भारत में सरोगेसी प्रतिबंध पर दिल्ली उच्च न्यायालय | भारत को सरोगेसी का धंधा नहीं बनने देंगे | सरोगेसी डोनर बैन पर दिल्ली हाई कोर्ट बोला-अंगदान की परमिशन दी गई तो गरीब किडनी-लिवर खो गया

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नई दिल्ली34 मिनट पहले

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि भारत को किराए पर नहीं दिया जाएगा। लोगों को सोच बदलनी चाहिए, गोद लेने को बढ़ावा देना चाहिए। कोर्ट ने यह टिप्पणी कनाडा में रहने वाले भारत मूल के वकील की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कंपनी ने सरोगेसी डोनर पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र द्वारा जारी 14 मार्च की अधिसूचना को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने बताया क्यों नहीं दिया अंगदान का मिशन
जस्टिस जस्टिस एंड जस्टिस मिनियामी बेकर्ना की बेंच ने कहा कि वैलिडिटी कनाडा में ही सरोगेसी की सुविधा ले सकते हैं। लेकिन वो एक खास वजह से भारत आ रहे हैं। क्योंकि यहां आर्थिक रूप से अक्षम है, जिससे वो यहां किराए पर कोख ले सकते हैं। लेकिन सरकार ने किसी भी कारण से इस पर रोक लगा दी है। अगर यहां अंगदान की मात्रा दी गई तो देश के गरीब अपना किडनी-लिवर खो बैठेंगे।

समीक्षा के दौरान बेंच ने कहा- बड़ी संख्या में शोध से पता चलता है कि भारत सरोगेसी की राजधानी बन गई है। सरकार इसे चाहती थी, इसलिए उन्होंने इस अधिनियम के बारे में सोचा। सरोगेट्स के शोषण पर रोक के लिए यह जादुई है।

2022 में सरोगेसी के लिए अप्लाई किया गया था
भारतीय मूल की इस सूची में आवश्यक फॉर्म जमा करके 2022 में प्रक्रिया शुरू करें। अधिकारियों ने फॉर्म स्वीकार कर लिया लेकिन सारोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 के नियम 7 के तहत फॉर्म 2 के नियम 1 (डी) में संशोधन के लिए मार्च में अधिसूचना जारी कर जुलाई में स्टॉक रोक दी गई।

इसके बाद अदालत में याचिका दायर करते हुए कहा गया कि सरकार के पास सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में नियम बनाने की शक्ति नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि मार्च में अधिसूचना के माध्यम से लगाए गए प्रतिबंध अप्रासंगिक नहीं थे, लेकिन उनकी कुछ वैधता थी।

असल में, संशोधन ने एकल महिलाओं को सरोगेसी के लिए प्रतिबंधित कर दिया। वहीं केवल विधवा या तलाक शुदा लोगों को इस प्रक्रिया का सहारा लेने की अनुमति दी गई है।

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