आइजोलएक घंटा पहले
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![आइजॉल से 30 किमी दूर सिंहमुई राहत शिविर में म्यांमार से आए लोग आ रहे हैं। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/02/chandrakant-lahariya-81634773289_1698918803.jpg)
आइजॉल से 30 किमी दूर सिंहमुई राहत शिविर में म्यांमार से आए लोग आ रहे हैं।
मिजोरम में म्यांमार खत्म होने के करीब 31 हजार से ज्यादा लोग बचे हुए हैं। 7 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर काफी विवरण हैं। उनसे आशा है कि राज्य में बनने वाली नई सरकार बच्चों के लिए अच्छे भोजन और शिक्षा की व्यवस्था करेगी।
इन स्टार्स को सितंबर तक खाने और जरूरतमंदों के सामान की व्यवस्था राज्य सरकार कर रही थी, जिसे बंद कर दिया गया।
असल में, 2021 की शुरुआत में म्यांमार में सेना के तख्तापलट के बाद से अपने देश के लोगों को सिंहमुई शिविर में पनाह मिली थी। इनमें से अधिकतर म्यांमार के चिन स्टेट के हैं। मिजोरम म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।
अमिताभ को सरकार से भोजन की उम्मीद
![राज्य के गृह मंत्री ललचामलियाना ने सबसे पहले जिले को बताया था कि सरकार ने म्यांमार से आकर आदिवासियों को राहत देने के लिए 3.8 करोड़ से ज्यादा का बजट जारी किया है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/02/1664837348_1698918594.jpg)
राज्य के गृह मंत्री ललचामलियाना ने सबसे पहले जिले को बताया था कि सरकार ने म्यांमार से आकर आदिवासियों को राहत देने के लिए 3.8 करोड़ से ज्यादा का बजट जारी किया है।
बोले- राहत शिविर में रहना मुश्किल
सिंहमुई शिविर में बांस की दीवारें और टिन की छत वाले रेस्तरां हॉल में 130 किले रह रहे हैं। उदाहरणार्थ अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए नौकरी की तलाश करें। साथ ही उन्हें दर्शनीय चिकित्सा और बेहतर सुविधाओं की भी दरकार है।
माटुपी टाउनशिप के रहने वाले कपथांग ने कहा कि नई मिजोरम सरकार से उम्मीद है कि वे हमें राशन और जरूरी सामान किराए पर देंगे। सरकार की ओर से आपूर्ति बंद करने के बाद राहत शिविर में जीवन मुश्किल हो गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिविर में रहने वाले लोगों को भोजन, राशन, पानी और अन्य जरूरी सामान, गाड़ियां मुहैया कराने की योजना बनाई है, लेकिन सितंबर से ये सब बंद कर दिया गया। हिंसा के बाद नेताओं ने भी अपना घर ठीक कर लिया, कुकी जाति के 12 हजार लोग मिजोरम चले गए, इसलिए यहां की सरकार पर भारी दबाव है। इसके कारण सरकार ने हाथ जोड़ने में मदद की है। लेकिन कभी-कभी, कुछ गैर-सरकारी संगठन हमें राशन मांगते हैं।
नौकरी और शिक्षा के लिए अपना स्टाक होना जरूरी है
![मिजोरम के स्कूल शिक्षा मंत्री लालचंदमा राल्ते ने अगस्त में कहा था कि म्यांमार-बांग्लादेश के नागालैंड और नागालैंड के 8,119 बच्चों के नाम दर्ज हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/02/untitled-design-81_1698918731.png)
मिजोरम के स्कूल शिक्षा मंत्री लालचंदमा राल्ते ने अगस्त में कहा था कि म्यांमार-बांग्लादेश के नागालैंड और नागालैंड के 8,119 बच्चों के नाम दर्ज हैं।
आइजॉल से 30 किमी दूर सिम्हाई राहत शिविर में रहने वाले लोगों को उम्मीद है कि नई सरकार उनके बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करेगी। कथा कपथांग ने कहा कि इंसान के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है, और दुर्भाग्य से हमारे बच्चों को यह ठीक से नहीं मिल रही है। कुछ बच्चे स्थानीय सरकारी शिलालेखों में पाए जाते हैं, जहां मिजो भाषा में पढ़ाई होती है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे अंग्रेजी सीखें, ताकि वे रोजगार के अवसर और भविष्य में अन्यत्र जगह पर जा सकें।
38 साल की पारजिंग ने कहा कि वह मिजोरम में अपने बेटों की शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था चाहती हैं, ताकि वह खुद एक रोजगार योग्य युवा के रूप में विकसित हो सकें। 54 साल के पेंगा को उम्मीद है कि म्यांमार में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई मिजोरम सरकार उनकी जीवनरेखा पर कुछ ध्यान देगी। यदि संभव हो तो मैं नई सरकार के बनने के बाद पशु-पालन और पशुपालक की खेती के लिए कुछ जमीन की उम्मीद करता हूं। इससे मेरे परिवार को अपने दम पर गुजरात करने में मदद मिलेगी।
राहत शिविरों में उपचार और उपचार सुविधा की दरकार
![राज्य के स्कूलों में 6,366 म्यांमार, 250 बांग्लादेश और 1,503 छात्र-छात्राओं को स्थानीय छात्रों की तरह मुफ्त स्कूल ड्रेस, असिस्टेंट के साथ मध्याह्न भोजन भी मिल रहा है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/02/chandrakant-lahariya-91634773333_1698920054.jpg)
राज्य के स्कूलों में 6,366 म्यांमार, 250 बांग्लादेश और 1,503 छात्र-छात्राओं को स्थानीय छात्रों की तरह मुफ्त स्कूल ड्रेस, असिस्टेंट के साथ मध्याह्न भोजन भी मिल रहा है।
राहत सहायता में समस्याओं के बारे में बताते हुए मेगलिन ने कहा कि पीने का पानी, वॉशरूम और शौचालय की सुविधाएं और सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा, इसके अलावा, शिविर में महिलाओं के लिए कोई दर्शन सुविधा नहीं है। इसलिए, हम चाहते हैं कि नई सरकार इस बारे में सोचे और कुछ करे।
कपथांग ने बताया कि फोर्टा को चिकित्सकीय जांच के लिए गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर और दवा भी उपलब्ध नहीं है। हम काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन रोज़मर्रा वाला काम करना मुश्किल है। इसलिए लोग ज्यादातर बिना कुछ कहे घर में बैठे रहते हैं।
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