पंजाब अग्निवीर अमृतपाल सिंह गार्ड ऑफ ऑनर विवाद भारतीय सेना ने जारी किया बयान | सेना का बयान- हम सैनिकों से भेदभाव नहीं करते; अमृतपाल ने आत्महत्या की स्वतंत्रता सैन्य सम्मान नहीं दिया

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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सेना जब अग्निवीर के अंतिम संस्कार के लिए नहीं निकली तो परिवार खुद 19 साल के बेटे के शव को श्मशान तक ले गया, जहां अग्निवीर अमृतपाल का अंतिम संस्कार किया गया।  - दैनिक भास्कर

सेना जब अग्निवीर के अंतिम संस्कार के लिए नहीं निकली तो परिवार खुद 19 साल के बेटे के शव को श्मशान तक ले गया, जहां अग्निवीर अमृतपाल का अंतिम संस्कार किया गया।

भारतीय सेना ने रविवार 15 अक्टूबर को देर रात एक बयान जारी किया, जिसमें लिखा था कि अग्निवीर अमृतपाल की मृत्यु हो गई, इसलिए गार्ड ऑफ ऑनर के अनुसार उन्हें नहीं दिया गया।

सेना की आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट की गई। इसमें लिखा है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने सेंट्री ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

अमृतपाल के अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया क्योंकि मौत के घाट उतारे गए मुर्दे को यह सम्मान नहीं दिया जाता है।

सेना के बयान की बड़ी बातें…

  • सेना ने कहा कि अमृतपाल सिंह की मौत से जुड़े तथ्यों को लेकर गलतफहमियां और बयान गलत हैं।
  • सेना में इस आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है कि वे अग्निपथ योजना से पहले या बाद में सेना में शामिल किये गये थे।
  • यह परिवार और भारतीय सेना के लिए बड़ा नुकसान है कि एक अग्निवीर ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली।

हर सैनिक को भारतीय सेना का सम्मान प्राप्त है
बयान में यह भी कहा गया है कि किसी सैनिक की आत्महत्या या खुद से हुई चोट के कारण होने वाली मौत की घटना, सेना में प्रवेश के तरीके की परवाह किए बिना सैनिकों को सम्मानित किया जाता है। हालाँकि, ऐसे मामले में 1967 के सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के लिए नामित नहीं हैं। इस नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है।

सेना के जारी आंकड़ों के 2001 के बाद से हर साल 100-140 सैनिकों की मौत हुई है। ये शूटर सुसाइड/खुद को लगी मशर्स के कारण लापता हैं। इसी तरह के मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की व्याख्या नहीं की गई है। अंतिम संस्कार के लिए वित्तीय सहायता के अलावा मृतक के पद के अनुसार मदद की जाती है।

अग्निवीर के अंतिम संस्कार पर सेना नहीं आई तो स्थानीय पुलिस ने अंतिम विदाई दी।

अग्निवीर के अंतिम संस्कार पर सेना नहीं आई तो स्थानीय पुलिस ने अंतिम विदाई दी।

LoC के पास थी अमृतपाल की ड्यूटी, कहीं गोली लगी
अमृतपाल सिंह की शहीद पुंछ जिले के मंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में एलओसी के पास थी। कर्तव्य के दौरान उनके पोते पर गोलियाँ लगी। अमृतपाल को 2 दिन पहले ही सेना ने गोली मार दी थी। प्रारंभिक जांच में यही माना जा रहा था कि अमृतपाल को वैज्ञानिक की गोली लगी थी।

2 मुख्य पुजारी में अग्निवीर का शव
अमृतपाल के निधन के बाद उनकी पार्थिव देह सेना के वाहनों की बजाय निजी दुकान में छोड़ दी गई। यहां सेना के 2 जवानों के शव छूटने के लिए आए थे। अमृतपाल के शव छोड़ने के बाद वह कहीं और चले गए। परिवार ने पूछा कि क्या अमृतपाल को कोई सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा? इस पर उनका कहना था कि अग्निवीर स्कॉच के तहत भर्ती सिपाही को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा।

अग्निवीर अमृतपाल के पिता ने भी कब्ज़ा सेना पर सवाल उठाया

मानसा के गांव कोटली के अग्निवीर अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान भारतीय सेना के गार्ड ऑफ ऑनर न जाने कहां-कहां लेकर विभिन्न बौद्ध भिक्षुओं के नेता सरकार पर चर्चा कर रहे हैं। अग्निवीर अमृतपाल सिंह के पिता ने भी इसे लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि मैंने अपना बेटा अमृतपाल सिंह भारतीय सेना को दिया था, हम नहीं जानते कि अग्निवीर क्या है। पढ़ें पूरी खबर…

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