बालासोर ट्रेन हादसा: 28 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार शुरू | दो दिन में प्रक्रिया समाप्त करने की तैयारी; एम्स एम्स ने निगम को मंजूरी दे दी है

भु7 मिनट पहले

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2 जून को ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसा हो गया था।  इसमें 293 से ज्यादा लोग मारे गये और 1200 से ज्यादा लोग घायल हो गये।  - दैनिक भास्कर

2 जून को ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसा हो गया था। इसमें 293 से ज्यादा लोग मारे गये और 1200 से ज्यादा लोग घायल हो गये।

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के 4 महीने बाद 28 लावारिस यात्रियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। सभी शवों को डिस्पोज करने की जिम्मेदारी एम्स भुवन नगर निगम की है।

मंगलवार को एम्स प्रबंधन निगम ने 9 शव बिक्री की। इस दौरान सेंट्रल ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी भी मौजूद रहे। दो दिन में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया समाप्त करने की तैयारी है।

इस साल 2 जून को ओडिशा के बालासोर में ट्रिपल टेन क्रांति में 297 लोगों की मौत हो गई थी। 269 ​​में सिक्के उनके घरवाले ले गए। एम्स भुखमरी में 162 शव रखे गए थे। उनमें से 81 को मृतकों के परिवार द्वारा राज़ित किया गया था।

बाद में डीएनए टेस्ट के आधार पर अन्य 53 शव परिवार के सदस्यों की जानकारी दी गई। हालाँकि, जून 28 से शव एम्स में ही दिखे थे। किसी की पहचान के लिए कोई नहीं आया। इन सामानों को पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से छूट दिए गए पांच डीपी रेफ्रिजरेटरों में रखा गया था।

ऐसा हुआ था हादसा
2 जून की शाम को चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की जगह कॉपर लाइन चली गई, जहां मालगाड़ी थी खड़ी। ट्रेन मालगाड़ी से टकराई। कोरोमंडल और मालगाड़ी की कुछ बोगियां बगल के ट्रैक पर बिखर गईं।

इसके कुछ ही देर बाद ही ट्रैक पाइल डिब्बों से हावड़ा-बेंगलुरू एक्सप्रेस की समीक्षा की गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए।

दुर्घटना में सीबीआई के अनापत्ति में तीन रेलवे स्टेशनों के नाम हैं। तीन पर गैर-इरादतन हत्या और साक्ष्य विध्वंस के आरोप हैं। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर आमिर मोहम्मद खान और टेक्निशियन डिविजनल कुमार शामिल हैं। 7 जुलाई को सीबीआई ने तीन चार को गिरफ्तार किया था। 11 जुलाई को न्यायालय नेज़ाख राजवंश में भेजा गया था।

बुनियादी ढांचे के बारे में पता था कि उनके कारोबार से समझौता हो सकता है: सी.बी.आई
जिन तीन रेलवे इंजीनियरों के नाम उनके बारे में हैं, उनमें सीबीआई ने जुलाई में कहा था कि ये बातें पता थीं कि उनकी कंपनियों से बड़ा हादसा हो सकता है।

दुर्घटना की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने जुलाई की शुरुआत में सप्ताह में हुई दुर्घटना के लिए सिग्नलिंग विभाग के कर्मचारियों की मानवीय भूल को जिम्मेदार ठहराया था।

बिना किसी दुर्घटना के दुर्घटना की वजह से दुर्घटना हुई
सीबीआई ने 24 अगस्त को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें जांच एजेंसी ने बताया कि बिना किसी उद्यम के चल रहे श्रमिक कार्य के कारण ट्रेन दुर्घटना हुई थी।

इससे पहले बहनागा बाजार स्टेशन के लेयर क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर बिना लीज का काम किया गया था। सीबीआई ने कहा कि सीनियर डिविजनल सिग्नल एंड टेलीकॉम इंजीनियर की मंजूरी के बिना ही वहां रिपेयरिंग वर्कशॉप हुआ था। इसके लिए सर्किट डायग्राम भी पास नहीं किया गया था।

सीआरएस का दावा- सिग्नल सिस्टम में खराबी की वजह
हादसे की जांच सीबीआई के अलावा रेलवे बोर्ड के कमिश्नर ऑफ रेलवे असिस्टेंट (सीआरएस) ने भी की। 3 जुलाई को सीआरएस ने 40 पन्नों की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी थी। ऐसा कहा जाता है कि लेवल-क्रॉसिंग इंजेक्शन बॉक्स के अंदर गलत लेबलिंग की वजह से स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई, जो दुर्घटना का कारण बनी। क्रॉसिंग इंजेक्शन बॉक्स में नॉमिनेशन की गलत लेबलिंग के बारे में समर तक कोई भी नहीं दिखा। मेंटेनेंस के दौरान भी गड़बड़ी हुई।

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