बैंकॉकएक मिनट पहले
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विश्व हिंदू कांग्रेस ने शुक्रवार 24 नवंबर को हिंदुत्व यानी हिंदुत्व शब्द का त्याग करने की घोषणा की। इसके स्थान पर हिंदुत्व और हिंदू धर्म के शब्द मिलते-जुलते हैं, जो सनातन धर्म का भाव जगाते हैं।
विश्व हिंदू कांग्रेस के तीसरे संस्करण में कहा गया है कि ‘हिंदू’ शब्द बहुत विस्तृत है। ये जिन बातों को सम्मिलित करता है, जिन बातों को अपने अंदर समाहित करता है, उनके लिए ‘हिंदुत्व’ शब्द सबसे सही है।
विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन हर चार साल में होता है। वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन ने इस बार के कार्यक्रमों का आयोजन राजधानी बैंकॉक में किया है। 24 नवंबर से शुरू हुआ कार्यक्रम 26 नवंबर तक चलेगा।
हिंदू धर्म शब्द का भाव दमनकारी और भेद है
विश्व हिंदू कांग्रेस के तीसरे संस्करण के पहले दिन के अंत में एक डिकलेरेशन को स्वीकार किया गया। इसमें लिखा था कि ‘हिन्दू धर्म’ शब्द का पहला शब्द ‘हिन्दू’ असीमित है। ये उन सभी प्राणियों में से एक हैं जो सनातन या अनंत हैं। दूसरा शब्द ‘धर्म’ का अर्थ है- वह जो स्थिर रहता है।
इसमें यह भी कहा गया है कि इसके विपरीत हिंदू धर्म शब्द के अंत में जो ‘इज्म’ आता है, उसका मतलब दमनकारी और भेदभाव करने वाला स्वभाव या सिद्धांत है। परिचय से हमारे बुजुर्ग हिंदूवाद की जगह हिंदुत्व शब्द को पसंद करते थे। हम सहमत हैं और इसलिए हमें भी यूनिवर्सल शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। डिक्लेरेशन में कहा गया है कि हिंदुस्तव में कोई जटिल शब्द नहीं है, इसका मतलब सिर्फ हिंदू होने से है।
कुछ दिन पहले शिक्षकों के नेताओं ने सनातन धर्म को लेकर साक्ष्य दिए थे। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था। इसी विवाद को लेकर विश्व हिंदू कांग्रेस की डिकलेरेशन में हिंदुत्व को लेकर चर्चा हुई।
मोहन भागवत ने कल कहा था- हम सभी आर्य कोलाइका हैं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को विश्व हिंदू कांग्रेस में कहा कि दुनिया एक परिवार है। हम सभी को आर्य अर्थात एक संस्कृति का हिस्सा माना जाता है। हालाँकि संस्कृति शब्द काफी नहीं है, लेकिन एक बेहतर दुनिया के लिए मुझे संस्कृति कहा जाएगा। भारत के सभी संप्रदायों को अनुशासन का पालन करना आवश्यक है।