मणिपुर में बढ़ा इंटरनेट प्रतिबंध | मणिपुर मर्डर केस | 195 दिन से प्रतिबंध जारी; पुलिस ने कहा- अफवाहों पर रोक लगाने का फैसला लिया गया

इन्फाल14 मिनट पहले

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3 मई से जारी हिंसा में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है।  वहीं 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।  - दैनिक भास्कर

3 मई से जारी हिंसा में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।

डेमोक्रेट सरकार ने राज्य में एक बार इंटरनेट बैन 18 नवंबर तक बढ़ा दिया है। इससे पहले 13 नवंबर तक स्केल किया गया था। 3 मई से 195 दिन पहले भड़की जातीय हिंसा के बाद इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तब से हर पांच दिन बाद प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

कमिश्नर कमिश्नर (होम) ने कहा कि असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने वाली तस्वीरें, अपमानजनक भाषण और अपमानजनक वीडियो साझा न करें। इसके अलावा अफवाहें फैलाई गईं। इसी वजह से इंटरनेट पर रोक लगाई गई है।

राज्य में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।

माफियाओं के अपहरण के बाद चांदपुर कस्बे में युवा छात्रों ने अपनी शिक्षा पर हिंसा के प्रभाव को लेकर हड़ताल कर दी।

माफियाओं के अपहरण के बाद चांदपुर कस्बे में मुस्लिम समुदाय के छात्रों ने अपनी शिक्षा पर हिंसा के प्रभाव को लेकर हड़ताल कर दी।

5 अद्यतित में दो शहरों के बीच फिल्मांकन की खबरें
पुलिस का कहना है कि बिष्णुपुर, चोरीचांदपुर, इंफाल पूर्व समेत पांच जिलों में दो जिलों के बीच शूटिंग की खबरें हैं। ऐसे में खतरा यह है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने की कोशिश कर सकते हैं। कुछ लोग अपवित्र भाषण और अपवित्रता वाले वीडियो शेयर करके हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं। इसी वजह से 5 दिन के लिए इंटरनेट बैन और झटका लगा है।

23 सितंबर को इंटरनेट बैन हटा, फिर तीन बार लगा
राज्य में स्थिति काफी हद तक सामान्य होने के बाद 23 सितंबर को इंटरनेट पर प्रतिबंध हटा दिया गया था, लेकिन दो लापता छात्रों की जमानत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सैकड़ों छात्रों की सुरक्षा बलों के साथ दोस्ती हो गई थी। इसके बाद 26 सितंबर को इसे फिर से लागू किया जाना बाकी है।

म्यांमार ने भारत से लगी सीमा सील की
वहीं, प्रमुख पुलिस उपमहानिरीक्षक जोगेशचंद्र हाओबिजाम के नेतृत्व में 11 आईआरबी कमांडो और 7 कमांडो की टीम ने सीमा क्षेत्र से 40 म्यांमारी हमलावरों को गिरफ्तार किया है।

इधर, मोरेह में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) स्थित है, जिसके बाद म्यांमार ने इंडो-म्यांमार सीमा को सील कर दिया है।

गेट नंबर-1 और गेट नंबर-2 बंद कर दिया गया है, जो मोरेह को म्यांमार के सैंग राज्य के नामफालोंग जिले से लाते हैं। दरअसल, 5 नवंबर को आईसीपी पर हमला हुआ था, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।

म्यांमार ने भारत-म्यांमार सीमा के गेट नंबर-1 और गेट नंबर-2 को बंद कर दिया है।

म्यांमार ने भारत-म्यांमार सीमा के गेट नंबर-1 और गेट नंबर-2 को बंद कर दिया है।

नवंबर में घटी घटना

  • 1 नवंबर: 31 अक्टूबर की देर रात को इंफाल में एसडीओपी की हत्या से नाराज भीड़ ने राइफल्स के कैंप पर हमला कर दिया था। इनका मकसद हथियार लूटना था। हालाँकि सुरक्षा कर्मियों ने कई हवाई जहाज़ों की भीड़ को तितर-बितर कर दिया।
  • 5 नवंबर: इंफाल पश्चिमी जिले से दो युवा सेकमाई क्षेत्र में जाने के लिए निकले थे। उसके बाद से दोनों की कोई खबर नहीं है। पुलिस ने लापता मैबम अज्ञानी (16) और निंगथोउजाम एंथोनी (19) के मोबाइल आर्मीपति जिले से पेट्रोल पंप के पास से बरामद किया। राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध 8 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।
  • 6 नवंबर: अमेरिकी पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लिया। इन पर दो पार्सल के असामयिक का आरोप है। लापता हॉस्टल की राज्यपाल अनुसुइया उइके और पुलिस से शिकायत की। साथ ही इंफाल में रैली रैली। रास्ता जाम कर प्रदर्शन किया।
  • 7 नवंबर: 7 नवंबर को कांगचुप इलाके में एक कंपनी की गोलीबारी हुई, जिसमें 2 पुलिसकर्मी, एक महिला समेत 9 लोग घायल हो गए। सात लोगों को रिम्स तो 3 लोगों को राज मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  • 9 नवंबर: इंफाल में महिला समेत दो लोगों का शव बरामद। पुलिस ने बताया, शव की आंखों पर पट्टी बांधी गई थी, जबकि हाथ पीछे से बंधे थे। वहीं सिर पर गोलाई के निशान मिले।
हिंसा के श्रमिक देशों का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां से लेकर अब तक सभी कुछ दो समूहों में बंटे हुए हैं।

