मणिपुर हिंसा, 12 हजार बच्चे शिविरों में, 4 नवंबर, अपडेट | 8 घंटे का स्कूल सिर्फ 3-5 घंटे चल रहा है: कुकी क्षेत्र के प्रमुखों में मरहम-पट्टी तक नहीं

इन्फाल5 मिनट पहले

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अमेरिकियों में भले ही तकलीफें कुछ कम हुई हों, लेकिन जिंदगी में असफलता नहीं लौटी है। इंक वो मैतेई बहुल इंफाल घाटी और इससे जुड़े 5 अन्य जिले हों या फिर कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, थाइजोल हो। सभी जगह स्कूल, बाजार, रेस्तरां खोले गए हैं। इंफाल वैली वाला एशिया का सबसे बड़ा महिला बाजार इमा कैथल भी खुला है। कुकी आभूषण के बाजार, स्कूल, रेस्तरां में कोई मैतेई नहीं साभार। यही हाल मैतेई क्षेत्र का है। सबसे ज्यादा प्रभावित स्कूल ही हुए हैं, क्योंकि 12 हजार 104 बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चा राज्य के 349 राहत शिविरों में रह रहा है।

3 मई को जब हिंसा भड़की तो स्कूल जला दिया गया। 10 अगस्त से जैसे-तैसे स्कूल खुला, लेकिन मां-बाप ने बच्चों को नहीं भेजा। बच्चों के स्कूल में अंतिम डेट के नमूने तो जाने लगे हैं, लेकिन खाना खाने के लिए, क्योंकि पढ़ाई नहीं हो रही है। स्कूल 8 घंटे नहीं, 3 से 5 घंटे ही लग रहे हैं। वो भी सुरक्षा बंधक के साये में।

जब भास्कर ने क्राइस्ट ज्योति स्कूल के टीचर हैक्रूजाम चारुवाला से सवाल किया तो वो बोलीं- हम बुरी तरह डरे हुए हैं। हालात कब बिगड़े, पता नहीं। बता दें कि राज्य में 40 हजार से ज्यादा युवा हैं।

मॉस्को में शुक्रवार को मैतेई नेताओं की कार पर गोलियों से हमला किया गया।

मॉस्को में शुक्रवार को मैतेई नेताओं की कार पर गोलियों से हमला किया गया।

रिलीफ़ कैंपों के पास के स्कॉटलैंड में ओझा के आध्यात्म, मुफ़्त अध्ययन
स्कूल शिक्षा निदेशालय एल. नंदकुमार कहते हैं कि पहले स्कूल में ही रिलीफ कैंप बनाने की योजना थी, न तो पढ़ाई, न ही योजना, लेकिन इस योजना में आगे कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। अब रिलीफ कैंप के पास के स्कूल में 8,722 बच्चों को दिखाया गया है। युज़िक पढ़ाई मुफ़्त है। 3382 बच्चे अभी भी पढ़ाई से दूर हैं। सेनापति, टेमेंगॉन्ग, उरखुल, केमजोंग के स्कूल में 6 महीने में एक बार भी बंद नहीं हुआ, क्योंकि यहां हिंसा नहीं हुई। आज लगभग सभी रसोईयों में 90% उपस्थिति है।

कूकी क्षेत्र के प्रमुख मैताई डॉक्टर थे, जो चले गए हैं
मई में हिंसा भड़कने के बाद कुकी बहुल चूड़ाचांदपुर, टेंगनाउपोल जैसे शेओला में मेताई याचिकाकर्ताओं ने अस्पताल छोड़ दिया था। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमांड सपोर्ट रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर आयुष डॉक्टर हैं, लेकिन यहां से नहीं हो रहे हैं मरहम-पट्टी, औषधियों की भारी कमी है। रिजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के डॉ. वीर शर्मा का कहना है कि मैतेई और कुकी मेडिकल स्टूडेंट की पढ़ाई खराब न हो, इसलिए उन्हें जापान में शामिल किया गया है।

