19 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
![नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। - दैनिक भास्कर](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/29/comp-391706442838_1706487962.gif)
नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
आख़िरकार नीतीश कुमार एक बार फिर पाला मदारी मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी पर क़ाबिज़ हो गए। वे पाला जोड़े में माह हैं। तीसरे माह के देश में अन्य किसी राजनेता ने ऐसा और इतने बार कभी पाला नहीं बदला। किसी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में तो कभी नहीं। हरियाणा के चौधरी भजनलाल से राजनीति में हुए आएराम- गयाराम की पौध को अगर किसी ने सिद्दत से पाला-पोसा और सीया है तो वे नीतीश कुमार ही शुरू करते हैं।
समाजवाद की मशाल लेकर अपने छात्र जीवन से ही नीतीश कुमार ने कभी यादव के साथ राजनीति की राह पकड़ी थी। सेनाध्यक्ष थे और वे पहले कई सीढ़ियाँ चढ़े थे। नीतीश कुमार ने अपनी दूरी बना ली। इतना ही नहीं वे अहंकार के विरुद्ध हो गए और अपनी सत्ता हासिल कर ली। फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे कुरसी के अमीरात ही रहे। कच्चे कपड़ों की तरह पाला ही क्यों न बदला हो।
अपने मुख्य मंत्र काल में कुछ सिद्धांतों को ठीक करने के लिए वे कभी दो-दो बार तो कभी तीन-तीन बार पाला बदला लेकिन हर हाल में मुख्यमंत्री बने रहे। अपनी मुहर में ही वे इस दफा में तीसरी बार शपथ ले चुके हैं। वे कई बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का भी रिकॉर्ड बना चुके हैं। हो सकता है विधानसभा चुनाव से पहले वे फिर पाला बदल लें। अगर ऐसा हुआ तो किसी को भी कोई अचार नहीं डालना पड़ेगा.
राजनीति में कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है। इस दिन रविवार की सुबह निश्चित रूप से नीतीश कुमार भी मौजूद थे। वामपंथी यादव जब सरकार की ओर से गठबंधन की कोशिश कर रहे थे और नीतीश कुमार जब नई सरकार में बने थे तभी बीजेपी ने शर्त रखी थी कि समर्थन का पत्र तभी दिया जाएगा जब नीतीश स्थिर सरकार से इस्तिफ़ा लेंगे।
तब नीतीश डर रहे थे कि कहीं ऐसा न हो जाए कि वे खुद जिस तरह का खेल करते आए हैं, जैसे उनके साथ भी हो जाएं। ऐसा कहा जा रहा था कि नीतीश के इस्तफा से भाजपा राज्य विधानसभा को भंग करने की चाल चल सकती है। शुक्र ठीक से हो गया और जैसा नीतीश ने सोचा था, नई सरकार में उनका नेतृत्व बन गया और वर्ना लेने के पीछे पड़ गए!
इस पूरी घटना से बीजेपी को बंपर फ़ायदा होने वाला है। इंडिया अलायंस के साथ कुछ दिन पहले नीतीश काठमांडू का दल अब कह रहा है कि कांग्रेस जहां जमीन तक नहीं पहुंच पाई है, वह वहां पर बड़ा मोर्चा खोल रही है। इंडिया अलायंस टूटता दिखाई दे रहा है। वैसे भी अब तो थकावट नेता खुद का बयान भी अस्थिर होगा। लेकिन नेट नहीं थकते।