मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा का कहना है कि जब वह चुनाव प्रचार के लिए आएंगे तो वह पीएम मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे कहा- वैज्ञानिकों में मतेई लोग चर्च जलाए थे, हम बीजेपी का साथ नहीं दे सकते

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आइजोल14 मिनट पहले

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मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए जब भी मोदी यहां आएंगे तो वे उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अच्छा यही होगा कि प्रधानमंत्री यहां अकेले रहें और मंच पर अकेले अपनी बात करें। इसके बाद मैं अलग से मंच पर आ गया।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जोरमथांगा ने कहा कि मिजोरम के लोग ईसाई हैं। जब विद्वानों में मैतेई लोगों ने सैंक्डो चर्च जलाए थे, तब मिजोरम के सभी लोगों ने विरोध किया था। इस वक्त में भाजपा के साथ सहानुभूति रखना मेरी पार्टी के लिए बड़ा मूल्यांकन बिंदु होगा।

मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। चुनाव से पहले 30 अक्टूबर को पीएम मोदी पश्चिम मिजोरम के मामित गांव में भाजपा समर्थकों के समर्थन में रैली कर सकते हैं।

जोरमथंगा की पार्टी एनडीए में शामिल, पा मिजोरम में अलग
जोरमथांगा की पार्टी मिजोरम (एमएनएफ) भाजपा के नेतृत्व वाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) और केंद्र में नामांकित एनडीए में शामिल है। हालाँकि, एमएनएफ मिजोरम में भाजपा के साथ जुड़ा नहीं है।

सीएम जोरमथांगा ने कहा कि उनकी पार्टी एनडीए और एनईडीए में इसलिए शामिल हुई है क्योंकि वह कांग्रेस के खिलाफ सख्त हैं और कांग्रेस के नेतृत्व वाले किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।

हम म्यांमार के लोगों को हथियार नहीं, सिर्फ शरण दे रहे हैं
म्यांमार, बांग्लादेश और नेपाल के लोगों को शरण देने के सवाल पर जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र सरकार अपने कदम आगे बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने तब के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के शरणार्थियों को शरण दी थी और उन्हें हथियार भी थमाये थे, ताकि आजादी की लड़ाई छीनी जा सके। हम म्यांमार के रेफ्यूजियों को हथियार नहीं देते हैं। हम सिर्फ मानव जाति के लोगों को खाना और रहने की जगह देते हैं।

ओहियो मिजोरम में म्यांमार, बांग्लादेश और जर्मनी के 40 हजार लोग शरण के लिए गए हैं। जोरमथंगा ने कहा कि इस केंद्र की जिम्मेदारी है कि छात्रों में शांति बहाली हो ताकि लोग अपने घर वापस जा सकें।

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