पुरी13 मिनट पहले
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आज से 861 साल पहले 1161 ईस्वी में ये मंदिर बनकर तैयार हुआ था।
ओडिशा में जगननाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को जगननाथ मंदिर के नटमंडप अर्थात नृत्य कक्ष के काम को मंजूरी दे दी है। एक दिन पहले गुरुवार को ओडिशा हाईकोर्ट ने एएसआई को तलाशी अभियान शुरू करने के लिए कहा था।
12वीं सदी के इस पुराने मंदिर के कुछ खंभों में दर्शन होते हैं, जिसके बाद एएसआई ने इसकी मरम्मत के निर्देश दिए। यह नटमंडप हॉल 800 साल पुराना है।
अब 3 बिंदुओं में पढ़ें पूरा मामला और जानें यह अदालत तक कैसे पहुंचें…
1. नटमंडप की मरम्मत के लिए 2016 में खुदाई का कार्य हुआ
पुरी के सोशल प्रोमोशन अभिषेक दास ने 2016 में उच्च न्यायालय में नटमंडप के लावारिस की मांग की एक प्रारंभिक सूची बनाई। एक साल बाद 2017 में कोर्ट ने एएसआई को हॉल की मरम्मत करने का निर्देश दिया। एएसआई ने कोर्ट को मंजूरी दी कि चार महीने में ये काम पूरा हो जाएगा।
2.पांच साल बाद भी काम नहीं हुआ
कोर्ट के आदेश के बावजूद आज तक यह काम पूरा नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि इस कोर्ट की ओर से दिए गए बयान के बावजूद नटमंडप की लीज का काम पूरा नहीं हुआ। कोर्ट ने एएसआई के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि जब्ती का काम आरबीआई-मद्रास को अलग कर दिया गया था और संस्थान की वजह से देरी हुई थी।
3.कंपनी मामला कोर्ट पहुंच, रिपेयरिंग का काम मिला
श्री जगन्नाथ मंदिर की स्थिति के बारे में जानकारी सितंबर 2022 में ट्रिब्यूनल सुपीरियर की ओर से एमिक्स क्यूरी की पेशकश के लिए दी गई। जब सार्वत्रिक संग्रहालय की बात सामने आई तो पता चला कि अदालत के आदेश पर विचार नहीं किया गया। मामला फिर से उच्च न्यायालय की ओर से जारी किया गया और उसने इसे जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

7 दिन पहले मंदिर में हो गए थे कई अवशेष
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में 10 नवंबर को भारी भीड़ उमड़ी, जिसमें 10 अज्ञात लोग शामिल हो गए और उन्हें जिला अस्पताल अस्पताल ले गए। मंदिर प्रशासन के सदस्य रंजन कुमार दास ने कहा कि सुबह भक्तों की भारी भीड़ के कारण यह घटना घटी।
कार्तिक माह को पवित्र माना जाता है और बड़ी संख्या में 12वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि ‘बीमार प्रॉपर्टी वाले ज्यादातर लोग बुजुर्ग थे।’ हम मंदिर के आंतरिक दर्शन सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था को सुदृढ़ कर रहे हैं।
भगवान विष्णु का मंदिर और इतनी संपत्ति दी?
1150 ईस्वी में ओडिशा के आसपास के इलाके में गंग राजवंश का शासन हुआ। राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव यहां के राजा हुए थे। पुरी जिले की वेबसाइट पर बताया गया है कि अनंतवर्मन ने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। आज से 861 साल पहले 1161 ईस्वी में ये मंदिर बनकर तैयार हुआ था।
1238 तक ओडिशा क्षेत्र के राजा रहे अनंगभीमा देव ने इस मंदिर को स्वा लाख तोला से सबसे अधिक सोना दान में दिया था। इसके अलावा 1465 ईस्वी में राजा कपिलेंद्र देव ने भी इस मंदिर को काफी सोना दान में दिया था।
1952 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत टेम्पल की साड़ी प्रॉपर्टी की एक सूची तैयार की गई। इस सूची को पुरी नामांकन के ट्रेजरी रूम में रखा गया है। इस समय सोना- सराय से बने कुल 837 स्मारक मंदिर के स्वामित्व में रखे गए थे। इनमें से 150 तरह की संरचना रत्न भंडार के बाहरी कक्ष में रखी गई है।
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