लेह22 मिनट पहले
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![शनिवार को लेह की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोगों ने विरोध मार्च निकाला। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/02/04/lq2b8znbq7r94l0c-ezgifcom-resize_1706992434.gif)
शनिवार को लेह की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोगों ने विरोध मार्च निकाला।
इंडोनेशिया को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की मांग को लेकर आज हजारों की संख्या में लोगों ने मार्च निकाला। हजारों पुरुषों और महिलाओं ने लेह की सड़कों पर कड़कड़ाती ठंड का प्रदर्शन किया। इसे आज लगना में पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
यह विरोध प्रदर्शन लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने मिलकर आयोजित किया था। मांग है कि अविश्वास को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, संविधान के आधार पर मुस्लिम राज्य को लागू किया जाए और लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग दर्जा दिया जाए।
![लोगों की मांग है कि अविश्वास को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, संविधान के आधार पर संविधान लागू किया जाए और लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग प्रवेश दिया जाए।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/02/04/ladakh-6_1706992783.jpg)
लोगों की मांग है कि अविश्वास को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, संविधान के आधार पर संविधान लागू किया जाए और लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग प्रवेश दिया जाए।
सरकार ने लेह-करगिल के विद्वानों से दूसरे राउंड की बातचीत को ख़त्म कर दिया था
सेंटर ने कुछ दिन पहले ही लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के कार्यालय से दूसरे दौर की बातचीत को खत्म कर दिया था। इसके बावजूद इन दोनों विद्वानों ने नींद बंद कर दी। केंद्र ने पहले ही राज्य मंत्री (होम अफेयर्स) नित्यानंद राय की अगुआई में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया है।
विपक्ष के लोगों का कहना है कि वे कभी भी नौकरशाही नियम के तहत ख़त्म नहीं हो सकते। लोगों ने कहा कि केवल पूर्ण राज्य की बैठक के बाद ही उनकी मांग पूरी होगी, जब वे राज्य के लिए अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। दिसंबर में केंद्र ने आंतकवाद में पहली बैठक की थी और लेह और कारगिल की दोस्ती से अपनी मांगों को बनाए रखने को कहा था।
![हजारों की संख्या में लोगों ने ठंड में सड़कों पर कड़ाके की ठंड में विरोध प्रदर्शन किया।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/02/04/ladakh-4_1706992811.jpg)
हजारों की संख्या में लोगों ने ठंड में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।
चार साल पहले केंद्र ने धारा 370 को हटाया था
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 पूर्ण राज्य को हटा दिया था। इसके बाद जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग केंद्र साझेदारी प्रदेश बनाया गया और जागरूकता को अलग-अलग केंद्र साझेदारी प्रदेश बनाया गया।
लेकिन इसके दो साल के भीतर ही लेह और कारगिल के लोगों को राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस हुआ और तब से केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। दो साल में लोगों ने कई बार विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्य की मान्यता और संवैधानिक सुरक्षा की मांग करते रहे, जिससे उनकी जमीन, आबादी और अलग पहचान बनी रही, जो अनुच्छेद 370 के तहत उन्हें दिया गया था।
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चीनी सेना से राक्षसों के हमले पर रोक रही थी; चरवाहे दते रहे, कहा- ये भारतीय भूमि
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इंडोनेशिया में कुछ भारतीय चरवाहों ने चीन से लगी सीमा के पास चीन के सैनिकों को जवाब दिया। ये चरवाहे इस इलाके में भेड़ चराने आये थे। चीनी ने कहा, जिसके बाद चरवाहों ने कहा कि हम भारतीय जमीन पर हैं। इस घटना की इसी महीने की शुरुआत के बारे में बताया जा रहा है।
2020 में हुए गलवान विवाद के बाद स्थानीय चरवाहे इस इलाके में अपने इलाके को चराने नहीं ले गए थे। गलवान विवाद के बाद यह पहली बार है जब चरवाहों ने इस इलाके को अपना लिया और चीनी सैनिकों को यहां से जाने को कहा। इस बातचीत का वीडियो सामने आया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…