भास्कर राय | एमपी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 सरकार बदलने या बचाने के लिए जमकर वोटिंग | अधिक वोट, सरकार को बदलाव के लिए या अस्तित्व के लिए?

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21 मिनट पहले

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इंदौर में मूर्तिपूजक विक्रम अग्निहोत्री ने पैर से मतदान किया।  - दैनिक भास्कर

इंदौर में मूर्तिपूजक विक्रम अग्निहोत्री ने पैर से मतदान किया।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वोट हो गए। वोट। पहले वोटिंग परसेंटेज से यह गाना आसानी से लग गया था कि कौन जीता है और कौन हार गया है। लेकिन अब यही बात सबसे मुश्किल हो गई है।

पैंसठ प्रतिशत से अधिक वोट थे तो पहले माना जाता था कि यह सत्ता या स्थिर सरकार के खिलाफ है। यानी सरकार बदलने वाली है। क्योंकि अधिक वोट का मतलब यह होता है कि लोग अपने घर से गुस्से में निकलते हैं और गुस्सा स्थिर सरकार या शासन या प्रशासन के प्रति होता है।

मध्य प्रदेश के सिरोंज में कुछ मतदान केंद्रों पर रात 8 बजे भी मतदाताओं की लाइन लगी रही।

मध्य प्रदेश के सिरोंज में कुछ मतदान केंद्रों पर रात 8 बजे भी मतदाताओं की लाइन लगी रही।

कुल मिलाकर सबसे ज्यादा वोटिंग को बदलाव की लहर माना गया था। असल, अब वोटिंग परसेंटेज से हार-जीत का नोएला चला गया बड़ी टेढ़ी खीर। लोग जागरुक हो गए हैं। वोट देना या वोट करना अपने परम अनुकूल तत्व हैं। इसलिए वोट वे जरूर डालते हैं। इसका परिणाम यह है कि इस बार मध्य प्रदेश में लगभग 75 प्रतिशत से ऊपर और छत्तीसगढ़ में प्रति सत्र प्रतिशत से अधिक वोट पड़े हैं।

हालाँकि इस वोट परसेंटेज को देखकर कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में भाजपा और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मन में मतभेद हो सकता है लेकिन लोकसभा की जागृति का पक्ष देखा जाए तो यह नहीं कहा जा सकता है कि अधिक से अधिक वोट सरकार को हटाने के लिए हुई है या सरकार को बचाने के लिए।

मध्य प्रदेश की पिछली आँकड़े देखें तो पता चलता है कि 2003 में 67 प्रतिशत मतदान हुआ तो भाजपा की सरकार बनी। 2008 में 69 फीसदी वोटिंग हुई तब भी बीजेपी की सरकार रिपीट हुई। फिर 2013 में 72 फीसदी वोटिंग हुई तब भी बीजेपी की सरकार रिपीट हो गई. लेकिन 2018 में जब 74 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई तो बीजेपी पीछे रह गई। इस बार भी एमपी का वोट प्रतिशत 75 प्रतिशत से ऊपर जाने वाला है।

छत्तीसगढ़ के धमतरी में जनजातीय तीर-धनुष लेकर वोटिंग बूथ पर वोटिंग।

छत्तीसगढ़ के धमतरी में जनजातीय तीर-धनुष लेकर वोटिंग बूथ पर वोटिंग।

असल में क्या होगा, यह तो तीन दिसंबर को चुनाव नतीजे आने पर ही पता चला है, लेकिन पोलिंग बूथ पर मतदान केंद्रों पर रैली करने वाली भीड़ के लैंग्वेज दर्शकों से पता चला है कि वोट के लिए लोगों में गजब का उत्साह था और यह सरकार या फिर उबर गई अधिक जागरुकता का मामला लग रहा था।

उदयपुर, राजस्थान में हल्ला बोल जारी है। सेंट्रल अस्मिता अमित शाह ने फिर मुख्यमंत्री अशोक कैबिनेट को मान्यता दी है, उन्होंने एक कार्यकारी सभा में कहा कि लाल रंग देखने वाले जैसे रेत भागते हैं, वैसे ही लाल डायरी का नाम सुनकर आश्चर्यचकित भागते हैं।

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