया था, जिसे सीईसी और ईसी को केंद्र सरकार की शक्तियों के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी। ये वो प्रतिज्ञा है जो देश की आजादी के बाद से चल रही है।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/13/ec-21681173106_1705132510.jpg)
यह है सीईसी और ईसीईसी की दवा का तरीका
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट के 5वें सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष जस्टिस केईएम जोसेफ ने चुनाव आयुक्त की याचिका पर फैसला सुनाते हुए आदेश दिया था कि पीएम, विपक्ष में विपक्ष और सीजेआई के सहायकों को दोषी ठहराया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यह आदर्श तब तक लागू रहेगा, जब तक संसदीय चुनाव आयुक्तों की अपील को लेकर कोई कानून नहीं बनेगा। चयन प्रक्रिया सी.बी.आई. के अधिकार क्षेत्र पर अधिकार होना चाहिए।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/13/rajeev-w1694790647_1705131944.jpg)
केंद्र सरकार के पैनल में सीजेई के सामने कोई विरोध नहीं था। सर्वोपरि का कहना था कि यह सर्वोच्च न्यायालय के शटर हैं। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम कर रही है।
चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं?
चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या फिक्स नहीं दी गई है। संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में कहा गया है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित है कि भिन्न संख्या कितनी होगी। आज़ादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे।
16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और आयुक्तों की नियुक्ति की। यह चुनाव आयोग एक बहु-सदस्यीय निकाय बन गया। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली बार हुईं। उस वक्त में कहा गया था कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त आर.
2 जनवरी 1990 को उपाध्यक्ष सिंह सरकार ने संशोधन और चुनाव आयोग को फिर से एक सचिवालय निकाय बना दिया। एक अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने फिर से दो और चुनावी आयुक्तों के दावों को मंजूरी दे दी। टैब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
यह खबर भी पढ़ें…
चुनाव आयुक्तों पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय स्पष्ट: सरकार के चुनाव आयुक्त ही कराएंगे 2024 का आम चुनाव
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/13/explainer4th-march-cover-11677863856_1705131683.jpg)
चुनाव आयुक्तों पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2024 के चुनाव आयोग तक रहेगा रहेगा। इसके साथ ही, निर्णय लागू होने के बावजूद कुफेर-फिराकर केंद्र सरकार की पसंदीदा वस्तु ही चुनाव आयुक्त बनने जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…