महिला केंद्रित हो सकता है 2024 का अंतरिम बजट | 2024 का अंतरिम बजट महिला लक्ष्य हो सकता है: महिला किसानों के लिए सम्मान निधि 6000 से 12000 करने की तैयारी

नई दिल्ली25 मिनट पहले

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भारत में करीब 26 करोड़ किसान हैं।  देश में जिन किसानों के नाम जमीन है, उनमें सिर्फ 13% महिलाएं हैं।  - दैनिक भास्कर

भारत में करीब 26 करोड़ किसान हैं। देश में जिन किसानों के नाम जमीन है, उनमें सिर्फ 13% महिलाएं हैं।

लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले मोदी सरकार महिलाओं के लिए कई बड़ी योजनाओं की तैयारी में है। एक फरवरी को आने वाले अंतरिम बजट में लेकर कई अहम घोषणाएं हो सकती हैं।

बजट में महिला किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि राशि 6000 से 12000 रुपये हो सकती है। साथ ही आर्थिक रूप से महिलाओं के लिए भी कैश लिस्ट स्कॉच करने की योजना शुरू है। केंद्र सरकार 21 साल से ज्यादा उम्र की उन महिलाओं के लिए भी कैश स्टाइक स्की लाइम पर विचार कर रही है, जिसमें सरकार की 21 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए भी कैश स्टाइक का फायदा नहीं मिल रहा है।

मनरेगा में महिला व्यवसाय को प्राथमिकता दी जाएगी। अभी मनरेगा में महिलाओं की दुकानें 59.26% है, जो 2020-21 में 53.19% थी। महिला किसानों की राशी भरण-पोषण से सरकार पर 120 करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ।

मोदी सरकार के तहत इस योजना के तहत अब तक 15 किस्तों में किसानों के खाते में 2.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम भेजी गई है। भारत में करीब 26 करोड़ किसान हैं। देश में जिन किसानों के नाम जमीन है, उनमें सिर्फ 13% महिलाएं हैं।

महिला स्लेजिंग का बजट 2.23 लाख करोड़ है
केंद्र सरकार की मस्कॉ में महिलाओं की स्टॉक वृद्धि जारी है। मोदी सरकार साल-दर-साल 30% इजाफे के लक्ष्य के साथ जेंडर बजटिंग कर रही है। इसके तहत मोदी सरकार ने 2023-24 के लिए धीरे-धीरे कुल जेंडर बजट (मंत्रालयों में महिलाओं से संबंधित सभी प्रावधानों के लिए राशि) का बजट अनुमान (बीईई) में ₹2.23 लाख करोड़ रु. तक बढ़ाया गया है, जो 2013-14 में ₹1 लाख करोड़ से कम थी। यानी 10 साल में दोगुने से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2006 में देश का जेंडर बजट 14,379 करोड़ रुपये था।

देश में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी
देश में अवैतनिक महिलाओं का इकोनोमी में जबरदस्त योगदान है। एनएसएस के आंकड़ों के मुताबिक देश में ऐसी महिलाओं का योगदान 22.7 लाख करोड़ रु. जो देश की मान्यता का करीब 7.5% है। वोट के क्षेत्र में भी महिलाओं की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।

  • 2014 में देश में वोटर टर्नआउट 13.7 करोड़ से बढ़कर 55 करोड़ तक पहुंच गया। इनमें 26 करोड़ महिलाएं हैं। यह 1962-2009 के बीच पेड औसत टर्न आउट से 5.5 गुना अधिक था।
  • 2019 में देश में 62 करोड़ वोट पड़े। इनमें 30 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। पुरुषों की तुलना में महिला वोट 5% अधिक। 2022 और 23 में चुनाव में भी महिला वोटर्स 5% से ज्यादा।
  • डीजेएस 23 विस चुनाव में 17 में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट डाले। अनुमान है कि 2024 में 70% से अधिक बेरोजगारी हो सकती है। वोट वोट में महिलाएं पुरुषों से आगे निकल सकती हैं।
  • सी वोटर का कहना है कि मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी को महिलाओं के लिए कैश पोस्टर स्कॉब्स का फ़ायदा मिलना शुरू हुआ। बीजेपी को महिलाओं को 51% वोट मिले। वहीं, कांग्रेस को 46.2% वोट मिले।
  • महिला मतदाताओं के लिए केंद्र ने 1 लाख करोड़ की वोटिंग योजना शुरू की है। संसद में 33% आरक्षण बिल पास हो गया है, जो 2029 में लागू होगा। सस्ते होम लोन पर भी विचार चल रहा है।

महिलाओं को टिकटें देने में कंजूसी हो रही है
10 साल में 16.8 लाख करोड़ रुपए सीधे-सीधे भेज दिए गए, लेकिन महिलाओं को टिकटें देने में कंजूसी हुई। पिछले साल 5 राज्यों में चुनाव हुए थे। इनमें से भाजपा और कांग्रेस ने महिला मतदाताओं के लिए सूची लागू करने की बात कही। लेकिन इन व्यवस्थाओं में 10-15% महिलाएं ही शामिल होती हैं।

2013 के बाद केंद्र सरकार ने 16.8 लाख करोड़ रुपये सीधे बैंक में भेजे हैं। इनमें से 33% राशि 2020-21 में जारी की गई है। बंद करें 319 परिभाषा के तहत मान्यता प्राप्त व्यक्तियों के खाते में यह संदेश पहुंचाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान करीब 70 करोड़ लोगों को डायरेक्ट कैश प्लॉट का फायदा मिला है।

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