ममता बनर्जी बनाम राहुल गांधी; भारत विपक्षी एकता | भास्कर ओपिनियन- बहुमत: कांग्रेस पर पार्टी विपक्ष, अर्थशास्त्री एकता लागी

5 मिनट पहले

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कुछ दिन पहले तक बीजेपी के खिलाफ एकजुटता वाले विपक्ष वोट की किस्मत आजमाने के इरादे से अब सत्ता में आ गए हैं। सबसे पहले एकजुटता चलो रे का नारा दे रहे हैं। अपनी कुर्सी के चक्कर में नीतीश कुमार रेस्टॉरेंट यूनिटी का झंडा बीच में ही फंसेकर बीजेपी से जा मिले हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य में अकेले लड़ाई का ऐलान तो कर ही दिया है लेकिन शुक्रवार को तो वे कांग्रेस पर टूट पड़े हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यह समझ में नहीं आता कि कांग्रेस किस बात का व्यवहार करती है। तीन सिफारिशें लड़की पर वह चालीस सिफारिशें पर भी जीत सोलो नहीं बल्कि सौ घमंड इतना है कि संभले नहीं संभल रहा।

असल में, ममता का गुस्सा जायज़ है। राहुल की न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल से गुजरात गई और कांग्रेसी भाई लोगों ने ममता बनर्जी को बताया तक नहीं। ममता का कहना है कि कांग्रेस का यही रोना है क्योंकि वह अब वहां भी हार गई है, जहां अब तक जीती थी।

अगर शामिल है और अपना व्यवहार सच करके दिखाना चाहता है तो बनारस और टूटे हुए में भाजपा को हमलावर! दरअसल यूँ हुआ कि ममता को कोई खबर नहीं दी गई और कांग्रेस की ओर से न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी गुरुवार को मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) के मधुपुर गांव में कुछ बीड़ी मजदूरों से मिलकर चले गए।

इससे ममता तमात्मा चला गया। उन्होंने राहुल का नाम लेते हुए कहा- आजकल राजनीति में फोटो शूट का नया चलन देखने को मिल रहा है। जो लोग कभी चाय की दुकान तक नहीं गए, वे अब बीड़ी दोस्तों के साथ फ़ोटो में ख़ानदान में लगे हुए हैं।

राहुल गांधी कह रहे हैं कि ममता जी से बैठकर शेयरिंग पर बात चल रही है जबकि हक़ीक़त ये है कि बात कभी टूटती है। पश्चिम बंगाल में बारह प्रमुख मांगें जारी हैं, जबकि ममता ने कांग्रेस को टका सा जवाब दिया है कि समझौता करना हो तो, यहां आपको दो सीटों से ज्यादा मिलने वाली नहीं है।

आख़िरकार आख़िरत के बाद ममता ने राज्य में अकेले लड़ाई का फ़ैसला कर लिया। बीजेपी के लिए इलेक्ट्रानिक डायरेक्टर्स के बीच के ये स्टार्स बड़े मुफीद सेगे। नामांकन एक चुनावी विधान सभा नहीं। उसका वोट टूट जाएगा और जीत की संभावना भी।

झारखंड में झामुमो की सरकार तो किसी तरह बच गई लेकिन पांचवीं फरवरी को बहुमत साबित करने की बड़ी चुनौती उनके सामने खड़ी है। अपने राज्य में अपनी सरकार के होते हुए झामुमो अपने शेयर बाजार को निजीकरण पर हस्ताक्षर करते हैं। फूट फूट का डर अब भी उसे सता रहा है जब उसकी सरकार वजूद में आ गई है। कुल परमाणु ऊर्जा संयंत्र की एक-एक शर्तें पूरी हो रही हैं।

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