तस्वीर इंफाल वेस्ट की कुकी बस्ती की है, जो हिंसा का शिकार हो गई है।

तस्वीर इंफाल वेस्ट की कुकी बस्ती की है, जो हिंसा का शिकार हो गई है।

खुला तो खुला, लेकिन 327 कर्मचारी ही काम पर….
सरकार के आदेश पर जून से उद्घाटन तो कर दिया गया, लेकिन कुकी जापान के सरकारी कर्मचारी अभी भी गायब हैं। चूड़ाचांदपुर में 327 कर्मचारी ही काम पर हैं। टेंगनाउपोल, मोरेह, कांगपोकपी, थाउबोल में भी यही स्थिति है। हालाँकि मैतेई बहुल समुच्चय में सभी सरकारी कर्मचारी आ रहे हैं।

दो दिन पहले हुई साइंटिफिक की हत्या के बाद म्यांमार से सटे शहर मोरेह में तनाव पैदा हो गया है। यहां असम राइफल्स और पुलिस के कमांडो कॉम्बेट ऑपरेशन चल रहे हैं। इससे सहमे कुकी लोग परिवार के साथ घर से बाहर असम राइफल्स कैंप के बाहर शरण के लिए गए हैं। उन्होंने पिछली रात साबिर की रात बिताई। भारतीय जनता पार्टी के 8 नामों ने पुलिस पर महिलाओं से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। उन्होंने शुक्रवार को इसके खिलाफ एक रैली भी निकाली।

कंपनियों की सीमा क्षेत्र में सेनाएं शामिल हो गईं
सीमा क्षेत्र में पुलिस कमांडो की संख्या बढ़ी है। हालांकि इसके खिलाफ म्यांमार की सीमा से लगे मोरे शहर में युवा महिलाओं के एक वर्ग ने भी प्रदर्शन किया। जनजाति यूनीटी (सीओटीयू) पर कुकी इंपी और कमेटी ने 22 अक्टूबर को यह दावा किया था कि शहर की इंफाल घाटी में बड़ी संख्या में आतंकवादियों को शामिल किया गया है।

इससे शांति भंग हो सकती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि शहर के बैल जोन में पैरामिलिट्री फोर्स और भारतीय सेना के जवान काफी संख्या में शामिल हैं। इसके बावजूद कुकी बहुल शहर टेंग्नोपाल जिले के मोरेह में रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैतेई पुलिस के ढांचे की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानें- क्या है सरदार हिंसा की वजह…

कंपनियों की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी। मैताई ज्यादातर हिंदू हैं। नागा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। जापानी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% क्षेत्र में इन्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नागा-कुकी की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए डेमोक्रेट उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कम्यूनिटी का विलय था कि 1949 में कम्युनिस्टों का भारत में विलय हो गया था। उन्हें सबसे पहले ट्राइब का ही लेबल मिला था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से सैक्सो की मैतेई को जनजाति जनजाति (एसटी) में शामिल कर लिया।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति का मानना ​​है कि सबसे पहले उनके राजा को म्यांमार से कुकी विजय युद्ध के लिए बुलाया गया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी चले गये। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल केट और पहाड़ की खेती करना शुरू कर दिया। इन प्रयोगशालाओं का ट्रॉयंगल बन गया है। यह सब मेडिकल हो रहा है। अन्य नागा लोगों ने लड़ाई के लिए हथियार समूह बनाया।

नागा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी तीनों जनजाति मैतेई समुदाय को तटस्थता के विरोध में हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य की 60 से 40 सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को अनोखा मिलन से उनके अधिकार का बंटवारा होगा।

तृतीयक गुणांक क्या हैं: टीमों के 60 प्रतिनिधियों में से 40 नेता मैतेई और 20 सदस्य नागा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रह रहे हैं।

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