मणिपुर हिंसा; म्यांमार की अस्थिरता पर राणा प्रताप कलिता | कुकी-मैतेई के पास बड़ी संख्या में हथियार और म्यांमार में विपक्ष का संघर्ष फैला हुआ है

कोलकाता10 मिनट पहले

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पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने शनिवार (16 दिसंबर) को कहा था कि कुकी और मैतेई में बड़ी संख्या में हथियारों की आपूर्ति के साथ-साथ पड़ोसी देश म्यांमार में हिंसा की सबसे बड़ी वजह है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और असम राइफल्स ने राज्य पुलिस और सीएपीएफ के साथ मिलकर सामूहिक हिंसा को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया है। हालाँकि, राज्य में अभी भी हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएँ होने की आशंका है।

कलिता ने कहा- केंद्र और राज्य सरकार कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शांति और सद्भाव की कोशिश कर रही है। लेकिन दो समुदायों के बीच कई मुद्दे हैं, जिन्हें हल करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय करना मुश्किल है।

सरकार की अंतिम स्थिति…

  • प्रोटोटाइप में डुप्लिकेट से लेकर सरकारी स्टार्टअप तक सब कुछ दो समुदायों में विभाजित हैं। पहले 16 मूर्तियों में 34 लाख की आबादी में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, अब कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंगनौपाल, कांगपोकपी, थिगोल, चांदेल में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल पश्चिम, पूर्व, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं।
  • कुकी क्षेत्र के प्रमुखों को मैताई डॉक्टर ठीक करने चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमांड सपोर्ट रह रहे हैं। यहां नहीं होने से मरहम-पट्टी, औषधियों की भारी कमी है।
  • सबसे ज्यादा प्रभावशाली मूर्तिकला पर हुआ है। 12 हजार 104 बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चा 349 रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। रेज़िस्टेंस की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा युवा आस्तिक हैं।
  • हिंसा के बाद से अब तक 6523 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें अधिकतर शून्य एफआईआर हैं। इनमें 5107 केस, 71 हत्याएं शामिल हैं। 53 अधिकारियों की एक टीम 20 केस देख रही है।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है तानाशाही की वजह

कंपनियों की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी। मैताई ज्यादातर हिंदू हैं। नागा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। जापानी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% क्षेत्र में इन्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नागा-कुकी की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए डेमोक्रेट उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कम्यूनिटी का विलय था कि 1949 में कम्युनिस्टों का भारत में विलय हो गया था। उन्हें सबसे पहले ट्राइब का ही लेबल मिला था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से भिक्षु की मैतेई को जनजाति जनजाति (ST) में शामिल कर लिया।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति का मानना ​​है कि सबसे पहले उनके राजा को म्यांमार से कुकी विजय युद्ध के लिए बुलाया गया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी चले गये। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल केट और पहाड़ की खेती करना शुरू कर दिया। इन प्रयोगशालाओं का ट्रॉयंगल बन गया है। यह सब मेडिकल हो रहा है। अन्य नागा लोगों ने लड़ाई के लिए हथियार समूह बनाया।

नागा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी तीनों जनजाति मैतेई समुदाय को तटस्थता के विरोध में हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य की 60 से 40 सीट पहले मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को अनोखा मिलन से उनके अधिकार का बंटवारा होगा।

तृतीयक गुणांक क्या हैं: टीमों के 60 प्रतिनिधियों में से 40 नेता मैतेई और 20 सदस्य नागा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रह रहे हैं।

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मॉक में 8 महीने बाद 19 लोगों का अंतिम संस्कार:20 दिसंबर 87 को शव अंतिम संस्कार किया गया

सामूहिक हिंसा में जान गंवाने वाले कुकी समुदाय के 19 लोगों की शहादत का शुक्रवार (15 दिसंबर) को कांगपोकपी में अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान उनकी लैबोरेटरी मौजूद रहीं। ये शव पिछले 8 महीने से मोर्चरी में रखे हुए थे।

14 दिसंबर को इंफाल घाटी में मस्जिद नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और रिजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुर्दाघर से 60 शव प्लेन से चुराए गए चांदपुर और कांगपोकपी भेजे गए थे। पूरी खबर पढ़ें…

दो गुटों में गोलीबारी, 13 लोगों की मौत:म्यांमार सीमा से लगे लीथू गांव की घटना

सोमवार सुबह 10:30 बजे दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में 13 लोगों की मौत हो गई। घटना म्यांमार सीमा से लगे कुकी बहुल इलाके तेंग्नौपाल​​​​​​ जिले के लीथू गांव की है।

असम राइफल्स के मुताबिक, इलाके के एक विद्रोही समूह ने म्यांमार जा रहे उग्रवादियों पर यह हमला किया है। मारे गए लोगों की पहचान नहीं हो पाई। पूरी खबर पढ़ें…

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