- हिंदी समाचार
- राय
- मंदिर उद्घाटन समारोह के लिए अयोध्या न जाने का कांग्रेस का फैसला कितना सही?
33 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
- कॉपी लिंक
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/11/55_1704992449.gif)
राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में जाने से कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव दिया है। इस समय में यही चर्चा है कि कांग्रेस का यह निर्णय कितना सही है और कितना गलत? पार्टी का कहना है कि यह कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राजनीतिक कार्यक्रम है। बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह सब कुछ कर रहे हैं।
सबसे आगे चुनाव इसलिए हैं क्योंकि भाजपा इसके लिए मेरठ में अलख जगाना चाहती है। जबकि अभी तो मंदिर पूरा भी नहीं बना है। सही है, मान लीजिए कि यह सब राजनीति ही है तो क्या कांग्रेस पार्टी यहां कोई यज्ञ करने के लिए है? वह भी तो राजनीतिक पार्टी है. …और अगर है, तो राजनीति करें। क्या रोक रखा गया है?
![अयोध्या के राम मंदिर के ऐसे ही चबूतरे पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/11/80_1704991952.png)
अयोध्या के राम मंदिर के ऐसे ही चबूतरे पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
कुल मिलाकर जब पूरा देश राम मंदिर को लेकर आल्हादित है तो कांग्रेस को अंतिम मंजूरी देने की क्या शर्त है? घोड़ों की राजनीति की सबसे पहली सीढ़ी है हालात। कांग्रेस कब समझेगी जन भावनाओं को?
अब तो कांग्रेस की गुजरात इकाई के एक बड़े नेता अर्जुन मोढवाडिया ने भी पार्टी के फैसले को गलत बताया है। उनका कहना है कि राम साक्षात भगवान हैं और उनसे संबंधित किसी भी उत्सव में जाना या दर्शन करना किसी व्यक्ति का निजी निर्णय हो सकता है। ऐसे में हम पार्टी के स्तर पर उस दिन अयोध्या न जाने का फैसला लेकर भूल कर रहे हैं। यह निर्णय किसी भी दृष्टि से ठीक प्रतीत नहीं होता।
![रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का पर्यटक पत्र।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/11/77_1704992174.png)
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का पर्यटक पत्र।
वेबसाइट में कुछ अन्य राजनीतिक निवेशकों ने भी अयोध्या जाने से इनकार कर दिया है लेकिन वे क्षेत्रीय उद्यम हैं। कांग्रेस तो देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी हुई थी। कारखानों और शेयरों के हिसाब-किताब से अब भले ही वह छोटा हो गया हो लेकिन उसकी संयुक्त या ये कहा गया है कि उसकी व्यापकता तो देश के हर कोने में अब भी है। उसे इस तरह के अपरिपक्व निर्णयों से हर हाल में बचना चाहिए।
कांग्रेस को अपने इस फैसले का नुक्सान उठाना पड़ सकता है।