बिहार झारखंड राजनीतिक संकट | चंपई सोरेन सीएम; नीतीश कुमार | भास्कर राय- चंपई राज: बिहार सरकार का फैसला धीमी गति से, झारखंड में इतनी ही देरी

52 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

आखिरी फैसला हो गया कि झारखंड में झामुमो की ही सरकार बनी रहेगी और चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार शपथ लेने जा रही है। यह फ़ैसला गुरुवार लगभग आधी रात को हुआ। इसके पहले गवर्नर ने फ़ैसला लेने में उचित समय लिया। कुल मिलाकर बात यह है कि कुछ दिन पहले ही बिहार में सरकार का बदलाव का फैसला अचानक से शुरू हो गया, झारखंड में भी उतनी ही देर हो गई।

हालाँकि यह फ़ैसला गवर्नर को ही लिया गया था और यह राजकुमार का पद भी है, लेकिन फ़ैसले में दो राज्यों की लगभग एक जैसी सहमति क्यों है? जबकि नीतीश कुमार ने जिस तरह राज्यपाल को समर्थन पत्र जारी किया था। उसी तरह के झारखंड में गठबंधन के नेता चंपई ने भी राज्यसभा का समर्थन किया था।

81 रांची झारखंड में बहुमत के लिए कम से कम 41 रिजर्व का समर्थन करना चाहिए, जबकि चंपई ने गवर्नर के सामने 47 रिजर्व के समर्थन का दावा किया है। इनमें से भी 43 बेंचमार्क के तो समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर भी थे। वे तो नामांकित शेयरधारकों को अपने साथ कैथोलिक तक भी ले गए थे, लेकिन गवर्नर ने तुरंत कोई निर्णय नहीं लिया।

क़ानूनी विचार-विमर्श के कारण में देरी हुई। इस देरी के बाद एलायंस लीडर्स को ब्रेक-फोड़ का डर सताया। यही वजह थी कि एक चार्टर प्लेन से सभी स्टार्स को हैदराबाद ले जाने का फैसला किया गया। वहां भी गठबंधन की किस्मत ने साथ नहीं दिया।

आरोपित तकरीबन दो घंटे विमान में बैठे रहे और आखिरी कार कोहरे के कारण यह उड़ान ही कैंसिल हो गई। एयरपोर्ट से सभी टिकटों को सर्किट हाउस में लौटाया गया। आख़िरकार सर्किट हाउस में ही रात गुज़ारने का फैसला हुआ। आखिरी आधी रात को कोई डेढ़ बजे के बाद गवर्नर ने चंपेई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दे दिया। सार्वभौमवाद शुक्रवार को ही नई सरकार शपथ ले तानाशाही।

इससे पहले झामुमो को डर था कि इस एक रात में क्या कुछ हो सकता है, कहा नहीं जा सकता। वैसे भी राजनीति में कुछ भी संभव है। जब महाराष्ट्र में एक सरकार की गारंटी या कह सकते हैं मुंह उजाले शपथ हो सकती है तो कुछ भी हो सकता है।

उधर, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री वैलेंटाइन सोरेन को जेल भेज दिया गया। हालांकि एचडी ने अपनी अप्राकृतिक मांग की थी लेकिन फ़ासला डेज़ी में डेस्टिनेशन का हुआ। अनिश्चितताओं की मांग पर फिर से सुनवाई हो! सोसामो लिबरेशन मोर्चा और कांग्रेस के नेता या नेता नई सरकार के गठन को आसान आसान समझ रहे थे, सच, वो आसान नहीं थे। गनीमत है सरकार बच गई।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *