महाराष्ट्र में विधायकों की अयोग्यता का मामला…स्पीकर ने लगाई फटकार | कहा- किसी भी टीचर को यह समझ आ जाए कि हमारे ऑर्डर का उल्लंघन नहीं किया जा सकता

नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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कांग्रेस नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी।  इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए।  इसके बाद शिंदे ने बीजेपी पर अपना दावा कर दिया.  - दैनिक भास्कर

कांग्रेस नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी पर अपना दावा कर दिया.

महाराष्ट्र में ऑर्केस्ट्रा के ऑर्केस्ट्रा (डिस्क्वाल साकेत) मामले में सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार 13 अक्टूबर को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में लगातार हो रही देरी पर महाराष्ट्र के स्पीकर पर अध्ययन किया। कोर्ट ने कहा कि कोई उन्हें (स्पीकर राहुल नार्वेकर) समझाए कि वे हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं करेंगे। कोई भी साक्षत्कार दिखावा नहीं हो सकता।

सीजेआई देवी चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। इस मामले में वकील नार्वेकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता, उषा ठाकुर की ओर से वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। वहीं, शिंदे गुट की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दर्जें रखीं।

प्रक्रिया में विलंब से नाराज सीजे चंद्रचूड़
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने मतपत्र में कहा- ‘अगले विधानसभा चुनाव के लिए अयोग्यता की याचिकाएं पहले होंगी या नहीं, या फिर पूरी प्रक्रिया से काम होगा।’ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अगले साल (2024) सितंबर-अक्टूबर में होने हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इस साल जून के बाद से इस (विधायकों के अंतिम) मामले में कुछ नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के शीर्ष कानूनी अधिकारी को शिक्षक को सलाह देने के लिए कहा है। इसमें यह भी कहा गया कि उन्हें (अध्यक्ष) मदद की जरूरत है।

अब वकील की किताब कोर्ट रूम में क्या हुआ…

वकील कपिल सिब्बल और वकील डॉक्टर अभिषेक मनु– इंस्टिट्यूटर ने एक साल के लिए ड्रीम बुक की योजना बनाई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति ने एक लंबी समयसीमा तय करने के लिए जिरह और प्रतीक चिन्ह बनाए हैं।

वकील कपिल सिब्बल- यह मामला एक दीवानी मुकदमा क्या है? वैज्ञानिक ग्राफ़ के अंतर्गत वाली सीरियन छोटी मॅनियाँ होती हैं। ये एक तमाशा बनता जा रहा है.

सीजेआई- मिस्टर सॉलिसिटर, किसी को भी परीक्षक को सलाह दी जाएगी। वे सुप्रीम कोर्ट की सलाह को खारिज नहीं कर सकते। वे किस तरह की समय सीमा तय कर रहे हैं? ये एक छोटी सी प्रक्रिया है। पिछले बार हमने सोचा था कि बेहतर काम होगा और आपसे एक निर्धारित योजना बनाई जाएगी। जून के बाद से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई… मामले में क्या हुआ? कुछ भी नहीं. यह दिखाया नहीं जा सकता.

एसजी तुषार मेहता- शास्त्रों के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग करने वाला स्पीकर, एक न्यायाधिकरण है। ट्रिब्यूनल दिवस- प्रतिदिन के कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

सीजेआई- ट्रिब्यूनल के रूप में स्पाइसर सुप्रीम कोर्ट के प्रति उत्तर हैं।

वकील मुकुल रोहतगी ने लेक्चरर को निर्णय देने के लिए कोर्ट को प्रस्ताव दिया।

सीजेआई- अगले चुनाव पर फैसला काफी पहले लिया जाना चाहिए।

इसके बाद बेंच ने मंगलवार 17 अक्टूबर को स्पाइसर को निर्णय लेने की समय सीमा तय करने का आदेश दिया।

सीजेआई- अगर हमें लगता है कि एक समय सीमा तय नहीं की गई है तो हम एक साफा ऑर्डर जारी करेंगे।

स्पेशलिस्ट ने कहा था- क्लासिटेटा जजमेंट पर स्टॉप नहीं चलेगा
इंस्पेक्टर ने 21 सितंबर को कहा था कि मैं डेमोक्रेट्स की डिस्क्लेंटीता पर फैसला लेने में देर नहीं करूंगा, इस मामले में रिपोर्ट भी नहीं होगी। मिसकैरेज ऑफ जस्टिस पर नवीनतम कार्रवाई संभव है। मैं जो भी निर्णय लूंगा, संवैधानिक होगा।

विधानसभा स्पीकर ने मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के 3 दिन बाद आर्किटेक्ट से बात करते हुए कहा कि यह बातें कहां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को विपक्षी शिंदे गुट के 16 और यूपी गुट के 40 बैच के बंदगी पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने अब विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर लंबे समय तक निर्णय नहीं ले सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के फैसले को खारिज कर दिया
एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी रिजर्व पर सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मई को फैसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने बागी रजिस्ट्रार के चयन पर निर्णय छोड़ दिया था।

वहीं, युसुथ गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर फिर से विचार करने की अपील की थी। उन्होंने दलील दी थी- विधानसभा अध्यक्ष मामले को लेकर बहस कर रहे हैं।

पिछले साल एकनाथ शिंदे ने बागावत की थाह ली थी
कांग्रेस नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी पर अपना दावा कर दिया.

16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली उम्मीदवार बनाया। साथ ही शिंदे गुट को बीजेपी का नाम और तीर-कमान का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उधमी गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

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