मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ टिकट के झंझट से लगभग मुक्त, राजस्थान में सूखा | मप्र, छत्तीसगढ़ के झिझक से लगभग मुक्त, राजस्थान में सूखा

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24 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर

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प्रतिष्ठा में रियासत का बाज़ार गर्म है। छत्तीसगढ़ लगभग इस मन से पूरा हो चुका है। मध्य प्रदेश में भी लगभग ऐसा ही कतरा चल रहा है लेकिन राजस्थान में अब तक अकाल पड़ गया है। संभवतः उदाहरण के लिए राजस्थान के बजाय मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव बाद में होते हैं।

छत्तीसगढ़ में तो पहला चरण सात मार्च को ही है। चरण दूसरा मध्य प्रदेश के साथ 17 रन। हालाँकि छठ के कारण मतदान की तारीख को लेकर वोटिंग की तारीख आगे बढ़ाने की माँग की जा रही है लेकिन लगता है कि इस दिशा में चुनाव आयोग कोई विचार नहीं कर रहा है। राजस्थान में वोटिंग की तारीख़ 23 रब से रब 25 रब कर दी गयी है।

उत्तर राजस्थान में वेल हीरी जारी नहीं हो सकती हो लेकिन कांग्रेस में शामिल होने वाले दल का नाम क्लियर होने की आखिरी सूची में मुख्यमंत्री अशोक महाराज और युवा नेता सचिन पायलट को बहुत हद तक एक कर दिया गया है। शुक्रवार को हुई सभाओं और रेलोल्स में गोल्फ और पायलट के सुर फ़ीफ़ मिले- जुले नीचे दिए गए।

हो सकता है पार्टी अलाकमान ने सोचा होगा कि मुख्यमंत्री कौन बनेगी ये राजकुमारी बाद में देख ली जाएगी, पहली बार सामूहिक चुनाव लड़ना और डूबना की बर्बादी है। ये हो गया तो सब कुछ हो जाएगा। पिछले दो साल से जो बात दोनों नेताओं को समझ में नहीं आ रही थी, शायद अब समझ में आ गई होगी। गोदावरी से तो ऐसा ही अनोखा होता है।

वैसे भी राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही कभी नहीं होती। ड्राइवर और पायलट दोनों ही अच्छी तरह से जानते हैं और इनके बारे में भी जानते हैं।

राजस्थान में शुक्रवार को हुई सभाओं और रेलवे में घोड़ों और पायलटों के सुर फ़ाइफ़ मिले- जुले नीचे दिए गए हैं।

राजस्थान में शुक्रवार को हुई सभाओं और रेलवे में घोड़ों और पायलटों के सुर फ़ाइफ़ मिले- जुले नीचे दिए गए हैं।

मध्य प्रदेश में भाजपा से जुड़े लोगों को कांग्रेस ने जी वीडियो टिकटें दी हैं। सफल कितने होंगे, यह परिणाम आने पर पता चल जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट कांग्रेस ने पहले बाँटे कुछ टिकटें भी बदलीं। पहली सूची में एन पी प्रजापति के टिकट काट कर पार्टी ने चौंका दिया था लेकिन अब एन पी प्रजापति के टिकट दे दिया गया है। छत्तीसगढ़ के चुनावी मैदान में अब तक कांग्रेस ज़रूर बेख़ौफ़ नज़र आ रही है लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुकाबला काँटे का लग रहा है।

इन दोनों राज्यों में अभी कोई यह कह सकता है कि स्थिति में नहीं है कि आखिरी जीतेगा कौन? कारण स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने अपनी स्थापना दोनों ही पत्रकारों को भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित नहीं किया है। कांग्रेस में स्थिति साफ़ है लेकिन मैदान साफ़ है, यह अभी तक नहीं कहा जा सका।

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