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- शरद पवार बनाम अजित पवार; वसंतदादा पाटिल सरकार | महाराष्ट्र NCP संकट
मुंबई22 मिनट पहले
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![शरद शरद 38 साल की उम्र में बगावत मुख्यमंत्री बने थे। हालाँकि, उन्होंने कहा कि मैंने आपसी सहमति से निर्णय लिया था। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/26/comp-81-2_1703564661.gif)
शरद शरद 38 साल की उम्र में बगावत मुख्यमंत्री बने थे। हालाँकि, उन्होंने कहा कि मैंने आपसी सहमति से निर्णय लिया था।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 1978 में स्प्रिंगदादा पाटिल की सरकार में खुद मुख्यमंत्री बनने के कदम को सही बताया है। उन्होंने कहा- मैंने जो किया था, वह बगावत नहीं था। सैद्धांतिक सहमति से लिया गया फैसला.
बिहार, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत अजित ने रविवार (24 दिसंबर) को बारामती में शरद ऋतु के 1978 में कड़े कदम पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा- स्प्रिंगदादा एक अच्छे नेता थे, लेकिन वे टूट गए और जनता ने पार्टी से हाथ मिला लिया। ऐसा नहीं है कि पहले किसी ने ऐसा कदम नहीं उठाया, जैसा मैंने उठाया। मैंने तो 60 साल की उम्र पार करने के बाद ऐसा फैसला लिया, इसलिए हर किसी को एक कदम उठाने की जरूरत है।
शरद पवार ने 25 दिसंबर को जवाब देते हुए कहा- मैंने कोई धोखा नहीं दिया था। सब लोगों ने मिलकर यही निर्णय लिया। इसलिए शिकायत करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
![1978 में महाराष्ट्र के गवर्नर सादिक अली शरद पवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते हुए।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/12/26/sharad-11688395443_1703561185.png)
1978 में महाराष्ट्र के गवर्नर सादिक अली शरद पवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाते हुए।
भारत के पीएम ने शरद पवार से क्या कहा?
भारत से विवादास्पद प्रतियोगिता को लेकर सवाल पूछने पर शरद पवार ने कहा- 1977 में मल्टीपल के बाद भी किसी का फेस प्रोजेक्ट नहीं किया गया था। चुनाव के बाद मोराराजी रेड्डी प्रधानमंत्री बने थे। अगर लोगों का मूड बदल रहा है तो बदलाव होगा।
सर्वे में महाविकास अघाड़ी सरकार को बढ़त मिलने पर उन्होंने कहा- सर्वे सिर्फ संकेत देते हैं। इसके आधार पर किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाया जा सकता।
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1978 में कैसे बने थे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार?
वर्ष 1977 में निधन के बाद कांग्रेस दो गुटों इंदिरा की कांग्रेस (आई) और डी देवराज उर्स की कांग्रेस (यू) में बंट गई थी। शरद शरद कांग्रेस (यू) में शामिल हो गए थे।
1978 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुआ तो दोनों कांग्रेस अलग-अलग लड़कियाँ। जनता पार्टी कुल 288 में से 99 में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन बहुमत पीछे रह गयी। कांग्रेस (एआई) को 62 और कांग्रेस (यू) को 69 को प्राथमिकता मिलीं।
चुनाव के बाद दोनों बने कांग्रेस ने मिलकर मिलकर सरकार बनाई और स्प्रिंगदादा पाटिल मुख्यमंत्री बने। सरकार बने साढ़े चार महीने ही हुए थे कि शरद पवार ने 40 नामावली के साथ बगावत कर दी। इससे गठबंधन सरकार गिर गई। शरद पवार ने 18 जुलाई 1978 को प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार बनाई और महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र (लगभग 38 वर्ष) के मुख्यमंत्री बने।
हालाँकि ये सरकार ज़्यादातर दिन नहीं चल पाई। जनता पार्टी में फ़ुट टैग किया गया। इंदिरा गांधी की प्रतिष्ठा पर एक साल बाद ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ और राष्ट्रपति की पहली सरकार को ख़त्म कर दिया गया।
अजीत पवार भी बगावत करके ही बने डिप्टी सीएम
जुलाई 2023 में अजित एनसीपी के 40 नामों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। गठबंधन सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया गया।
शरद से बगावत के बाद अजित ने दावा किया कि एनसीपी बहुमत में है। इसलिए पार्टी का नाम और सिंबल उनका अधिकार है।
अजीत ने 30 जून को चुनाव आयोग में एनसीपी पार्टी के नाम और चुनाव का पर्चा दाखिल करने का दावा किया था।
दूसरी तरफ शरद पवार ने पार्टी छोड़ने वाले 9 कलाकारों सहित 31 कलाकारों को अलग घोषित करने की मांग की है।
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