भास्कर राय- फ्री क्रीम | भास्कर राय- मुफ्त की मलाई: राज्य सरकार के पीछे मुफ्त की रेवड़ी बाँटने नहीं हैं

19 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर

  • कॉपी लिंक
राजस्थान की ग्राफिक्स दीया कुमारी ने 8 फरवरी को विधानसभा में अंतरिम बजट पेश किया।  - दैनिक भास्कर

राजस्थान की ग्राफिक्स दीया कुमारी ने 8 फरवरी को विधानसभा में अंतरिम बजट पेश किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुफ़्त की रेवड़ी बाँटने के समर्थक हैं। वे कई बार कह चुके हैं कि राज्य और देश का समग्र विकास करके लोगों से वोट मांगा जाना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है।

कांग्रेस और सरकार, आप पार्टी की सरकार तो बिजली-पानी में ये मुफ़्त की रेवड़ी बांटती फिर ही रही हैं, लेकिन अब बीजेपी गठबंधन भी इस काम में पीछे नहीं है।

मध्य प्रदेश में महिलाओं को 1200 रुपए महीना दिया जा रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है, इसका कोई भी शार्क उत्तर किसी के पास नहीं है। न सरकार के पास और न ही प्रशासन के पास।

इसी कड़ी में राजस्थान की भाजपा सरकार और आगे निकली है। गुरुवार को पेश की गई राज्य सरकार के बजट में ऐसी कई योजनाएं हैं जो फ्री की रेवड़ी की श्रेणी में आती हैं।

हालाँकि इससे पहले अशोक गहलोत सरकार ने भी इस दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। चुनाव की अंतिम घड़ी से पूर्व ग्रेट ब्रिटेन की सरकार ने महिलाओं को मोबाइल फोन तक बांटे।

मोबाइल फोन बाद में कम पड़ गए तो सरकार के मानक अनुपात पैसे महिलाओं को दिए गए थे। कुछ इसी तरह की परंपरा राज्य की नई भाजपा सरकार ने भी जारी की है।

गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में पेश किए गए बजट में राज्य सरकार ने युवाओं के लिए किराए में किराए पर प्रतिशत की छूट दी है। साथ ही बेटी के जन्म पर एक लाख रुपये की सेविंग बॉन्ड देना भी एक वादा है।

वास्तव में, इस सब के कारण पिसाता है कि वह भोगी वेतनभोगी व्यक्ति है जिसे उसके वेतन का मोटा हिस्सा बीमा कर के रूप में चुकाना पड़ता है। पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा आयकर में कोई राहत नहीं दी गई है।

कुल मिलाकर, साढ़े तीन लोगों से भारी भरकम टैक्स वसूली करोड़कर इस राशि को अस्सी करोड़ लोगों में बांटा जा रहा है। सही है, ग़रीबों को सहारा या सहायता मिलनी ही चाहिए ताकि वे उच्च उपयोगिता से ऊपर हों, लेकिन जो लोग इसके लिए कर के रूप में अपने भागों की गाढ़ी आय का भुगतान कर रहे हैं, उनके बारे में कौन सोचेगा?

फ्री रेवड़ी बांटने के लिए वोट मांगने का यह चलन बंद होना ही चाहिए।

ऐसा नहीं किया गया तो टैक्स पेयर पर लगातार भारी बढ़त होगी और आखिरी बार उसकी कमर टूटना तय है।

करदाता को सही मायने में राहत की जरूरत है तो सबसे पहले ये मुफ्त की रेवड़ियां बंद करनी चाहिए। सरकार किसी भी दल की क्यों न हो!

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *