सिख सिंह या कौर उपनाम पर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय | सिंह-कौर सरनेम सिखों की पहचान के लिए जरूरी नहीं: गुरुद्वारे समिति के चुनाव को चुनौती दी गई थी; जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने खारिज करने की अर्जी दाखिल की

उत्तर1 घंटा पहले

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अखनूर डी.जी.पी.सी. के युद्ध वाले सेनापति ने यह नामांकन जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालयों में किया था।  - दैनिक भास्कर

अखनूर डी.जी.पी.सी. के युद्ध वाले सेनापति ने यह नामांकन जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालयों में किया था।

जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय का कहना है कि सिख धर्म के व्यक्ति की पहचान के लिए उसके सरनेम में ‘सिंह’ या ‘कौर’ होना जरूरी नहीं है। असल, सत्यार्थी सादिक नार्गल की बेंच अखनूर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कमेटी (डीजीपीसीपी) के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वैधानिक अपीलीय याचिका से ख़ारिज होने के बाद गैस एजेंसी की ओर प्रस्थान किया गया था।

दादाजी ने अखनूर में डीजीपीसी का चुनाव लड़ा और हार गईं। यूपी चुनाव परिणाम को चुनौती दी गई थी। उनका कहना था कि चुनाव में कुछ गैर-सिख मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया गया था। इन मतदाताओं के सरनेम में ‘सिंह’ या ‘कौर’ नहीं था।

याचिका में यह भी कहा गया है कि गैर-सिखों को पूरी चुनाव प्रक्रिया में शामिल करना खराब हो गया है और उन्होंने डुप्लिकेट प्रवेश और मृत मतदाताओं के वोट की भी बात कही थी।

ऐसे कई लोग जो सरनेम सिंह या कौर नहीं- जस्टिस नरगल
न्यायाधीश डॉबेड सादिक नर्गल ने जम्मू-कश्मीर सिख गुरु और धार्मिक धार्मिक अधिनियम, 1973 का ज़िक्र करते हुए कहा- “याचिकाकर्ता का तर्क 1973 के अधिनियम में निर्धारित परिभाषा का उलटा है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। न ही यह कानून की नजर में है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जहां सरनेम में सिंह या कौर नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें सिख धर्म के रूप में प्रचारित किया जाता है, क्योंकि वे सिख धर्म का प्रचार करते हैं।

ब्रह्मा ने आधार दीन तथ्य सत्य तथ्य पर आधारित अपील की
कोर्ट ने कहा कि सुपरस्टार ने डेस्टिनेशन और डेविल्स के लिए निर्धारित समय सीमा के बीच के गैस्ट्रोनोमिक लिस्ट को लेकर कोई डेविल्स नहीं दिया था। यह भी देखा गया कि पूरी चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने के बाद भी वोट को बढ़ावा नहीं दिया गया।

जस्टिस नर्गल ने कहा – यह एक अनूठा मामला है, जहां अपीलकर्ता अपीलार्थी प्रवेश करने और चुनाव में भाग लेने का अवसर लेने में लगे हुए हैं। सूची में शामिल होने पर वह नामांकन प्रपत्र तैयार करके पलट गया। इस प्रकार दस्तावेज़ आधार नियुक्ति को अस्वीकार कर दिया गया।

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