मराठा आरक्षण क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट 24 जनवरी | नेशनल रिजर्वेशन क्यूरेटिव पिटीशन पर एससी में सुनवाई आज: मुंबई की ओर से मनोज जरांगे की पदयात्रा; ठाणे में शुरू हुआ सुपरमार्केट सर्वे

नई/दिल्लीमुम्बई50 मिनट पहले

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इस मार्च में 'मनोज जरांगे' के लिए हजारों लोग जुड़े हुए हैं।  पद यात्रा 26 जनवरी को मुंबई के आजाद मैदान में।  - दैनिक भास्कर

इस मार्च में मराठा एकता के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे के साथ हजारों लोग जुड़े हुए हैं। पद यात्रा 26 जनवरी को मुंबई के आजाद मैदान में।

राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ी क्यूरेटिव पिटिशन पर आज (24 जनवरी) को दो सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी। इससे पहले चार जजों की बेंच पर 6 दिसंबर 2023 को चेंबर में क्यूरेटिव पिटीशन पर विचार किया गया था। पोस्ट की प्रति भी सार्क ग्लोब कर दी गई थी।

इसके बाद 23 दिसंबर 2023 को सीजेआई दिवा चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने इस मामले में 24 जनवरी को विचार करने का फैसला किया था।

जस्टिस संजय किशन कौल 25 दिसंबर को पद छोड़ चुके हैं। ऐसे में किसी भी सीजेआई की जगह अन्य जजों को शामिल किया जा सकता है। 23 जून 2021 सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड राज्य मामले की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने क्यूरेटिव पिटीशन मूल की थी।

महाराष्ट्र में 23 जनवरी से शुरू हो रहा है 23 जनवरी से महाराष्ट्र में तृकां का सर्वे 23 जनवरी से शुरू हो गया है। राज्य के करीब 4250 कर्मचारियों को सर्वे में काम पर लगाया गया है। राज्य प्रारंभिक आयोग 23 से 31 जनवरी तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा होगा। सीएम शिंदे ने 20 जनवरी को कहा था कि सर्वे से पता चलता है कि वाराणसी के लोग सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कितने पिछड़े हैं।

इधर, नेशनल आंदोलन यात्रा के नेता मनोज जरांगे पाटिल की पदयात्रा आज पुणे के राणगांव से मुंबई की ओर बढ़ गई है। आज पद यात्रा का चौथा दिन है। जरांगे ने कहा कि हम अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। जरंगे राज्य के राक्षसों को कुनबी समाज में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इससे संपूर्ण ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की श्रेणी में आएगी और विशिष्टता का लाभ ले सकेंगे।

वे 20 जनवरी को जालना से मुंबई तक पद यात्रा शुरू करने वाले थे। यह पदयात्रा गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) का दिन है। मुंबई के आज़ाद मैदान या शिवाजी पार्क में प्रदर्शन की तैयारी है। जरांगे ने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार आंदोलन को मंजूरी दी गई तो वे मुंबई में भूख हड़ताल करेंगे।

हुक्मरान ने किया था अनोखा वादा
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि 2 नवंबर 2023 को विधानसभा सत्र 7 दिसंबर से शुरू होगा। इस सत्र में 8 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी पर चर्चा की जाएगी। जरांगे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने समुदाय को स्थायी नागरिकता देने का वादा किया है। उन्होंने इसके लिए कुछ समय मांगा है। हम सरकार को समय पर मिठाई बनाने के लिए देंगे। अगर सरकार तय समय में ताजा नहीं है तो 2024 में हम फिर मुंबई में आंदोलन करेंगे।

सर्वदलीय बैठक में निर्णय-राष्ट्रीय राजधानी में नियुक्ति होनी चाहिए
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की 1 नवंबर 2023 को सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने इस बात पर सहमति जताई कि 1 नवंबर 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर समाजवादी पार्टी को नया दर्जा मिलना चाहिए। इस बैठक में शरद समेत 32 वामपंथी नेता शामिल हुए।

बैठक के बाद सीएम शिंदे ने कहा- यह फैसला लिया गया है कि नीट कानून के सदस्यों और अन्य समुदायों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। नटखट के लिए फास्ट पर बैठे मनोज जरांगे से अपील है कि वो पोस्ट खत्म हो जाए। हिंसा ठीक नहीं है.

पिछले आंदोलन में 29 लोगों की मौत हुई थी
इससे पहले 25 अक्टूबर 2023 को मनोज जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सराय गांव में भूख हड़ताल शुरू की थी। मांग वही, मराठा समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिया जाए। 9 दिनों में आंदोलन से जुड़े 29 लोगों की मौत हो गई।

इसके बाद राज्य सरकार के 4 मंत्री धनंजय मुंडे, संदीपन भुमरे, अतुल सावे, उदय सावंत ने जरांगे से मुलाकात कर भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की। उन्होंने स्थाई नेशनल लेबल का वादा किया। इसके बाद 2 नवंबर 2023 को मनोज जरांगे ने पद समाप्त कर दिया। साथ ही सरकार को 2 जनवरी 2024 तक का समय।

महाराष्ट्र में नारियल का मसाला क्या है?

  • महाराष्ट्र में एक दशक से मांग हो रही है कि राष्टों को ताजा मिले। 2018 में इसके लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया और मराठा समाज को मान्यता और शिक्षा में 16% नग्न दे दिया।
  • जून 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे कम करते हुए शिक्षा में 12% और ऋण में 13% शून्य फिक्स किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपवाद स्वरूप राज्य में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 50% नवीनीकृत सीमा पार की जा सकती है।
  • जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो इंदिरा साहनी केस या कमीशन केस का हवाला देते हुए तीन जजों की बेंच ने इस पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि इस मामले में बड़ी बेंच बनाने की जरूरत है।

कोटा में स्थित इंदिरा साहनी केस क्या है?

  • 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10% नवीनता का आदेश जारी किया था। इस पर इंदिरा साहनी ने उन्हें चुनौती दी थी।
  • इस मामले में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि रेस्तरां की संख्या, कुल उपलब्ध स्थानों के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। संविधान में आर्थिक आधार पर नवीनता नहीं दी गयी है।
  • टैब से ही ये कानून बन गया. राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल जब भी अंतिम मांगते हैं तो सर्वोच्च न्यायालय का यही निर्णय माना जाता है।

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