मणिपुर हिंसा अद्यतन; इंटरनेट पर प्रतिबंध बढ़ाया गया | मोरेह पुलिस तैनाती | कुकी कम्यूनिटी का दावा- इससे शांति भंग हो सकती है; इंटरनेट बैन अब 26 अक्टूबर तक

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इंफालकुछ ही क्षण पहले

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कुकी ज्यूफन संगठन सीओटीयू का दावा है कि रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैती पुलिस के ऑर्बिटल की जा रही है।  (फोटो) - दैनिक भास्कर

कुकी ज्यूफन संगठन सीओटीयू का दावा है कि रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैती पुलिस के ऑर्बिटल की जा रही है। (फ़ॉलो फोटो)

फ्लोरिडा में पुलिस कमांडो की संख्या में बढ़ोतरी की गई है। इसके खिलाफ म्यांमार की सीमा से लगे मोरे शहर में युवा महिलाओं का एक वर्ग का आरोप 3 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

युकी इंपी और कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) जैसे जेसुब के सहयोगियों ने दावा किया है कि शहर में इंफाल घाटी से बड़ी संख्या में आतंकियों को शामिल किया जा रहा है। इससे शांति भंग हो सकती है।

वहीं, राज्य में हो रही हिंसा की घटनाओं को लेकर इंटरनेट पर 26 अक्टूबर तक बैन बढ़ा दिया गया है।

नोकझोंक में 3 मई से हिंसा जारी है।  इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

नोकझोंक में 3 मई से हिंसा जारी है। इसमें अभी तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

कुकी ऑर्गनाइजेशन का दावा- रात को आर्किटेक्ट से मैतेई पुलिस की फायरिंग की जा रही थी
कुकी इंपी ऑर्गनाइजेशन का दावा है कि शहर के हथियारबंद जोन में पैरामिलिट्री फोर्स और भारतीय सेना के युवा काफी संख्या में शामिल हैं। इसके बावजूद कुकी बहुल शहर टेंग्नोपाल जिले के मोरेह में रात को हेलिकॉप्टर से अतिरिक्त मैतेई पुलिस के ढांचे की जा रही है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि इंफाल पूर्वी जिले में हाल के अभियानों में बंदूकें और गोला-बारूद की बरामदगी के लिए कुकी समुदाय को बदनाम किया गया है। इसलिए भी हम प्रदर्शन कर रहे हैं।

वहीं, सैन्य अधिकारियों का कहना है कि असम राइफल्स के एक कमांडेंट और अन्य सुरक्षा अधिकारियों ने पिछले कुछ दिनों में विद्रोह के मामले में कई बार बातचीत की, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ है।

अभियोजक के कार्यालय के आदेश के खिलाफ अपील की फ़्लोरिडा
तीन दिन पहले उच्च न्यायालय ने राज्य के जनजातीय विद्वानों के खिलाफ 27 मार्च के आदेश के तहत अपील दायर की थी। आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह मैतेई समुदाय को स्थापित करने के लिए बौद्ध धर्म का प्रचार करे।

न्यायमूर्ति एहनथेम बिमोल और न्यायमूर्ति गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने कहा कि उत्पादों की मुख्य याचिका यह है कि अगर उन्हें मैतेई समुदाय को समर्थन देने के मामले में अपनी बात या दृढ़ता का अवसर नहीं दिया गया तो इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पूरी खबर पढ़ें…

हिंसा के कर्मचारियों को अपने घर में छोड़ कर सरकारी कैंप में शरण ले ली गई है।

हिंसा के कर्मचारियों को अपने घर में छोड़ कर सरकारी कैंप में शरण ले ली गई है।

अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत, 1100 घायल
पिछले 4 महीनों से चली आ रही जातीय हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतने ही नहीं 5172 असाधारण मामले सामने आए, जिनमें 4786 घर और 386 धार्मिक स्थलों का दहन और स्मारक करने की घटनाएं शामिल हैं।

हिंसा के बाद 65 हज़ार से ज़्यादा लोगों को घर छोड़ दिया गया
विशेषज्ञों में अब तक 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हैं और 144 लोगों की धोखाधड़ी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 आईपीएस तैनात हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गई हैं।

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कंपनियों की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी। मैताई ज्यादातर हिंदू हैं। नागा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। जापानी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% क्षेत्र में इन्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नागा-कुकी की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए डेमोक्रेट उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कम्यूनिटी का विलय था कि 1949 में कम्युनिस्टों का भारत में विलय हो गया था। उन्हें सबसे पहले ट्राइब का ही लेबल मिला था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से सैक्सो की मैतेई को जनजाति जनजाति (एसटी) में शामिल कर लिया।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति का मानना ​​है कि सबसे पहले उनके राजा को म्यांमार से कुकी विजय युद्ध के लिए बुलाया गया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी चले गये। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल केट और पहाड़ की खेती करना शुरू कर दिया। इन प्रयोगशालाओं का ट्रॉयंगल बन गया है। यह सब मेडिकल हो रहा है। अन्य नागा लोगों ने लड़ाई के लिए हथियार समूह बनाया।

नागा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी तीनों जनजाति मैतेई समुदाय को तटस्थता के विरोध में हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य की 60 से 40 सीट पहले मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को अनोखा मिलन से उनके अधिकार का बंटवारा होगा।

तृतीयक गुणांक क्या हैं: टीमों के 60 प्रतिनिधियों में से 40 नेता मैतेई और 20 सदस्य नागा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रह रहे हैं।

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3 मई, 2023 से माके में हो रही हिंसा, 5 महीने बाद नया मोड़ है। शुरुआत में मैतेई समुदाय के सीएम बीरेन सिंह और सरकार का फ्रैंक समर्थन कर रहे थे, अब खिलाफ हैं। वजह है 17 साल की लड़की और 20 साल की फ़िज़ाम हेमनजीत की हत्या। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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