बलात्कारी की जमानत पर दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला | सामान्य ज्ञान तर्क आवश्यक | जज बोले- लॉजिक-कॉमन सेंस हो, सिर्फ प्रमाण का बयान काफी नहीं है

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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कंपनी का आरोप था कि बेसिक ने उसे शराब में नशा देकर छोड़ दिया था।  कोर्ट ने कहा कि न तो यूनिवर्सिटी की मेडिकल जांच हुई और न ही शराब की जांच की गई।  - दैनिक भास्कर

कंपनी का आरोप था कि बेसिक ने उसे शराब में नशा देकर छोड़ दिया था। कोर्ट ने कहा कि न तो यूनिवर्सिटी की मेडिकल जांच हुई और न ही शराब की जांच की गई।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मकान मालिक को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि कॉमन सेंस और लॉजिक के बीच साक्ष्य और सबूत होने चाहिए। सिर्फ मानक के बयान को सच मान लेना काफी नहीं है। गवाह झूठ बोल सकते हैं लेकिन शेख़ी झूठ नहीं बोलते।

म्यूजियम सेशन जज विजय कुमार झा ने पुलिस को गैर सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ जुर्माना लगाने से रोक दिया। जज ने कहा- कोर्ट को अगर स्टार्ट का बयान सच लगता है तो वह वैध साबित हो सकता है। शिक्षा शास्त्र को इसका अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने जांच में कहा कि पुलिस को लेकर हंगामा किया गया। जज ने कहा- गैर जमानती अपराध के मामले में जिन दस्तावेजों से जांच की गई, उनमें अदालत की अंतरात्मा को थपथपाया गया है। जांच दस्तावेज़ के कथन को सच नहीं माना जा सकता। अगर ऐसा होता तो मामले में जांच की जरूरत ही नहीं थी।

जानिए पूरा मामला…

एक महिला ने डेमोक्रेट कुमार नाम के लड़के पर रेप का आरोप लगाया। स्टाक ने बताया कि 22 मार्च को उसने शराब के नशे में धुत्त होकर शराब पीकर गलत काम किया। इसके बाद सैमुअल ने उससे शादी कर ली और फिर से रेप कर दिया। पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपराधियों का बयान दर्ज किया था।

हालाँकि, नागालैंड ने नागालैंड और कंपनी को मंजूरी दे दी थी। ऑउस्टॉर्म ने कहा कि वह कभी-कभी भी सर्पोट के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना पाती हैं। क्रैस्ट ने उस पर पैसे के घोटाले का आरोप लगाया है। ईसाई धर्म की बातें बयान के लायक नहीं है।

बुज़ुर्ग ने दिल्ली हाई कोर्ट में बेल की मांग की थी। कास्ट ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जेल से अरेस्ट के बाद उन्हें सुपरमार्केट-धमका दिया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा- मानक के बयान में विरोधाभास
हालाँकि, कोर्ट ने मूलाधार को बेल देते हुए कहा- कोल्ड ड्रिंक की कोई जांच नहीं हुई और न ही कोल्ड ड्रिंक की कोई जांच हुई, जिसमें नशीला पदार्थ मिलाने का दावा किया गया था। जांच के दौरान साक्ष्य से पता चला कि जो सामान इकट्ठा किया गया था, उसकी भी जांच नहीं हुई।

कोर्ट ने ईसाईयों के मठ में विरोधाभास भी देखा। बयान वह बदल रही थी। इस मामले में लड़की की मां भी एक अहम गवाह थी, लेकिन जांच अधिकारी ने उससे पूछताछ नहीं की।

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