प्रियंका कांग्रेस के लिए वही कर रही हैं जो कभी वसुंधरा ने बीजेपी के लिए किया था. | कांग्रेस के लिए प्रियंका वही कर रही हैं जो कभी बीजेपी के लिए वर्चस्व करती हैं

21 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल भास्कर, दैनिक भास्कर

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राजस्थान में कांग्रेस कांग्रेस बड़ी सभाएं कर रही है। ये सभा राहुल गांधी की नहीं, बल्कि प्रियंका गांधी की हैं। हालाँकि कांग्रेस ने प्रियंका को फ्रंट फुट पर लाकर कई साल की देरी कर दी लेकिन कहा जा सकता है कि जब जागे, तब सवेरा या देर आये, निशान आये।

प्रियंका की सभा में भी भारी भीड़ उमड़ रही है। इन सभाओं में मौलानाओं का वादा भी किया जा रहा है और लोगों को ये वादे अच्छे भी लग रहे हैं। गुडल, फ्री की रेवड़ी किसे जल्दी मिलती है? राजस्थान में कुल मिलाकर अभिलेख, महिलाओं को शिलालेखों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई, जो कभी भाजपा की ओर से वसुन्धरा राजे भूमिका निभाते थे।

राजस्थान के झुझुन जिले में 25 अक्टूबर को प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की ओर से घोषणा की।

राजस्थान के झुझुन जिले में 25 अक्टूबर को प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की ओर से घोषणा की।

बुधवार को घोषणा की सभा में दो प्रमुखों ने की घोषणा. पहली महिला मुखियाओं को हजार रुपए साल दिए जाएंगे। दूसरा पाँच सौ रुपये में गैस सिलेंडर। महिला मुखिया वाली की घोषणा, मुखिया वाला पद है। इसका अर्थ क्या समझें? घर की बड़ी महिला या जिस घर में पुरुष मुखिया नहीं हो, महिला ही मुखिया के घर चल रही हो? इस बारे में मौन में फिलहाल की घोषणा की गई है।

जहां तक ​​बीजेपी का सवाल है, राजस्थान में उनकी सहयोगी सभाएं अभी शुरू नहीं हो पाई हैं। बीजेपी यहां ‘एक बार तू, एक बार मैं’ वाली परंपरा को अपने पक्ष में तलाश रही है। यह भी सही है, राज्य में मजबूत विरोधी असंतोष के खिलाफ स्थिर है, लेकिन सरकार या कांग्रेस के खिलाफ स्टालिनवादी विचारधारा हर बार की क्रांति में दिखाई नहीं देती है।

प्रियंका गांधी की सभा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल

प्रियंका गांधी की सभा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल

चुनाव में जीत कई एंगल से तय होती है। आपके अविश्वास वादे और साजो-सामान का बँटवारा इस बारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोई लहर या आँधी ही हो तो बात और है वर्ना सही लोगों को टिकट देना बहुत कुछ तय करता है।

वैसे राजस्थान ही नहीं, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी फिलहाल कोई लहर या आँधी तो दिखाई नहीं देती। जो भी जीतेगा, वो पहलवानों से ही जीतेगा। जिस नेता को लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं और वह पार्टी उस नेता के परिजनों पर कितनी सभाएं करवा रही है, इस बात पर भी बहुत कुछ असंवैधानिक है।

यह देखें कि तीन दिसंबर को जब आएँगे, तब कौन किस पर भारी रहता है! फिलहाल त्रिलोकी राज्य के नतीजों के बारे में कुछ भी कहना अतिशयोक्ति ही होगी।

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