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- भास्कर राय| भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका विश्व कप मैच और भारतीय राजनीति में समानताएं
नर्ड दिल्ली20 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर
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![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/06/opinion-1_1699253844.jpg)
विश्व कप में भारतीय क्रिकेट टीम जिस तरह अपराजेय का प्रदर्शन कर रही है, वह इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। सबसे पहले हमारी टीम ईगल की बैटिंग के मुताबिक जीत हुई थी। बॉलिंग ब्रिगेड कभी मोटरसाइकल थी, कभी पिट जया करती थी। इस बार दोनों ही मोर्चों पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। निश्चित ही इस बार का वर्ल्ड कप अपना ही लग रहा है।
रविवार को दक्षिण अफ्रीका के सामने जब भारत ने 327 रन बनाए तो लीग क्रिकेट प्रेमियों को यह कम लग रहा था। इसका कारण यह है कि दक्षिण अफ्रीका ने कई मैचों में चार सौ से अधिक रन बनाए हैं। वो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 434 रन का चेज़ तो आपको याद है ही।
![यह बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही मॉर्चों पर हमारी टीम बेस्ट परफॉर्म कर रही है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/06/shami-11699206905_1699253254.png)
यह बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही मॉर्चों पर हमारी टीम बेस्ट परफॉर्म कर रही है।
उसी को याद करके भारत द्वारा साभार कम लग रहा था। लेकिन हमारे बॉलर्स ने कमाल कर दिया। सौ रन के अंदर ऑल आउट कर दिया गया। साउथ अफ्रीका कभी भी किसी मैच में नहीं आया। एक के बाद एक उसका विकेट पोर्टफोलियो चला गया। जैसे पिछले दिनों श्रीलंका के अवशेष थे। इससे लगभग यही साबित हुआ कि भारत के बाकी रिकॉर्ड्स चेज करने में फिसड्डी हैं। उन्हें शायद दबाव में आ गया है और आयारामराम होने लगा है।
आयारामराम से याद आया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में यह शब्द बड़ा प्रचलित है। इसकी शुरुआत पहली बार चौधरी भजनलाल के कारण हरियाणा से हुई थी, लेकिन अब जहां भी चुनाव होते हैं, यह शब्द या मुहावरा बड़े ज़ोरों से साकार भी होता है और बताया भी जाता है।
फिलहाल कांग्रेस जैसी पार्टी ने राजस्थान में कुछ बड़ों के टिकट काटे हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कांग्रेस अपने बड़े और पुराने नेताओं के टिकट नहीं काटती लेकिन इस बार महेश जोशी के टिकट अनोखे हैं।
समझा जाता है कि डेमोक्रेट के पक्ष में पार्टी अलाकमान तक की परवाह नहीं की गई और उन्हें सार्वजनिक रूप से भी नैतिक-बुरी तरह की सजा दी गई। ये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी बड़ा झटका है। महेश जोशी उनके करीबी माने गए हैं और उन्होंने तब जो कुछ किया था, वह अर्थशास्त्री के पक्ष में ही किया था।
![अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कांग्रेस अपने बड़े और पुराने नेताओं के टिकट नहीं काटती लेकिन इस बार महेश जोशी के टिकट अनोखे हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/11/06/opinion_1699253676.jpg)
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कांग्रेस अपने बड़े और पुराने नेताओं के टिकट नहीं काटती लेकिन इस बार महेश जोशी के टिकट अनोखे हैं।
इसका मतलब यह है कि डेमोक्रेटिक के पक्ष में अलाकमान को खुली चुनौती जो दी गई थी, राहुल ब्रिगेड ने बगावत ही समझा था और निश्चित रूप से सचिन पायलट ने भी यह बात राहुल गांधी के सामने ज़ोर से कही थी। खैर आयाराम गए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी बहुत हैं। दोनों तरफ।
यह एक आश्चर्य की बात है क्योंकि पहले कांग्रेस में ही बगावत अधिक हुई थी। बीजेपी में ये परंपरा बहुत कम थी. अब बीजेपी में भी बगावतियों का प्रतिशत बढ़ रहा है। बल्कि ये कहना सही होगा कि बीजेपी के कार्यकर्ता अब कांग्रेस से भी ज्यादा गुसलमान हो गए हैं। असल में, भारतीय राजनीति की सच्चाई यह है कि जो भी पार्टी बड़ी होती है, वह कांग्रेस होती है।