मणिपुर हिंसा अद्यतन; दो आतंकवादी पकड़े गये | हथियार और गोला-बारूद बरामद; सीएम बोले- राज्य को सलाह देने की साजिश रची जा रही है

इंफालकुछ ही क्षण पहले

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पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों के कब्जे से एके 47, इंसास, स्नाइपर और एम 16 राइफलें समेत 2.5 राइफल राइफल और 4,86,500 रुपये की नकदी बरामद की गई है।  - दैनिक भास्कर

पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों के कब्जे से एके 47, इंसास, स्नाइपर और एम 16 राइफलें समेत 2.5 राइफल राइफल और 4,86,500 रुपये की नकदी बरामद की गई है।

डकैती के आरोपी चांदपुर से म्यांमार के उग्रवादी संगठन चिन कुकी लिबरेशन आर्मी (सीकेएलए) के दो गिरफ्तार सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं। अमेरिकी पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोनों उग्रवादियों को भारत-म्यांमार सीमा के पास चलजंग से पकड़ा गया है।

पुलिस ने बताया कि उनके कब्जे से एके 47, इंसास, स्नाइपर और एम 16 राइफलें बरामद की गईं, जिनमें 2.5 लॉटरी राइफल और 4,86,500 रुपये शामिल हैं। इससे पहले, 23 अक्टूबर को पुलिस ने स्टूडियो के दौरान एक अन्य उग्रवादी को भी गिरफ्तार कर लिया था।

वहीं, प्रमुख सीएम एनरेन बी सिंह ने इस एक्शन को लेकर कहा कि इस बिल्डर से पता चलता है कि राज्य को साजिश रचने का मौका मिल रहा है। हालाँकि राज्य नामांकन कंडीशन की ओर बढ़ रहा है। जल्द ही यहां के लोग खुशी से मिलेंगे।

नोकझोंक में 3 मई से हिंसा जारी है।  इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

नोकझोंक में 3 मई से हिंसा जारी है। इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

RSS प्रमुख का दावा- नेताओं में हो रही हिंसा, सोची-समझी साजिश
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को दावा किया कि बौद्ध धर्म में हो रही हिंसा सोची-समझी साजिश है। मॉक में मैतेई और कुकी समुदाय सामरी से एक साथ रहते हैं। इनके बीच सांप्रदायिक आग कैसे लगी? हिंसा करने वाले लोग सीमा पार के कट्टरपंथी भी क्या थे?

वहां पर प्राचीनतम से प्लांट सेवा करने वाले संघ जैसे संगठन को बिना कारण शामिल किया गया। कंपनी में स्टूडियो और स्टूडियो से विदेशी सत्ताओं का फायदा उठाया जा सकता है। देश में मजबूत सरकार के होते हुए भी ये हिंसा किनके बलबूते इतने दिनों से चल रही है? इससे साफ है कि यह नहीं हो रहा है, पानी जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

कंपनियों की सीमा क्षेत्र में सेनाएं शामिल हो गईं
सीमा क्षेत्र में पिछले एक हफ्ते से पुलिस कमांडो की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। हालाँकि, इसके खिलाफ म्यांमार की सीमा से लगे मोरे शहर में युवतियों के एक वर्ग ने भी विरोध प्रदर्शन किया।

जनजाति यूनीटी (सीओटीयू) पर कुकी इंपी और कमेटी ने 22 अक्टूबर को यह दावा किया था कि शहर की इंफाल घाटी में बड़ी संख्या में आतंकवादियों को शामिल किया जा रहा है। इससे शांति भंग हो सकती है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि शहर के बैल जोन में पैरामिलिट्री फोर्स और भारतीय सेना के जवान काफी संख्या में शामिल हैं। इसके बावजूद कुकी बहुल शहर टेंग्नोपाल जिले के मोरेह में रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैतेई पुलिस के ढांचे की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…

