प्रस्तावना संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट | सुब्रमण्यम स्वामी | संविधान के प्रस्तावना से समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग: सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा- क्या तिथि परिवर्तन बिना संशोधन कर सकते हैं

नई दिल्ली35 मिनट पहले

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संविधान के प्रस्तावना से समाजादी अंतिम शब्द निकालने की मांग वाली याचिकाएं अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होंगी।  - दैनिक भास्कर

संविधान के प्रस्तावना से समाजादी अंतिम शब्द निकालने की मांग वाली याचिकाएं अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होंगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रश्न किया कि किस संविधान की तारीख यानी 26 नवंबर 1949 को इसके प्रस्ताव में संशोधन किया जा सकता है। समाजवादी और दार्शनिक शब्द को हटाने की मांग की है।

स्वामी ने अपनी याचिका में यह दर्ज कराया है कि किसी भी प्रस्ताव को किसी भी तरह से बदनाम या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। जिस पर शुक्रवार 9 फरवरी को सुनवाई हुई। इसी दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपकंकर स्टाफ की बेंच ने यह सवाल पूछा।

कोर्ट ने कहा- एकेडमिक प्रॉपज में बदलाव कर सकते हैं
समीक्षा के दौरान न्यायाधीशों ने कहा कि अध्येता उद्देश्य के लिए संविधान के प्रस्ताव में जिसमें तिथि का उल्लेख किया गया है, उसमें संशोधन की तिथि में बिना संशोधन किया जा सकता है। हालाँकि संशोधन करने में कोई समस्या नहीं है।

स्वामी ने कहा- इस मामले में सवाल यही है. न्यायाधीशों ने आगे कहा- शायद यह एकमात्र प्रस्ताव है जिसका मैंने आकलन किया है जो एक तारीख के साथ आता है। जब संविधान संविधान दिया गया तब मूल रूप से ये दो शब्द (समाजवादी और संविधान) इसमें नहीं थे।

जैन ने कहा कि भारत के संविधान का प्रस्ताव एक निश्चित तिथि के साथ आता है, इसलिए इस पर चर्चा के बिना संशोधन नहीं किया जा सकता है। स्वामी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 42वां संशोधन अधिनियम अंतिम (1975-77) के दौरान पारित किया गया था।

स्वामी की अस्वीकृति- प्रस्तावना को बदला या विकृत नहीं किया जा सकता
स्वामी ने अपनी याचिका में यह दर्ज कराया है कि किसी भी प्रस्ताव को किसी भी तरह से बदनाम या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसमें दिए गए एकमात्र संशोधन को भी वापस ले लिया गया। स्वामी ने अपने डीलरशिप में यह भी कहा कि प्रस्तावना में केवल संविधान की आवश्यक फाइलें प्रदर्शित की गई हैं, बल्कि उन फार्मासिस्टों को भी एक निर्मित समुदाय के आधार पर बनाया गया है।

2 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी की याचिका पर बलराम सिंह और अन्य सहायक मामलों के साथ टैग कर दी थी। हालांकि बेंच ने कहा कि इस मामले पर लंबी चर्चा की जरूरत है। सुनवाई में दोनों दस्तावेज़ 29 अप्रैल को होंगे।

1976 में इंदिरा गांधी सरकार की ओर से 42वें संविधान संशोधन के तहत संविधान प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें समाजवादी और अनमोल शब्द शामिल किये गये थे।

संशोधन ने प्रस्तावना में भारत का विवरण संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य से लेकर संप्रभु, समाजवादी, लोकतांत्रिक, लोकतांत्रिक गणराज्य कर दिया।

नई संसद का उद्घाटन समारोह भी हुआ था
पिछले साल 2023 में नई संसद के उद्घाटन और विशेष सत्र के दौरान डेमोक्रेट को संविधान की कॉपी दी गई थी। टैब शॉपिंग मॉल में आरोप लगाया गया था कि इसमें ‘सेकेंड अनसुने’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द शामिल हैं, जिन्हें हटा दिया गया है।

हालाँकि इस आरोप के जवाब में सरकार ने कहा था कि संविधान की प्रति में मूल संविधान का प्रस्ताव शामिल है। जिसमें ‘सेकेंड’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द नहीं थे। असल, संविधान के प्रस्तावना में ये दोनों शब्द 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से शामिल थे। पढ़ें पूरी खबर…

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