नई दिल्ली26 मिनट पहले
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मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध 13 नवंबर 2023 से ही लागू होगा
सरकार ने सोमवार को नौ मैतेई उग्रवादी समूहों और उनके सहयोगी सहयोगियों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। यह अनोखे राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाया गया है – विरोधी विद्रोह और सुरक्षा सेनाओं पर घातक हमले। ये समूह सक्रिय हैं। यह प्रतिबंध आज (13 नवंबर 2023) से ही लागू होगा।
इन उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में जिन ग्रुप्स पर प्रतिबंध लगाया गया है- पीपुल्स लिबरेशन (पीएलए) और राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसके आर्म्ड फोर्स पीपुल्स पीपुल्स आर्मी (एमपीए), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी। पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK) और उसकी आर्म्ड फोर्स, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (KPC) और उसकी आर्म्ड फोर्स रेड आर्मी, कांगलेई याओल कनबा लुप (YKL), सहयोग समिति (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेइपाक (ASUK) शामिल हैं।
इन ग्रुप्स पर बैन बढ़ाया गया
पीएलए, यूएनएलएफ, पीआरईपीएके, केसीपी, केवाईकेएल पर कई साल पहले परमाणु उद्योग (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गृह मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाया था। नए एक्शन में इन पर बैन को पांच साल तक बढ़ाया गया है। अन्य ईसाइयों के गैर-कानूनी घोषित होने का खात्मा ताज़ा है।

नोकझोंक में 3 मई से हिंसा जारी है। हिंसा में उग्रवादी समूहों की भूमिका के भी प्रमाण मिलते हैं।
रोक नहीं लगाई तो मौका मिल जाएगा
अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार का मानना है कि यदि मैतेई उग्रवादी समूहों पर स्वत: नियंत्रण नहीं किया गया तो अपने अलगाववादी, विध्वंसक, अत्याचार और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को एकजुट होने का अवसर मिलेगा। वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए सामूहिक राष्ट्र-विरोधी असमानता का प्रचार करेंगे। नागरिकों की हत्याएँ करेंगे और पुलिस, सुरक्षा बलों के हथियारों को बढ़ावा देंगे। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद की खरीद-फरोख्त करेंगे। अपने अवैध कब्जे के लिए जनता से भारी धन प्रौद्योगिकी।
विदेश से संपर्क बना रहे
अधिसूचना के अनुसार मैतेई उग्रवादी समूह जनता की राय को प्रभावित करने और अपने अंतर्विरोधी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए और प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी मदद हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। सुरक्षा, प्रशिक्षण और पशुपालन और गोला-बारूद की गुप्त खरीद के लिए इन पड़ोसी देशों में शिविर लगाने के लिए विदेशी ठिकानों से संपर्क बनाए जा रहे हैं।
मैतेई मैतेई उग्रवादी समूह भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए साम्राज्यवादी माने जाते हैं और वे गैर-संगठित संगठन हैं। यूनेस्को पर नजर रखते हुए केंद्र सरकार की राय है कि मैतेई उग्रवादी समूहों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है।
180 के दशक में जातीय हिंसा
3 मई को पहली बार जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। ये रिश्तें जातीय मैतेई और कुकी बस्ती के बीच हुई हैं। हिंसा का एक प्रमुख फ्लैशप्वाइंट मैतेई को एसटी का प्रमुख कदम माना जा रहा है। हालाँकि बाद में इसे वापस ले लिया गया।
मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे अधिकतर इंफाल घाटी में रहते हैं। जबकि जवानी, नागालैंड और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी आश्रम में रहते हैं।

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