हिंसा के कर्मचारियों को अपने घर में छोड़ कर सरकारी कैंप में शरण ले ली गई है।

हिंसा के कर्मचारियों को अपने घर में छोड़ कर सरकारी कैंप में शरण ले ली गई है।

अभियोजक के कार्यालय के आदेश के खिलाफ अपील की फ़्लोरिडा
तीन दिन पहले उच्च न्यायालय ने राज्य के जनजातीय विद्वानों के खिलाफ 27 मार्च के आदेश के तहत अपील दायर की थी। आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह मैतेई समुदाय को स्थापित करने के लिए बौद्ध धर्म का प्रचार करे।

न्यायमूर्ति एहनथेम बिमोल और न्यायमूर्ति गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने कहा कि उत्पादों की मुख्य याचिका यह है कि अगर उन्हें मैतेई समुदाय को समर्थन देने के मामले में अपनी बात या दृढ़ता का अवसर नहीं दिया गया तो इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पूरी खबर पढ़ें…

अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत, 1100 घायल
पिछले 4 महीनों से चली आ रही जातीय हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतने ही नहीं, 5172 जंगली के मामले सामने आए, जिनमें 4786 घर और 386 धार्मिक स्थलों का अनावरण और स्मारक करने की घटनाएं शामिल हैं।

हिंसा के बाद 65 हज़ार से ज़्यादा लोगों को घर छोड़ दिया गया
विशेषज्ञों में अब तक 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हैं और 144 लोगों की धोखाधड़ी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 आईपीएस तैनात हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गई हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है तानाशाही की वजह…

कंपनियों की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी। मैताई ज्यादातर हिंदू हैं। नागा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। जापानी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% क्षेत्र में इन्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नागा-कुकी की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए डेमोक्रेट उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कम्यूनिटी का विलय था कि 1949 में कम्युनिस्टों का भारत में विलय हो गया था। उन्हें सबसे पहले ट्राइब का ही लेबल मिला था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से सैक्सो की मैतेई को जनजाति जनजाति (एसटी) में शामिल कर लिया।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति का मानना ​​है कि सबसे पहले उनके राजा को म्यांमार से कुकी विजय युद्ध के लिए बुलाया गया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी चले गये। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल केट और पहाड़ की खेती करना शुरू कर दिया। इन प्रयोगशालाओं का ट्रॉयंगल बन गया है। यह सब मेडिकल हो रहा है। अन्य नागा लोगों ने लड़ाई के लिए हथियार समूह बनाया।

नागा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी तीनों जनजाति मैतेई समुदाय को तटस्थता के विरोध में हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य की 60 से 40 सीट पहले मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को अनोखा मिलन से उनके अधिकार का बंटवारा होगा।

तृतीयक गुणांक क्या हैं: टीमों के 60 प्रतिनिधियों में से 40 नेता मैतेई और 20 सदस्य नागा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रह रहे हैं।

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मॉक में रविवार को कुकी समुदाय के युवाओं को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (आईटीएलएफ) के प्रवक्ता घिंजा ने ये वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा कि वीडियो मई का है, लेकिन ये अभी सामने आया है. पढ़ें पूरी खबर…

पहले सरकार को समर्थन, अब विरोध हुआ मैतेई:कुकी क्षेत्र में दो मूल निवासियों का, परिवार बोला- पुलिस ने उन्हें शामिल नहीं किया

3 मई, 2023 से माके में हो रही हिंसा, 5 महीने बाद नया मोड़ है। शुरुआत में मैतेई समुदाय के सीएम बीरेन सिंह और सरकार का फ्रैंक समर्थन कर रहे थे, अब खिलाफ हैं। वजह है 17 साल की लड़की और 20 साल की फ़िज़ाम हेमनजीत की हत्या। पूरी खबर यहां पढ़ें…

एनआईए-सीबीआई ने कहा- वैज्ञानिकों के साक्ष्यों के आधार पर इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट ने विचारधारा पर लगाए आरोप

वैज्ञानिकों में हर साक्ष्य का आधार दिया गया है। एनआईए और सीबीआई ने 2 अक्टूबर को ये बात कही। दोनों इंडिजिनस ट्राइबल खंड फ्रंट (आईटीएलएफ) की ओर से दिए गए पोर्टफोलियो में कहा गया है कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई भी पूर्वाग्रह नहीं रखा गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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