हिंसा के श्रमिक देशों का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां से लेकर अब तक सभी कुछ दो समूहों में बंटे हुए हैं।

सरकार की अंतिम स्थिति…

  • प्रोटोटाइप में डुप्लिकेट से लेकर सरकारी स्टार्टअप तक सब कुछ दो समुदायों में विभाजित हैं। पहले 16 में लेकिन 34 लाख की आबादी में मटेई-कुकी साथ रहते थे, अब कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, थीगोल, चंदेल में कोई भी मतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल पश्चिम, पूर्व, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं।
  • कुकी क्षेत्र के प्रमुखों को मैताई डॉक्टर ठीक करने चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमांड सपोर्ट रह रहे हैं। यहां नहीं होने से मरहम-पट्टी, औषधियों की भारी कमी है।
  • सबसे ज्यादा प्रभावशाली मूर्तिकला पर हुआ है। 12 हजार 104 बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चा 349 रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। रेज़िस्टेंस की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा युवा आस्तिक हैं।
  • हिंसा के बाद से अब तक 6523 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें अधिकतर शून्य एफआईआर हैं। इनमें 5107 केस, 71 हत्याएं शामिल हैं। 53 अधिकारियों की एक टीम 20 केस देख रही है।
  • इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, झिरिबम, विष्णुपुर, थौबल, चुराचांदपुर और टेंगनाउपोल, कांगपोकपी, काकचिंग, फिरोजॉल में लगा हुआ है। जबकि सेनापति, उरखुल, कामजोंग, टेमेंगलोंग, नोने और कप्सिन में शाम 6 से 5 बजे तक लगा है। पूरी खबर पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानें- क्या है सरदार हिंसा की वजह…
कंपनियों की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी। मैताई ज्यादातर हिंदू हैं। नागा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। जापानी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% क्षेत्र में इन्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। नागा-कुकी की जनसंख्या करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए डेमोक्रेट उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। कम्यूनिटी का विलय था कि 1949 में कम्युनिस्टों का भारत में विलय हो गया था। उन्हें सबसे पहले ट्राइब का ही लेबल मिला था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से भिक्षु की मैतेई को जनजाति जनजाति (ST) में शामिल कर लिया।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति का मानना ​​है कि सबसे पहले उनके राजा को म्यांमार से कुकी विजय युद्ध के लिए बुलाया गया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी चले गये। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल केट और पहाड़ की खेती करना शुरू कर दिया। इन प्रयोगशालाओं का ट्रॉयंगल बन गया है। यह सब मेडिकल हो रहा है। अन्य नागा लोगों ने लड़ाई के लिए हथियार समूह बनाया।

नागा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी तीनों जनजाति मैतेई समुदाय को तटस्थता के विरोध में हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य की 60 से 40 सीट पहले मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को अनोखा मिलन से उनके अधिकार का बंटवारा होगा।

तृतीयक गुणांक क्या हैं: टीमों के 60 प्रतिनिधियों में से 40 नेता मैतेई और 20 सदस्य नागा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रह रहे हैं।

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मॉक में रविवार को कुकी समुदाय के युवाओं को जिंदा जलाने का वीडियो सामने आया है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (आईटीएलएफ) के प्रवक्ता घिंजा ने ये वीडियो शेयर किया है। उन्होंने कहा कि वीडियो मई का है, लेकिन ये अभी सामने आया है. पढ़ें पूरी खबर…

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3 मई, 2023 से माके में हो रही हिंसा, 5 महीने बाद नया मोड़ है। शुरुआत में मैतेई समुदाय के सीएम बीरेन सिंह और सरकार का फ्रैंक समर्थन कर रहे थे, अब खिलाफ हैं। वजह है 17 साल की लड़की और 20 साल की फ़िज़ाम हेमनजीत की हत्या। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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