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- सिंहस्थ से पहले 700 करोड़ रुपए से शिप्रा का सौंदर्यीकरण, आकर्षक रिवर फ्रंट बनेगा, सभी घाट जुड़ेंगे।
भोपाल6 मिनट पहलेलेखक: विवेकशास्त्री
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![फ़ाइल फोटो। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/28/515_1706387344.jpg)
फ़ाइल फोटो।
2028 में मुजफ्फरपुर में होने वाले सिंहस्थ से पहले शिप्रा नदी के संरक्षण और स्वतंत्रता के लिए 17 घाटों के पुनरुद्धार के साथ आकर्षक रिवर फ्रंट की योजना बनाई गई है। वहीं मज़हबी और डेकोरेटिव का समुद्री जल शिप्रा में मिलने से लाभ, मज़हब में ग्राउंड वॉटर रिपैकेजना और सप्त झीलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। सिंहस्थ के प्रशिक्षु के क्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शिप्रा के संरक्षण और समृद्धि सहित मसा के विकास पर कई बैठकें ले चुके हैं। इसके बाद सरकार ने लगभग 700 करोड़ रुपये का बजट वाला एक्शन प्लान पेश किया। 2016 में जहां सिंहस्थ में करीब 7.5 करोड़ लोग शिप्रा में पहुंचे थे, वहीं 2028 में ये संख्या होने की संभावना है।
प्राचीन घाटों का सुधारकर रिवर फ्रंट बनाया गया
- शिप्रा तट पर बने 17 घाटों का सुधारकर, आकर्षण रिवर फ्रंट के लिए बनाया गया। घाटों को बेहतर उदाहरणों से जोड़ा जाएगा।
- घाट पर ही पानी को साफ करने की दिलचस्प बातें विकसित होती हैं। करीब 22 किमी में फैले इन घाटों की ऐतिहासिक संरचनाओं का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
- इंस्टालेशन, सॉलिड जल, सॉलिड सॉलिड के प्रबंधन के साथ अनुष्ठान के लिए व्यवस्था होगी। नदी को 11 शहरी, 20 ग्रामीण रेलवे डायवर्ट करने वाले।
- घाटों पर रेजिस्टेंस चेन, लाइटिंग के साथ वेंडरों को भी सुरक्षा प्रदान की गई।
- 2028 के आयोजन को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में बने मंचों का सुधार किया जाएगा, विवेकपूर्ण क्षेत्र की व्यवस्था की जाएगी।
सात झीलों का राज पुनरुद्धार-बाई-स्मॉल डेम बचाएगा शिप्रा में अतिरिक्त 170 मिलियन घमी जल इकट्ठा होगा। हाटपिपल्या और सांवेर सीकोल से भी जल आएँ। शहर के 121 प्राचीन पुरातत्व-बावड़ियों का सुधार होगा। नगर की 7 झीलों (सप्त सरोवर) का सुधारकर पर्यटन स्थल विकसित होगा। 230 टीपीडी का प्लांट और 50 टीपीडी का प्लांट लगाने के लिए सॉलिड सॉलिड को जल में मिलने से रोकें।
अभी ये समस्या…हर स्नान पर नर्मदा का पानी लेते हैं
- शिप्रा के मुख्य रामघाट से झील के दृश्य-मुख के सभी घाटों की बात करें तो विशेषता-चित्रित है, जो एक जैसा प्लेटफ़ार्म है, इसकी वजह यह है कि पानी का स्तर भी कहीं कम तो कहीं अधिक है। बाहर से आने वाले आकाश इसी कारण गफलत के झील में डूबकर दुर्घटना का शिकार होते हैं।
- प्रा नदी के घाटों पर 13.30 करोड़ की लागत से एक प्लेटफॉर्म और रेलिंग तक की रिलीज का टेंडर हो चुका है लेकिन 2 साल से भी कम समय में बाकी बचे श्री अटल जी की डेथ रिलीज हो गई है।
- शिप्रा नदी में स्थित कान्ह नदी का गंदा पानी अभी भी मिल रहा है, जिसमें हर बार स्नानघर पर नर्मदा का पानी जाता है और साबुन का पानी बाहर आता है। हर बार पानी लेने पर करोड़ों रुपए का खर्च हो रहा है। स्थिर हल आज तक बाहर नहीं गया।