प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मुन्नवर राणा का निधन | मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है: बचपन में मुनव्वर कम्युनिस्ट बने तो पिता ने घर से निकाल दिया, मां पर शायरियां रिक्रिएशन दुनिया में छा गईं

41 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

…तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म हो जाता है, फिर आंखे पूरी जाए कि सपना खत्म हो जाता है। मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राना की ये लाइन आज सच साबित हो गई। 71 साल की उम्र में मुनव्वर राणा दुनिया को अलविदा कह गए। वह अब हमारे बीच नहीं होंगे लेकिन उनकी कहानी, उनकी शायरियां हमारे बीच जिंदा हैं। सांस्कृतिक मंचो पर उनका नाम लेकर लोग मां का बखान करते हैं। क्योंकि मुनव्वर ने मां के लिए जो प्रेम दिखाया और लिखा वह आज अमर हो गया।

आज हम मुनव्वर राणा की कहानी जानेंगे। उनके जीवन के कुछ

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *