परीक्षा में नकल रोकने के लिए असम लाएगा नया कानून | असम में नकल निषेध के लिए कानून में असमंजस: 5 साल की जेल, 10 लाख रु. दो साल के परीक्षा में सेट नहीं किया गया

दिसपुर26 मिनट पहले

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असम सरकार जल्द ही पब्लिक एग्ज़ाम में नकल निषेध के लिए असम्बद्ध कानून लागू कर सकती है। सोमवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसके तहत नमूना बनाने के दोषी को कम से कम पांच साल की जेल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

इस कानून का नाम असम पब्लिक एक्जामिनेशन (भर्ती में अनुचित उत्पीड़न को रोकने का साधन) बिल, 2024 है। इसके अंतर्गत न केवल विशेष बल्कि एज़मैथिएट स्टूडियो वाली कंपनियों को भी शामिल किया जा सकता है। अगर ये बिल बनता है तो ऐसा करने वाला असम देश का पहला राज्य होगा।

दो साल पहले किसी एग्ज़ेमेट में कोई दस्तावेज़ नहीं मिला
असम सरकार ने बताया कि इस बिल में 5 से 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की सजा का प्रस्ताव रखा गया है। नकल करने वाले की सजा कम गंभीर है- तीन साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना। लेकिन दो साल और जेल में रहने की स्थिति में देनदारी न भर पाई।

इसके अलावा, इस कानून के तहत खुलासा करने वाले व्यक्ति को दो साल तक किसी भी सार्वजनिक बहस में शामिल नहीं किया गया। अवशेष पाए जाने वाले संस्थान पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाया जा सकता है। एग्ज़ाम में नकल से जुड़े सभी सहयोगियों की जांच डिप्टी सुपरिंटेंडेंट या उसके ऊपर के रैंक पुलिस के अधिकारी शामिल होंगे। पेपर लीक के मामलों की सुनवाई के लिए अलग-अलग कोर्ट जाएंगे।

इन मामलों में 10 साल तक की सजा और 10 करोड़ का जुर्माना लगाया जा सकता है
प्रस्तावित बिल में बताया गया है कि एग्जॉम वाले लोगों की तरफ से क्या-क्या गलतियां हो सकती हैं। इन पेपर्स को लाइक करना की कोशिश करना, क्वेश्चन पेपर्स हासिल करना, बिजनेस या प्रिंट करना, सॉल्व करना, किसी भी गलत तरीके से दोस्तों की मदद करना, किसी और जग की जगह पर किसी और जगह पर बिजनेस करना या प्रिंटिंग प्रेस के जरिए अन्य जगहों पर जाना। क्वेश्चन पेपर या ब्लैंक अंसार शेख़ी प्रिंट शामिल है। ऐसे दोषियों के लिए जेल की सजा 10 साल और शैक्षणिक योग्यता की सजा 10 करोड़ रुपये की जा सकती है।

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