महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव | यूक्रेन के सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के फैसले को चुनौती दी, नार्वेकर ने शिंदे गुट को असली विपक्ष बताया

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नई दिल्ली43 मिनट पहले

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जजमेंट के बाद युसुथ ठाकुर ने कहा था कि जजमेंट के सुप्रीम कोर्ट के जज बने हैं, इसलिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।  - दैनिक भास्कर

जजमेंट के बाद युसुथ ठाकुर ने कहा था कि जजमेंट के सुप्रीम कोर्ट के जज बने हैं, इसलिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्षों के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। 10 जनवरी को सांसद राहुल नार्वेकर ने विधानसभा में सुनवाई करते हुए कहा था कि असली विपक्ष महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट की है। उन्होंने शिंदे गुट के 16 और सामुदायिक गुट के 14 बैचलर की नियुक्ति भी रखी थी।

जजमेंट के बाद युसुथ ठाकुर ने कहा था कि जजमेंट के जज सुप्रीम कोर्ट के सेलिब्रेटी हुए हैं। इसलिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के फैसले में शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले की याचिका को अवैध दोषी ठहराया था। नार्वेकर ने इसे वैध ठहराया है। उश गुट ने इन सभी मामलों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को इस मामले में आखिरी सुनवाई की थी। टैब पर निर्णय लेने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर से 10 जनवरी कर दी गई थी। यानी सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के 28 वें दिन के सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाया था।

राहुल नार्वेकर के फैसले की 3 अहम बातें

  1. शिंदे के पास 55 में से 37 विधायक हैं, उनका गुट ही असली पार्टी है। चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था.
  2. शिंदे को पार्टी के नेता पद से हटाने का फैसला सामने आया था, पार्टी का नहीं। बीजेपी संविधान के अनुसार वे अकेले किसी को भी पार्टी से बाहर नहीं कर सकते।
  3. शिंदे गुट की तरफ से उप्र गुट के 14 शेयरों को परिभाषित करने की मांग खारिज। शिंदे गुट ने केवल आरोप लगाए, उनके समर्थन में साक्ष्य नहीं दिया गया।

जादूगर ने अपने जजमेंट के दो आधार बताए

  1. कांग्रेस के 1999 के संविधान को ही आधार माना गया। स्पीकर ने कहा- 2018 का लोकतांत्रिक संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए वह मान्य नहीं है।
  2. 21 जून 2022 को फूट के बाद शिंदे गुट ही असली प्रतिद्वंद्वी था। सहकारी गुट के सुनील प्रभु का व्हिप उस तिथि के बाद लागू नहीं होता है, सहकारी गुट के सुनील प्रभु का व्हिप सही है।

सीएम शिंदे इन 16 रैयतों को मिली राहत में शामिल

  1. एकनाथ शिंदे (मुख्यमंत्री)
  2. अब्दुल सत्तार
  3. संदीपन भुमरे
  4. संजय शिरासात
  5. तानाजी रावत
  6. यामिनि होटल
  7. चिमनराव पाटिल
  8. भरत गोगवे
  9. लता सोनवणे
  10. प्रकाश सर्वेक्षण
  11. बालाजी किनिकर
  12. अनिल बबर
  13. महेश शिंदे
  14. संजय रायमुलकर
  15. रमेश बोरनारे
  16. बालाजी कल्याणकर

अब आगे क्या: अजीत गुट को भी मिल सकता है नामांकन

  • चुनाव आयोग के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि असली सांसद एकनाथ शिंदे ही हैं। अब कई नेता और कार्यकर्ता जो प्रशांत भूषण के साथ हैं, शिंदे के साथ जुड़ सकते हैं। इसका फायदा शिंदे को अगले चुनाव में मिलेगा।
  • बीजेपी और शिंदे गुट ने पिछले एक साल से मंत्रिमंडल विस्तार पर रोक लगा रखी है। लोकसभा चुनाव से पहले विस्तार हो सकता है। इससे संबंधित दोनों एस्ट्रोलॉजी की सूची दूर करने में मदद मिलेगी। इस मंत्रालय के प्रभाव से संबंधित बेंचमार्क केमिकल गठबंधन को लाभ होगा।
  • बीजेपी ने जिस तरह शिंदे के ग्रुप का गठन किया था, उसी तरह के एक आजाद समर्थक के ग्रुप का राष्ट्रवादी पार्टी का गठन था। अब शिंदे का ग्रुप वैध हो गया है तो पावर के ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई का खतरा कम है।

नेताओं के बयान…

न्यायाधीश ने जज के लिए सर्वोच्च न्यायालय से समय मांगा था
14 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने डेमोक्रेटिक पार्टी (शिंदे गुट) के पंचाट पर फैसले के लिए राहुल नार्वेकर को 10 दिन और समय दिया था। नार्वेकर को पहले 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2024 को डेडलाइन तय की।

सेनापति (उद्धव गुट) ने पार्टी पार्टी में शामिल होने वाले रिश्ते को रद्द करने के मामले में जल्द ही फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। समीक्षा के दौरान नार्वेकर ने कोर्ट को बताया कि 2 लाख 71 हजार से अधिक बार डेमोलेशन के दस्तावेज पेश किए गए। महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र भी चल रहा है। इसलिए निर्णय लेने के लिए 3 सप्ताह का समय निर्धारित करें।

जस्टिस दिवाई चंद्रचूड़ की बालाजी बेंच ने कहा था कि पाइपलाइन पाइपलाइन जजमेंट में जो देरी होती है, उसके कारण वे वाजिब होते हैं। हम राष्ट्रपति को फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी तक का समय दे रहे हैं।

इस मामले में 14 दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में सीजेआई डी चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाए जाने की समय सीमा 31 दिसंबर 2023 से 10 जनवरी 2024 कर दी थी।

इस मामले में 14 दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में सीजेआई डी चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाए जाने की समय सीमा 31 दिसंबर 2023 से 10 जनवरी 2024 कर दी थी।

जज कोर्ट ने सहारा के खिलाफ कार्रवाई की
सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ शिंदे ने कहा कि अगर ठाकरे या शिंदे गुट को जिला अध्यक्ष का फैसला मान्य नहीं है, तो दोनों समूह 30 दिन के हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर अदालत ने इस फैसले पर रोक लगा दी है तो वाहनों को राहत दी जाएगी, लेकिन इसके बाद राष्ट्रपति के फैसले पर भी रोक लगा दी जाएगी।

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