संसदीय पैनल ने एससी, एसटी संकाय उम्मीदवारों के खिलाफ ‘पूर्वाग्रह’ का संकेत दिया | शिक्षण संस्थानों में SC/ST फैकल्टी के साथ भेदभाव: संसदीय पैनल ने कहा- उन्हें संवैधानिक घोषित किया जाए

नई दिल्ली14 मिनट पहले

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एनालिटिक्स के अध्यक्ष नॉमिनल किरीट प्रेमजीभाई एलसीडी ने न्यू यॉर्क कोनोज़ में रिपोर्ट पेश की।  - दैनिक भास्कर

एनालिटिक्स के अध्यक्ष नॉमिनल किरीट प्रेमजीभाई एलसीडी ने न्यू यॉर्क कोनोज़ में रिपोर्ट पेश की।

एक संसदीय समिति ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों में ज्वालामुखीय वर्गों और पुस्तकालयों को फैकल्टी मेंबर के लिए न्यायिक निर्णय घोषित किया जाता है। एससी/एसटी कल्याण के लिए गठित समिति ने मंगलवार को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की। पैनल ने कहा कि वह सरकार का घीसा-पिटा जवाब तैयार नहीं कर पाई है, लेकिन पर्याप्त संख्या में सामान नहीं मिल पाएगा।

यह रिपोर्ट एससी/एसटी के सामाजिक-आर्थिक विकास में ऑटोनॉमस बॉडीज/एजुकेनल इंस्टीट्यूशन की भूमिका पर आधारित है। इन शिक्षण संस्थानों में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईएम, आईआईटी, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और सेंट्रल स्कूल शामिल हैं।

पैनल ने जिन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की रिपोर्ट पेश की है, उनमें सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईएम, आईआईटी, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और सेंट्रल स्कूल शामिल हैं।

पैनल ने जिन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स की रिपोर्ट पेश की है, उनमें सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईएम, आईआईटी, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और सेंट्रल स्कूल शामिल हैं।

विकलांगता का ठीक से आकलन नहीं किया जा रहा है
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिमाह जातियां और जनजाति जनजातियां जो हर तरह से फैकल्टी में बनने के लिए हैं, उनका ठीक से आकलन नहीं किया जा रहा है। एमेक्शन सिल कमिटी ने निर्धारित तरीके से ‘अयोग्य’ घोषित कर रखी है, ताकि एससी/एसटी विधायकों को फैकल्टी में शामिल किया जा सके और उनके कानूनी हक से वोटिंग कराई जा सके।

एम्स की सिलेक्शन कमेटी में एक भी एससी/एसटी सदस्य नहीं
इस संसदीय समिति के अध्यक्ष नॉमिनल किरीट प्रेमजी भाई ने कहा कि नई दिल्ली के एम्स में फैकल्टी पोस्ट के लिए सिलेक्शन कमेटी की प्रक्रिया स्थायी है। इस समिति में सात सदस्य शामिल हैं। इस समिति में SC/ST समुदाय का ये एक भी सदस्य नहीं है। इस समिति में एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों को शामिल किया जाना जरूरी है, ताकि एससी/एसटी समुदाय का प्रतिनिधित्व हो सके और वे एम्स में एससी/एसटी कर्मचारियों के प्रवेश में सहायता कर सकें।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में स्टॉक और फैकल्टी दोनों के लिए रिजर्वेशन काउंसिल को लागू किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में स्टॉक और फैकल्टी दोनों के लिए रिजर्वेशन काउंसिल को लागू किया जाना चाहिए।

सुपर स्पेशलिटी कोर्सेज में आरक्षण लागू करना जरूरी
प्रोफेसर ने यह भी कहा कि सुपर स्पेशियलिटी कोर्सेज में आरक्षण मान्य नहीं है। इसलिए एससी/एसटी समुदाय के सदस्य सुपरस्पेशलिटी कोर्स में दाखिला नहीं ले सकते हैं। इस कारण से ये छात्र सुपर-स्पेशियलिटी कोर्सेज से मूल्यवर्ग में जा रहे हैं और अनारक्षित फैकल्टी मेंबर्स का एकाधिकार बना हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में प्लांट और फैकल्टी दोनों के लिए आरक्षण मंजूरी लागू की जानी चाहिए, ताकि यहां एससी/एसटी समुदाय के लोगों की सहमति बनी रहे। इसके लिए समिति का कहना है कि एससी/एसटी अभ्यर्थियों और साधकों के लिए ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण के लिए भेजा जाए, ताकि सभी सुपर स्पेशलिटी क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व हो सके।

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